Diet for Old Age: उम्र केे पड़ाव पर पहुंचे बजुर्गों को प्राकृतिक रूप से शारीरिक और मानसिक कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनके शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट बहुत धीमा होता जाता है जिससे बॉडी में रिलीज होने वाले एन्जाइम्स और हार्मोन्स कम होने लगते हैं। पाचन तंत्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता गड़बड़ा जाती है। जिसका असर पड़ता है उनकी भूख और उनके स्वास्थ्य पर। पौष्टिक भोजन न ले पाने के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। पोषक तत्वों की कमी का असर हड्डियों और दांतों में कैल्शियम की कमी होने लगती है और ये समय से पहले साथ छोड़ जाते हैं। मेटाबॉलिज्म रेट धीमा होने से कैलारी कम बर्न होती है जिससे शरीर में मोटापा और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। ध्यान न दिए जाने पर मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थेाराइटिस जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता है।
उम्रदराज लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर उम्र के असर को दरकिनार कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें रोजाना न्यूट्रीशिन्स से भरपूर बैलेंस डाइट तो लेनी ही चाहिए। अपनी डाडट में इन बातों का ध्यान रखने से वे कई समस्याओं से बच सकते हैं-
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Diet for Old Age: पानी की पर्याप्त मात्रा

सबसे पहले बुजुर्गों को दिन में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं रहेगी, डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक रहेगा, कब्ज या पेट में ऐंठन, स्किन में ड्राइनेस और उससे होने वाली खुजली जैसी समस्याएं नहीं होंगी, स्किन पर झुर्रियों का असर कम पड़ेगा।
गरिष्ट भोजन से परहेज
उम्र बढ़ने के साथ पाचन तंत्र धीरे-धीरे काम करता है। इसलिए बुजुर्गों को तला-भुना, मिर्च-मसालों वाला गरिष्ट भोजन खाने से परहेज करना चाहिए। पराठें, पकौड़े, पूरी, कचौड़ी जैसे चीज़ें नहीं खानी चाहिए। इनके बजाय वे रोस्टेड, ग्रिल्ड या एयर फ्रायर में बने व्यंजन ले सकते हैं।
फैट की कम मात्रा
पचाने में दिक्कत होने की वजह से बुजुर्गों को भोजन में देसी घी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। चूंकि इसमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है और फिजीकल एक्टिविटीज कम होने के कारण बुजुर्गों के शरीर से डाइल्यूट हो कर बाहर नहीं निकल पाता। नतीजतन यह उनकी नर्व्स में जमता जाता है और बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल), ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण बनता है।
सीड्स ऑयल

बुजुर्गों के लिए खाने में अच्छी क्वॉलिटी के मोनो-सैचुरेटिड फैटी एसिड (म्यूफा) और पोली-सैचुरेटिड फैटी एसिड (प्यूफा) सीड्स ऑयल्स उपयोग करना कहीं बेहतर है जैसे-चिया, ऑलिव, कनौवा, सोयाबीन, सनफ्लॉवर, ग्राउंडनट, ऑलमंड ऑयल। ये ऑयल ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं जेा हमारी बॉडी को नुकसान नहीं पहुंचाते। फैट कम होने के बावजूद ये ऑयल रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और कोलेस्ट्रॉल, ब्ल्ड प्रेशर की समस्या से दूर रखते हैं। बॉडी को लचीला और मजबूत बनाए रखते हैं।
ओमेगा-3 का नियमित सेवन
ओमेगा-3 में अमीर फ्लैक्स जैसे बीज पीस कर बने पाउडर का एक-डेढ चम्मच सुबह खाली पेट पानी के साथ सेवन कर सकते है। इन पिसे बीजों को सलाद के ऊपर स्प्रिंकल करके या दही-रायते मिला कर भी सेवन कर सकते है। ओमेगा-3 के नियमित सेवन से ब्लड में वसा या ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर नियंत्रित होता है जिससे हृदय रोगों का जोखिम 50 प्रतिशत कम रहता है। आर्थराइटिस से शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वो का प्रभाव कम होता है। इससे जोड़ो में दर्द, पीठ दर्द, रुमैठी गठिया, जकड़न में आराम मिलता है। उम्र बढ़ने के साथ होने वाली स्मृति हानि या अल्जाइमर रोग को कम करता है।
प्रोटीन रिच डाइट
शरीर में हर सेल की एक लाइफ होती है, उन्हें लंबे समय तक बनाए रखने और टूटे हुए सेल्स की रिपेयरिंग और मांसपेशियों की मजबूती के लिए बुजुर्गों को नियमित रूप से प्रोटीन रिच डाइट लेनी आवश्यक है। जैसे- शाकाहारी लोग दिन में दो कटोरी दाल या अंकुरित दाल की चाट, एक कटोरी पनीर या सप्ताह में 3-4 बार टोफू ले सकते हैं। पाचन संबंधी समस्या को देखते हुए बुजुर्ग रात के समय साबुत दालें न ले, तो बेहतर है। अगर राजमाह, चने, लोभिया या चने की दाल बना रहे हैं तो इसके रसे में आधी कटोरी दही या घिया का रस मिलाकर बनाएं। इससे एक तो इसकी न्यूट्रीशियस वेल्यू (विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम) और टेस्ट बढ़ेगा, दूसरे तासीर में हल्की हेाने के कारण पचनेे में आसानी होगी।
मांसाहारी खाना

