Heart health
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Healthy Heart: आज की बदलती लाइफ स्टाइल के कारण महिलाओं को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है और इसी जिम्मेदारी के चलते वह पहले की तुलना में तेजी से हार्ट डिज़ीज़ से घिर रही है।पहले कहा जाता था कि हार्ट प्रॉब्लम पुरुषों में ज्यादा होती है लेकिन अब भारत में दिल की बीमारियों से ग्रस्त युवा महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि आज हार्ट डिज़ीज़ महिलाओं के लिए नंबर वन किलर बन गया है। इस बारे में डॉक्टर प्रफुल्ल कहते हैं कि दिल की बीमारी अकसर कोरोनरी आर्टरी में ब्लौकेज के कारण होती है। हालांकि, कई बार, खासकर महिलाओं में, दिल की बीमारी और इस के लक्षण हृदय की धमनी से निकलने वाली छोटी धमनियों में बीमारी होने के कारण दिखते हैं। महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण सीने में दर्द या असुविधा है। हालांकि जिन महिलाओं को हार्ट अटैक होता है उनमें आधी को ही सीने में दर्द होता है, मतलब पुरुषों की तुलना से अलग। महिलाएं अकसर चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज करती हैं और समझती हैं कि समस्या कुछ और है, जिसका नतीजा यह होता है कि महिलाओं की हृदय की अपनी बीमारी का पता बहुत देर से चलता है।

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  • विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके लिए बड़ी तेजी से तीन तरीकों- गलत डायग्नोसिस, युवा महिलाओं के बीच बढ़ते जोखिम को लेकर जागरूकता की कमी और हार्ट अटैक के संकेतों को पहचानने की अक्षमता बड़ी वजह है। मुंबई में किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रफुल्ल केरकर का कहना है, ‘महिलाओं में लक्षण को पहचानना कठिन है। पहले यह धारणा थी कि केवल पोस्ट-मेनोपॉज महिलाओं को ही हार्ट डिज़ीज़ का खतरा होता है, लेकिन अब तो युवा महिलाओं में दिल की बीमारियां देखने को मिल रही हैं।

एक सर्वे के अनुसार, आज से करीब तीन दशक पहले तक पुरुषों और स्त्रियों में दिल की बीमारी होने का औसत 5:1 था, लेकिन आज हालात कुछ और हैं और दिन-ब-दिन यह अंतर घटता जा रहा है। दुनियाभर में हार्ट अटैक से मरने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। सिर्फ पचास पार की ही नहीं, तीस व चालीस साल के बीच की उम्र की महिलाओं में भी यह खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। एक सर्वे में कहा गया है कि भारत में रहने वाली करीब 50 प्रतिशत महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक है। यह उन्हें कार्डियोवस्क्यूलर बीमारियां (सीवीडी) होने का खतरा बढ़ाता है। 2000 से 2015 के बीच कोरोनरी हार्ट की बीमारियों की वजह से होने वाली मौतों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक आयु-मानकीकृत मृत्यु दर (प्रति 1,00,000 व्यक्ति प्रति वर्ष) ग्रामीण पुरुषों में 40 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी जबकि शहरी पुरुषों में इसकी दर गिरी है। ग्रामीण भारतीय महिलाओं में यह बढ़ोतरी करीब 56 प्रतिशत रही है।

  • दिल से जुड़ी बिमारियों को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि इनके शुरुआती लक्षणों पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है और जब मरीज को पता चलता है कि उसे दिल की बिमारी है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। आपको बता दें कि छोटी-छोटी ऐसी कई बीमारियां हैं, जो गंभीर हार्ट रोगों का कारण बन सकती हैं। ऐसे में हमें इसके लक्षण की जानकारी होनी चाहिए और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। हालांकि ऐसा नहीं है कि आप इन लक्षणों को पहले से पहचान नहीं सकते हैं। बस जरूरत है तो थोड़ा सतर्क रहने की।

