ओमेगा-3 फैटी एसिड की खुराक लेना है जरूरी: Omega 3 Fatty Acid
Take Omega-3 Meals and Supplements

Omega 3 Fatty Acid: अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है, बैलेंस और हैल्दी डाइट जिसमें विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन जैसे सभी पौष्टिक तत्व ही नहीं, वसा भी हो। ये हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं और अनेक बीमारियो से हमारा बचाव भी करते हैं। इनमें से एक है ओमेगा-3 फैटी एसिड, जो वसा का एक प्रकार है। यह हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं की झिल्ली या बाहरी परत (सेल्स मैमबैरन) का अभिन्न हिस्सा है और इन बाहरी परत में सेल रिसेप्टर्स के कार्य को प्रभावित करता है। ओमेगा-3 शरीर में हार्मोन्स के निर्माण, शारीरिक और मानसिक विकास में में मदद करता है, शरीर में ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, धमनियों के संकुचन से होने वाली ब्लड क्लाॅटिंग या सूजन नियंत्रित करता है। इतना ही नहीं ये रूमेटी गठिया, हृदय रोगों, स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाता है।

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क्या है ओमेगा-3

ओमेगा-3 वास्तव में एक तरह का पाॅली अनसेचुरेटिड फैटी एसिड है। जिसे हमारी बाॅडी बना नहीं सकती है, इसे हम केवल अपने आहार के माध्यम से ही प्राप्त कर सकते हैं। अगर आहार में ओमेगा-3 की आपूर्ति नहीं हो पाती, तो इसके लिए अलग से काॅडलिवर फिश ऑयल कैप्सूल सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं। हमारे भोजन में ओमेगा-3 तीन तरह का होता है-
1) अल्फा-लिनोलेनिक एसिड ( एएलए)- प्लांट्स या पेड़-पौधों से मिलने वाला ऑयल।
2) इकोसापेंटेनोइक एसिड (ईपीए)- सी-फूड या समुद्री जीव-जंतुओं से मिलने वाला ऑयल।
3) डोकोसाहेक्सानोइक एसिड (डीएचए)- सी-फूड या समुद्री जीव-जंतुओं से मिलने वाला ऑयल।

स्रोत

शाकाहारी और मांसाहारी दोनों स्रोतों से हमें ओमेगा-3 फैटी एसिड मिलता है। एएलए या प्लांट्स में यह अखरोट जैसे सूखे मेवे, मूंगफली, अलसी या फ्लैक्स, सूरजमुखी, चिया, सरसों और कद्दू के बीज, कनोडिया या सोयाबीन जैसे वेजीटेबल ऑयल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, सोयाबीन, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्राॅबेरी, रसभरी जैसे फलों में काफी मात्रा में पाया जाता है। वहीं ट्यूना, सैलमाॅन, क्रिल्ल, हिलसा, सार्डिन जैसी मछलियां, शैवाल, झींगा जैसे सी-फूड ओमेगा-3 के ईपीए और डीएचए प्रकार केे अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा गाय का दूध, अंडे का सेवन भी फायदेमंद है।

कैसे और कितनी लें मात्रा

Omega 3 Foods
Omega 3 Fatty Acid Foods

एक स्वस्थ व्यक्ति केा अपने वजन के हिसाब से ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए। बेहतर है कि इसके लिए डाइटिशियन से सलाह लें क्योंकि अतिरिक्त फैट लेने से यह शरीर में जमा होता जाता है और मोटापे का कारण बनता है। ओमेगा-3 में रिच फ्लैक्स जैसे बीज पीस कर बने पाउडर का एक-डेढ चम्मच सुबह खाली पेट पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद है। इन पिसे बीजों को सलाद के ऊपर स्प्रिंकल करके या दही-रायते में मिलाकर भी सेवन कर सकते है। ओमेगा-3 युक्त ऑयल में खाना बनाने से इसकी आपूर्ति स्वतः ही हो जाती है। जहां तक सी-फूड का सवाल है, अमेरिकन हार्ट एसेासिएशन के वैज्ञानिको ने सप्ताह में 2-3 सर्विंग लेना उचित माना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शोधों के आधार पर यह साबित किया है कि एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की 4 ग्राम खुराक ले सकता है। चाइल्ड हेल्थ फाउंडेशन ने बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए रोजाना औसतन 2 ग्राम ओमेगा-3 का सेवन करने की सिफारिश की है। वहीं हाई ब्लड प्रैशर, हृदय रोग, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति रोजाना 1ग्राम ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकता है।

