आप क्या सोच रही होंगी?
1. म्यूकस प्लग
“मुझे लगता है कि मेरा म्यूकस प्लग निकल गया है? क्या मुझे डॉक्टर को फोन करना चाहिए?”
कई बार सर्विक्स के फैलाव के समय वह जिलेटिन‒सा फूला हुआ म्यूकस प्लग निकल जाता है। कई महिलाओं को टॉयलेट में इसका पता चल जाता है और कुछ इस बारे में ध्यान नहीं दे पातीं। हालांकि इसके निकलने का मतलब है कि आपका शरीर आने वाले समय के लिए तैयार हो रहा है, लेकिन यह इस बात का संकेत नहीं है कि वह दिन आ ही पहुँचा है। इस बिंदु पर प्रसव का समय; एक दिन, दो दिन या फिर कई सप्ताह दूर हो सकता है, जिसके साथ आपका सर्विक्स धीरे-धीरे खुलता जाएगा। इसलिए डॉक्टर को बुलाने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
अगर म्यूकस प्लग नहीं खुला है तो भी इसके लिए परेशान न हों। दूसरा आपके प्रसव के समय से कोई लेना-देना नहीं है।
2. रक्तस्राव
“मुझे हल्के गुलाबी म्यूकस का स्राव हो रहा है। क्या प्रसव का समय आ गया है?”
इसे हम प्रसव से पहले की तैयारी कह सकते हैं। खून के साथ हल्के गुलाबी या भूरे रंग के स्राव का मतलब है कि सर्विक्स की रक्त नलिकाएँ फूट रही हैं क्योंकि उसका फैलाव हो रहा है डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उम्मीद है कि शिशु एक-दो दिन में आपके पास होगा। हालांकि प्रसव का समय पूरी तरह से अनिश्चित होता है इसलिए हम प्रसव का दर्द शुरू होने से पहले कुछ नहीं कह सकते। अगर यह स्राव अचानक गाढ़े लाल रंग का हो जाए तो डॉक्टर से मिलने में देर न करें।
3. पानी की थैली फटना
“आधी रात को गीले बिस्तर पर मेरी आंख खुल गई। मैंने बिस्तर पर मूत्र त्याग किया होगा या पानी की थैली फटी है?”
चादर सूंघकर थोड़ा-बहुत अंदाजा लगा सकती हैं। अगर यह गंध तेज अमोनिया (मूत्र)जैसी नहीं है तो यह एम्निओटिक द्रव्य हो सकता है। हो सकता है कि आपके शिशु का सुरक्षा कवच बनी पानी की थैली फटी हो।आपको एक हल्के से पीले रंग का स्राव लगातार होता रहेगा जो कि डिलीवरी के बाद ही बंद होगा।
आप कीगल व्यायाम करें। अगर यह बहाव रुक जाता है तो यह मूत्र है, यदि नहीं रुकता तो एम्निओटिक द्रव्य ही है।
लेटते समय इसका रिसाव ज्यादा होता है क्योंकि खड़े होने पर तो शिशु का सिर आगे आने से बहाव रुक जाता है। आपके डॉक्टर ने इस बारे में पहले ही निर्देश दे दिए होंगे लेकिन यदि कोई शक हो तो उन्हें फोन कर लें।

“पानी की थैली फटने के बावजूद प्रसव पीड़ा शुरू नहीं हुई। प्रसव कब तक शुरू होगा और इस दौरान मुझे क्या करना चाहिए?”
प्रसव होने ही वाला है। कई महिलाओं को थैली फटने के १२ घंटे के भीतर प्रसव पीड़ा होने लगती है तो कइयों को २४ घंटे तक लग जाते हैं। १० में से १ मामले में यह समय और भी ज्यादा हो जाता है। यह समय जितना बढ़ेगा,खतरा उतना ही बढ़ेगा। इस संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टर २४ घंटे के भीतर ही प्रसव शुरू कर देते हैं। कुछ तो सिर्फ ६ घंटे का ही इंतजार करते हैं। कई महिलाएँ भी इस स्थिति के बाद ज्यादा लंबे समय तक रुकना पसंद नहीं करतीं।
सबसे पहले तो अपने पास पैड या तौलिया रखकर डॉक्टर को फोन करें। योनि को साफ-सुथरा रखें ताकि संक्रमण की संभावना न रहे। बहाव-रोकने के लिए टैंपून की बजाए पैड लें। सेक्स न करें। वैसे तो इस समय आप भी नहीं चाहेंगी। अपने-आप भीतरी जांच न करें और टॉयलेट जाने पर आगे से पीछे की ओर पोंछें।
कई बार ऐसा भी होता है कि अभी शिशु का सिर पेल्विस एरिया में नहीं आया होता और द्रव्य के साथ नाल की योनि तक आ जाता है। ऐसा कुछ महसूस होते ही डॉक्टर को सूचित करें।
4. गहरा एम्निओटिक द्रव्य
“मेरी झिल्ली फट गई है और द्रव्य साफ नहीं है। यह हल्के-भूरे रंग का है। इसका क्या मतलब है?”