दिल का दौरा ऐसी बीमारी है, जिससे हार्ट गंभीर रूप से बीमार हो सकता है और मरीज की जान को खतरा हो सकता है। कोरोनरी धमनी रोग होने पर हार्ट की मांसपेशियों में ब्लड की आपूर्ति कम हो जाती है और धीरे-धीरे रक्त प्रवाह पूरी तरह बंद हो जाता है। इसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, दिल का दौरा (दिल का फैलना और पंपिंग फंक्शन का कमजोर होना, गुर्दा रोग या गुर्दा का फेल होना, आंखों की रोशनी खोना, पेरिफेरल धमनी रोग, जिसमें पैर, हाथ, पेट और आंत में रक्त की आपूर्ति घट जाती है।

  • 1) यदि आपकी आर्टरी ब्लॉक है तो आपको छाती में दबाव महसूस होगा और दर्द के साथ ही टाइट महसूस होगा।

2) दिल संबंधी कोई भी गंभीर समस्या होने से पहले कुछ लोगों को मितली आना, हृदय में जलन, पेट में दर्द होना या फिर पाचन संबंधी दिक्कतें आने लगती हैं।

  • 3) सीने में दर्द या बेचैनी है।

4) महिलाओं में जबड़े, गर्दन या पीठ (कंधे के ब्लेड के बीच), अकारण कमजोरी या थकान के साथ दर्द की संभावना अधिक होती है।

  • 5) उनमें सांस की तकलीफ जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 42: महिलाएं जिन्हें हार्ट अटैक आया उन्हें सांस लेने में परेशानी की समस्या का सामना करना पड़ा। हालांकि पुरुषों में भी यह लक्षण होता है, परंतु महिलाओं में सीने में दर्द के बिना सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

6) खांसी, चक्कर आना या मितली भी इसके कुछ लक्षण हैं। इसके परिणामस्वरूप अक्सर गलत निदान हो जाता है और उपचार में देरी होती है।

  • 7) कंधे में दर्द की शिकायत होने लगती है। ये दर्द धीरे-धीरे हाथों की तरफ नीचे की ओर जाने लगता हैं।

8) यदि आपको काफी दिनों से खांसी-जुकाम हो रहा है और थूक सफेद या गुलाबी रंग का हो रहा है तो ये हार्ट फेल का एक लक्षण है।

9) यदि आप रजोनिवृत्ति के दौर से नहीं गुजर रही हैं और फिर भी आपको अचानक पसीना आने लगे तो संभल जाएं। सामान्य से अधिक पसीना आना खासतौर पर तब जब आप कोई शारीरिक क्रिया नहीं कर रहे तो ये आपके लिए एक चेतावनी हो सकती है।

10) पैरों में, टखनों में, तलवों में और एंकल्स में सूजन आने का मतलब ये भी हो सकता है कि आपके हार्ट में ब्लड का सरकुलेशन ठीक से नहीं हो रहा।

11) हाथों में दर्द होना, कमर में दर्द होना, गर्दन में दर्द होना और यहां तक की जॉइंट में दर्द होना भी दिल की बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।

12) कई बार चक्कर आने, सिर घूमने, बेहोश होने, बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी एक चेतावनी हैं। चक्कर आना या सिर घूमना हार्ट अटैक का एक अन्य लक्षण है। यह हृदय को जाने वाली एक शिरा में अवरोध होने के कारण होता है। जब महिलाओं को अपने अंदर ये बदलाव दिखे तो उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। इसे काम के प्रेशर के चलते होने वाली कमजोरी या फिर कोई दूसरा कारण ना समझें। हार्ट अटैक के लक्षणों को अक्सर लोग मामूली समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके परिणाम बाद में झेलने पड़ते हैं।