पचाने में दिक्कत होने और एसिडिटी की समस्या होेने के कारण उन्हें मांसाहारी खाद्य पदार्थ डिनर के बजाय लंच टाइम में देना चाहिए। ब्रेकफास्ट में बॉयल या उबला अंडा या सप्ताह में 3-4 बार लंच टाइम में चिकन या फिश का एक-दो पीस ले सकते हैं।
विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन
फिट रहने के लिए नियमित रूप् से समुचित मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन जरूरी है जो उन्हें हरी सब्जियों और फलों से प्राप्त होते हैं। इनमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट तत्व फ्री रेडिकल्स से शरीर की रक्षा करते हैं, कोलेस्ट्रॉल और र्ट्राइिग्लसराइड्स को कम करते हैं। जिससे हृदय, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर जैसे रोगों से बचाव करता है। शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालने और रोगों से लड़ने के लिए इम्यून पॉवर और शरीर के मेटाबोलिज्म को बूस्ट करते हैं जिससे कई संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहते हैं। ये डायजस्टिव सिस्टम को सुचारू रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सब्जियों और फलों की पर्याप्त मात्रा
बुजुर्गों को अपने आहार में रोजाना 2-3 कटोरी सब्जियों को जरूर शामिल करना चाहिए। इसे वे लंच-डिनर के अलावा ब्रेकफास्ट और शाम को ब्रंच टाइम में बनने वाले पोहा, जवा, उपमा, इडली, दलिया, भेलपूरी में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रंग-बिरंगी सलाद खाना उनके लिए फायदेमंद है। अगर चबाने में दिक्कत हो तो ग्रेट करके भी सलाद खा सकते हैं।
इसी तरह बुजुर्ग ब्रेकफास्ट और लंच के बीच के ब्रंच टाइम में अपनी पसंद के कोई दो मौसमी फल खा सकते हैं। ध्यान रखें कि डायबिटिक पेशंट केला, आम, चीकू जैसे फल ज्यादा न लें। ब्लड प्रेशर के पेशंट खट्टे रसेदार फलों का सेवन अधिक करें। एनीमिया या मेनोपॉज की स्टेज पर पहुंची महिलाएं, अनार, सेब, कीवी जैसे आयरन रिच फ्रूट्स भी ले सकती हैं। गठिया या बाई की शिकायत वाले बुजुर्गों को दही जैसी ठंडी तासीर वाली चीजे और खट्टे रसेदार फलों से परहेज करना चाहिए क्योंकि इनसे उनके जोड़ों में सूजन और दर्द बढ़ सकती है।
खानपान में मेवे है अहम
मिनरल्स की आपूर्ति के लिए बुजुर्ग नियमित रूप् से 5 बादाम, 1 अखरोट और 1 अंजीर रात को एक कटोरी में भिगोकर रख दे। सुबह खाली पेट एक गिलास पानी के साथ इनका सेवन करना चाहिए। एनीमिया या मेनोपॉज की स्टेज पर पहुची महिलाएं इनके साथ 5 किश्मिश भी ले सकती हैं। ड्राई फ्रूट्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल में रख कर ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी रोगों से बचाते हैं। ब्रेन बूस्टिंग में सहायक ड्राई फ्रूट्स बढ़ती उम्र में होने वाले डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे रोगो से दूर रखते हैं।
कार्बोहाइड्रेट के लिए मल्टीग्रेन

बड़ी उम्र में शरीर को चलाने और शक्ति प्रदान करने के लिए समुचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स लेना भी जरूरी हैं। कार्बोहाइड्रेट की पूर्ति के लिए गेंहू, चना, जौ, दलिया, बाजरा, जवा से बना मल्टीग्रेन आटा बेस्ट है। चावल, जवे, मूसली, किनौवा इडली, डोसा जैसी चीजें भी शामिल कर सकते हैं। उन्हें यथासंभव सूजी से परहेज करना चाहिए क्योंकि पानी को अवशोषित करने की वजह से सूजी शरीर को डिहाइड्रेट करती है।
बढ़ती उम्र में जरूरी है दूध
हड्डियों में कैल्शियम की कमी से होने वाले ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थेाराइटिस से बचने के लिए बुजुर्गों को दिन में दो गिलास फ्री टोन्ड या डबल टोन्ड दूध पीना जरूरी है जिसे वो नाश्ते में और रात को सोने से एक घंटा पहले ले सकते हैं। इसके साथ ही खाने के साथ एक कटोरी दही ले सकते हैं। या फिर दिन में पनीर, छाछ, आइसक्रीम जैसे डेयरी प्रोडक्ट भी ले सकते हैं। दूध में हल्दी, सौंठ, मेथी, निशास्ता मिलाकर पीने से उनका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और जोड़ो के दर्द मे आराम मिलता है।
( डॉ छवि गोयल, सीनियर डायटीशियन, दिल्ली)
