Artificial Sweeteners: जिन लोगों को शुगर की बीमारी होती है वो लोग अक्सर अपने शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweeteners) का सेवन करते हैं। इसके पीछे उनका तर्क ये होता है कि वो इस तरह से मीठा भी खा लेते हैं जिससे उनके मुंह का स्वाद बना रहता है। और आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) खाने से उनका शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है, जिससे उन्हें शुगर बढ़ने की कोई दिक्कत नहीं होती है। लेकिन आजकल इस मॉर्डन दौर में स्वस्थ लोग भी आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन करने लगे हैं। जिसके पीछे लोग तर्क देते हैं कि इससे उनका शुगर लेवल ज्यादा नहीं बढ़ेगा और उन्हें भविष्य में शुगर की बीमारी नहीं होगी।
पर क्या आपको पता है कि एक स्वास्थ्य व्यक्ति के लिए आर्टिफिशियल शुगर (Artificial Sweeteners) का इस्तेमाल करना सही है या नहीं। क्या आप यह जानते हैं प्राकृतिक शुगर के स्थान पर यूज किया जाने वाले यह शुगर आपके लिए नुकसानदायक है या फायदेमंद है। आज हम आपको इस अर्टिकल के जरिए ये बताएंगे कि आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) के क्या फायदे और नुकसान होते हैं। इन आर्टिफिशियल शुगर (Artificial Sweetener) को एक सामान्य व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है या नहीं। आइये नीचे इस अर्टिकल में हम आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) से संबंधित सभी जानकारी आपको देते हैं-
Artificial Sweeteners: आर्टिफिशियल शुगर है क्या ?

सबसे पहले आपको आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) या शुगर के बारे में बताते हैं कि आखिर ये होता क्या है? दरअसल, आर्टिफिशियल स्वीटनर एक तरह से प्राकृतिक शुगर की जगह इस्तेमाल किए जाना वाला पदार्थ है जिसे केमिकल का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। आपको बता दें कि इसका स्वाद बिल्कुल प्राकृतिक चीनी जैसा ही होता है पर यह आर्टिफिशियल स्वीटनर चीनी से कहीं अधिक मीठा होता है। इसलिए जहां भी आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं वहां इसकी मात्रा बेहद कम होती है। इसकी एक साबूदाने की आकार की गोली आपको दो चम्मच चीनी का स्वाद दे सकती है। इसका सेवन करने वाले लोगों का दावा है कि इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ेगा क्योंकि ये जीरो कैलोरी वाले होते हैं। हालांकि इस बात में ज्यादा सच्चाई नहीं होती है और अभी तक ऐसा कुछ नहीं पाया गया है।
लोग क्यों करते हैं आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल?

अक्सर लोग प्राकृतिक शुगर से होने वाले नुकसान को देखते हुए चीनी छोड़ना चाहते हैं। लेकिन उन लोगों के लिए मीठे से दूरी बनाना थोड़ा मुश्किल होता है, इसलिए लोग प्राकृतिक चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं। और इस आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) में प्राकृतिक चीनी से कम कैलोरी होने का दावा किया जाता है जिससे लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।
आर्टिफिशियल स्वीटनर के प्रकार
बाजारों में अक्सर आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) सुक्रालोज, एसेसल्फेम के, एस्पार्टेम, सैक्रीन, सोर्बिटोल आदि कई नाम से मिलते हैं। आपको बता दें कि इन सभी में एस्पार्टेम और सोर्बिटोल सबसे ज्यादा फेमस आर्टिफिशियल स्वीटनर है।
वहीं बाजार में मिलने वाले कुछ सामान जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, स्नैक्स, पैक्ड जूस, चॉकलेट, जैम, केक, योगर्ट आदि ऐसे कुछ सामानों में भी आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग किया जाता है। इस तरह से अगर आप आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन नहीं करते फिर भी इन सभी सामानों के जरिये आपके शरीर में आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) पहुंचता है।
डॉक्टरों की राय

डॉक्टरों के अनुसार “जिनको डायबिटीज की बीमारी नहीं है उन्हें आर्टिफिशियल शुगर का सेवन नही करना चाहिए, हालांकि डायबिटीज के मरीज ये आर्टिफिशियल शुगर एक सीमित मात्रा में ले सकते हैं।” वहीं एक रिसर्च के अनुसार “सबसे ज्यादा यूज किये जाने वाला एस्पार्टेम और सुक्रालोज में लम्बे समय तक सेवन करने से नुकसान के सबूत मिले हैं, ऐसे में सामान्य रूप से इसका इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है।”
बीमारियों को दावत देते हैं आर्टिफिशियल शुगर
अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल से कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं तो हम आपको बताना चाहते हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर से पाचन तंत्र में समस्या आती है। जिससे आगे चलकर आपको हार्ट से संबंधित बीमारी, कैंसर, अस्थमा, डिप्रेशन, एलर्जी आदि बीमारी हो सकती है। वहीं एक रिसर्च के अनुसार आर्टिफिशियल स्वीटनर ब्लड में ग्लूकोज लेवल को ज्यादा कर देता है जिससे टाईप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आप अगर डायबिटीज के रोगी नहीं है तो इन आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) के सेवन से आपको ज्यादा से ज्यादा बचना चाहिए।