  • 1) भारतीय महिलाओं में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहा है और इसके पीछे उनकी सुस्त जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण कारण हो सकते हैं।
  • 2) महिलाएं दिल की समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श नहीं करतीं। ये उनके लिए खतरनाक साबित होता है। इनमें टैकीकॉर्डिया का इलाज भी नहीं किया जाता है और आमतौर पर यह चिंता का कारण बन जाता है।
  • 3) यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महिलाओं में हृदय के इलेक्ट्रिकल डिस्ऑर्डर होना अत्यधिक सामान्य बात है। उनमें अक्सर दिल धड़कने की दर में वृद्धि हो जाती है, जिसे पैल्पिटेशन कहते हैं। 130 या 140 से अधिक की हृदय गति खतरनाक मानी जाती है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है जिसके प्रति महिलाएं लापरवाही बरतती है।
  • 4) कुछ हृदय रोग जोखिम कारक महिलाओं के लिए अद्वितीय हैं, जिनमें पोस्टमेनोपॉजल स्टेटस, हिस्टेरेक्टॉमी, गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग और गर्भावस्था तथा इसकी जटिलताएं शामिल हैं।
  • महिलाएं आमतौर पर परेशानियों और दर्द की अनदेखी करती हैं। जटिलताओं पर देर से प्रतिक्रिया देती हैं। यह उनमें हृदय रोगों के बढ़ने की प्रमुख वजह है।
  • 5) अक्सर कभी-कभी बैठे-बैठे तो कभी रात को सोते समय मांसपेशियों में जकड़न यानी क्रेम्प से आप बेचैन हो उठती हैं। इसको हल्के में न लें। यह पेरीफेरल आॢटयल डिज़ीज़ हो सकती है। कूल्हे, जांघ या फिर चलते हुए क्रेम्प के आने का अर्थ है कि उस हिस्से में रक्त प्रवाह नहीं पहुंच रहा। डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
  1. अगर आपकी उम्र 30 वर्ष से अधिक है तो आपको रेगुलर चेकअप की आवश्यकता है।
    यदि कोई भी काम करते वक्त आपकी सांसें फूलने लगती हैं।
  2. वजन औसत से 10 से 15 किलो अधिक है।
  3. आपको डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचाप की शिकायत है।
  4. आप अपने ऑफिस में स्ट्रेस से जूझ रहे हैं।
  5. पेट पर चर्बी का जमाव ज्यादा हो और कमर की चौड़ाई 80 सें.मी. से अधिक हो।
  6. रक्त में ट्राइग्लिसिराइड की मात्रा 150 से अधिक हो।
  7. फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज लेवल 100 या उससे अधिक हो।
  8. आपके परिवार में किसी को हार्ट डिसीज, डायबिटीज या हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत हो।
  1. अपनी तकलीफ को छोटा समझकर छिपाएं नहीं, न ही नजरअंदाज करें। दिल के दौरे का इलाज जितना जल्दी हो सके, हो जाना चाहिए। वरना आपको अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है।
  2. तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें। तनाव के लेवल को 50 फीसदी से नीचे रखें। इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है। इससे आपको बेहतर जीवन स्तर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
  3. कोलेस्ट्रॉल वसायुक्त पदार्थ है, जो हमारे शरीर में होता है। मस्तिष्क और सेलुलर फंक्शंस को बनाने के लिए कोलेस्ट्रॉल की कुछ मात्रा की आवश्यकता होती है लेकिन जब यह अधिक हो जाता है तो हमारे शरीर और दिल के लिए नुकसानदायक होता है। कोलस्ट्रॉल कम करने के लिए भोजन बगैर तेल के बनाएं। कोलेस्ट्रॉल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, जिनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
  4. शरीर के वजन को सामान्य रखें। आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल नहीं खाकर एवं निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
  5. रेशेदार भोजन का सेवन करें। भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें। ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
  6. अपनी शुगर को नियंत्रण में रखें। आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए मधुमेह को खतरनाक न बनने दें। अगर जरूरत पड़े। तो हल्की दवाओं का सेवन करना चाहिए।
  7. हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान तरीका है कि हार्ट में अधिक रुकावटें न होने दें। यदि आप इन्हें घटा सकते हैं तो हार्ट अटैक कभी नहीं होगा।
  8. दिल की बिमारियों के खतरे को कम करने में भी काजू मददगार है, क्योंकि इसमें मोनो सैचुरेटेड फैट होता है।