है बहुत फायदेमंद

ओमेगा-3 फैटी एसिड के तीनों प्रकार हमारे स्वास्थ्य और शारीरिक कार्यों के लिए फायदेमंद हैं-

  • ओमेगा-3 के नियमित सेवन से ब्लड में वसा या ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर नियंत्रित होता है जिससे हृदय रोगों का जोखिम 50 प्रतिशत कम रहता है।
  • इसके नियमित सेवन से आर्थराइटिस से शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वो का प्रभाव कम होता है। इससे जोड़ो में दर्द, पीठ दर्द, रुमैठी गठिया, जकड़न में आराम मिलता है।
  • बच्चों के नर्वस सिस्टम, मानसिक और शारीरिक विकास में फायदेमंद है। बच्चों की लर्निंग पाॅवर बूस्ट करता है और उनके मानसिक कौशल में सुधार करता है।
  • ओमेगा-3 अल्जाइमर रोग या पागलपन का शिकार हुए व्यक्ति की रक्षा करने में मदद करता है। उम्र बढ़ने के साथ होने वाली स्मृति हानि को कम करता है।

कमी से होने वाले रोग

पर्याप्त मात्रा में सेवन के बावजूद कई बार पाचन तंत्र में गड़बड़ी से अपच या अवशोषण में कमी होने के कारण ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी का जोखिम बढ़ जाता है। इसकी कमी से हमारे शरीर में हाई ब्लड प्रेशर, एरिदमिया, एंजाइना, कोरोनरी हृदय रोग, उच्च काॅलेस्ट्राल, डायबिटीज, सूजन, आंत्र रोग, सीलिएक रोग, फाइब्रोसिस, अल्जाइमर, संज्ञानात्मक विकार, फैटी लिवर जैसे रोग हो सकते हैं। ओमेगा-3 की कमी से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ जाता है जिससे व्यक्ति को जोड़ों में आर्थराइटिस, गट के अंदर गैस्ट्राइटिस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। रिसर्च से साबित हो चुका है कि आहार में ओमेगा-3 की कमी से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 1 लाख लोगों की मौत के पीछे ओमेगा-3 की कमी का हाथ होता है। अमेरिकन जर्नल क्लीनिकल न्यूट्रीशन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शरीर में ओमेगा-3 की कमी से मौत का खतरा बढ़ा है और संज्ञानात्मक गिरावट आई है।

एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि सामान्य आहार लेने वाली 19 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में ओमेगा-3 की कमी पाई गई जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चों के शारीरिक और मानसिक न्यूरोजिकल विकास में बाधा पड़ती है। हमारे मस्तिष्क के वजन का 60 प्रतिशत भाग वसा है। डीएचए ओमेगा -3 एसिड की कमी से व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में कमजोरी आ जाती है, याददाश्त कमजोर हो जाती है, अल्जाइमर या पार्किंसंस रोग हो जाता है और रीजनिंग पाॅवर कम रह जाती है। कई मामलों में व्यक्ति के डिप्रेशन की मूल वजह भी ओमेगा-3 बताई जाती है।

इसके अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी से त्वचा और बाल बहुत रुखे-सूखे हो जाते हैं, उनमें खुश्की या डेंड्रफ बढ़ जाती है, खुजली रहती है। बाल गिरने की शिकायत भी रहती है। उम्र बढ़ने के साथ मैकुलर डिजनरेशन का खतरा रहता है। यानी आंखों के विजन प्रभावित होता है और आंखों की कई बीमारियां हो सकती हैं।

अत्यधिक सेवन है नुकसानदेह

लगातार ओमेगा-3 फैटी एसिड में उच्च आहार लेने से यूं तो स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन अतिरिक्त वसा शरीर की कोशिकाओं में स्टोर होने लगती है और वजन बढ़ाती है। ध्यान न देने पर भविष्य में यह हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है। मछली का तेल गैस, उल्टी ,अपच और दस्त का कारण बन सकता है। ओमेगा-3 के सेवन से डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शूगर का लेवल बढ़ने की संभावना रहती है। प्रकृति में गर्म होने के कारण गर्भवती महिलाओं को सीमित मात्रा में सेवन करना ही बेहतर है।

(डाॅ. निशा मल्होत्रा, आहार विशेषज्ञ, निशा डाइट क्लीनिक, दिल्ली से बातचीत के आधार पर )