  1. स्वस्थ दिल के लिए विटामिन सी युक्त खाना जैसे- संतरा, नींबू और आंवला आदि को अपने डाइट चार्ट में शामिल करें। अपनी एंटी-ऑक्सीडेंट गुण के कारण यह साबित हो चुका है कि विटामिन सी दिल की बीमारियों को कम करने में मददगार हैं। सोय और टोफू प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और पोलीअनसैचुरेटिड फैट से भरपूर होता है, जो कि दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। सोय एलडीएल स्तर को कम करने में भी सहायक है।
  2. दिल के लिए काफी फायदेमंद है सरसों का तेल ब्लूबेरीज में एंथोसायनिन भरपूर मात्रा में होता है, जोकि एक प्रभावी एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
  3. बादाम और अखरोट दिल के लिए अच्छे होते हैं। इनमें विटामिन ई होता है। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। साथ ही, यह ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। यह ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त होती है। कई अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम करता है इसलिए दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। जैतून का तेल मोनोसैचुरेटेड फैट का अच्छा स्रोत है, जोकि कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर दोनों कम करता है।
  4. ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां खाएं, जैसे- ब्रॉक्ली, पालक आदि। ये कैराटेनॉइड्स से भरपूर होते हैं, जो कि स्वतंत्र कणों से कोशिकाओं के ऑक्सीकरण को बचाता है।
  5. अपनी डेली डाइट में एक छोटा चम्मच अलसी के बीज और एक प्रकार के तुलसी के बीज (चिया सीड्स) जरूर शामिल करें। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और पॉलीफेनॉल्स भरपूर मात्रा में होता है।
  6. कॉर्डियोलॉजिस्ट के चक्कर से बचना है तो प्रोसेस्ड टमाटर पेस्ट, केचअप, सॉस, जूस के अलावा तरबूज का सेवन करें।
  1. नीदरलैंड और अमेरिकी शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान पाया कि हृदय रोग के जोखिम को कम करने में योग उतना ही लाभकारी है जितना पारंपरिक शारीरिक गतिविधियां जैसे तेज टहलना। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह निष्कर्ष उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है, जो दिल से जुड़ी बिमारियों के जोखिम को कम करने के लिए पारंपरिक कसरत करना पसंद नहीं करते। रोटरडम स्थित इरेस्मस यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और बॉस्टन स्थित हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ में प्रोफेसर और मुख्य लेखक मिरियम हूनिंक ने कहा कि ये परिणाम इस बात के सूचक हैं कि योग सशक्त रूप से बेहद उपयोगी है और मेरी नजर में जोखिम को कम करने का एक बेहतर उपाय है।
  2. सप्ताह में कम-से-कम एक दिन 30 मिनट तक एरोबिक एक्सरसाइज करें। जॉगिंग करना, दौड़ना, साइकिल चलाना आदि एरोबिक एक्सरसाइज में शामिल है।
  3. सीढ़ी चढ़ना यह ऐसी गतिविधि है जिसे घर पर या अपने वर्कप्लेस दोनों जगह किया जा सकता है। यह भी एक तरह की एरोबिक एक्सरसाइज ही है। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी एरोबिक एक्सरसाइज से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए आपके दिल की धड़कन को सामान्य से अधिक 50 और 85 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं।
  4. रोज 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें। यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा। आपको एक्टिव रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार होगा।
  5. गहरी सांस, एकाग्रता और लयबद्ध शारीरिक गतिविधियों के जरिये ताई ची का अहम हिस्सा हैं। ताई ची तनाव कम करने और दिल को मजबूत बनाने के लिये कारगर नुस्खा है।6
  6. दिल को मजबूत रखने के लिये डांसिंग सबसे अच्छी और रोचक एक्सरसाइज है। जो लोग कार्डियावेस्कुलर बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके लिये ये सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज है।
  7. रोज आधे घंटे तक जरूर टहलें। टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए कि जिससे सीने में दर्द न हो और हांफें भी नहीं। यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है।