हो सकता है कि एम्निओटिक द्रव्य के साथ हल्का हरा-भूरा मीकोनियम भी आ रहा हो। दरअसल वह शिशु का पहला मल है जोकि अक्सर जन्म के बाद होता है। लेकिन कभी-कभी जब भ्रूण कोख में काफी तनाव में होता है या फिर समय ज्यादा हो जाता है तो जन्म से पहले ही शिशु मल कर देता है। इसकी सूचना अपने डॉक्टर को अवश्य दें। इसका मतलब है कि शिशु काफी दबाव में हैं। वे जल्द से जल्द प्रसव शुरू करेंगे और शिशु पर लगातार निगरानी रखेंगे।

5. प्रसव के दौरान एम्निओटिक द्रव्य में कमी
“मेरे डॉक्टर ने कहा कि एम्निओटिक द्रव्य काफी कम है, जिसको पूरा करना पड़ेगा।क्या इसमें घबराने वाली कोई बात है?”
वैसे तो कुदरत इस द्रव्य की कमी नहीं होने देती। अगर कमी हो जाए तो मेडिकल सांइस की मदद ली जा सकती है। गर्भाशय में सर्विक्स से एक कैथेरेटर भीतर डाला जाता है,जिससे एम्निओटिक सैक में सेलाइन सोल्यूशन डालते हैं। यह प्रक्रिया एमनिओइंफ्यूजन कहलाती है। इसके बाद ऑप्रेशन की संभावना काफी हद तक घट जाती है।
6. संकुचन में अनियमितता
“चाइल्ड क्लास में हमें सिखाया गया था कि जब प्रसव पीड़ा नियमित हो जाए व हर पाँच मिनट बाद संकुचन होने लगे, तभी अस्पताल जाना चाहिए। मेरे तो पाँच मिनट से भी कम समय पर हैं लेकिन अभी भी नियमित नहीं हैं, मैं क्या करूँ?”
जिस तरह दो महिलाओं की गर्भावस्था एक सी नहीं होती, उसी तरह उनके प्रसव भी एक से नहीं होते। अक्सर किताबों, चाइल्ड-बर्थ कक्षाओं में या फिर डॉक्टर द्वारा जो बताया जाता है, जरूरी नहीं कि सबके साथ वैसा ही हो। हालांकि यह भी सच है कि संकुचन नियमित होने चाहिए।
अगर आपको 20 से 60 सेकंड के तेज संकुचन हो रहे हैं व 5-7 मिनट के अंतराल पर हैं पर नियमित नहीं हैं तो इंतजार किए बिना अस्पताल या बर्थ सेंटर जाएँ, फिर चाहे आपने कुछ भी पढ़ा या सुना क्यों न हो। हो सकता है कि वहाँ पहुँचने तक वे नियमित हो जाएँ और आप प्रसव के सक्रिय फेस में पहुँच जाएँ।
7. प्रसव के दौरान डॉक्टर को बुलाना
“मेरे संकुचन हर ३-४ मिनट बाद हो रहे हैं। मुझे डॉक्टर को यह बताना बेवकूफी लग रही है क्योंकि उन्होंने कहा था कि हमें लेबर के कई शुरूआती घंटे घर में ही बिताने चाहिए।”
इसमें कोई हर्ज नहीं है। यह सच है कि पहली बार माँ बनने वाली महिलाएँ अपनी लेबर के शुरूआती घंटों में बड़े आराम से अस्पताल जाने की तैयारी कर सकती हैं और शिशु का सामान सहेज सकती है। लेकिन ऐसा लगता है कि आपका लेबर उस ढांचे से मिलता-जुलता नहीं है। अगर आपको हर 5 मिनट में 45 सेकंड तक के तेज संकुचन हो रहे हैं तो आपकी प्रसव पीड़ा का आखिरी दौर तेजी से शुरू हो सकता है। यह भी हो सकता है कि प्रसव का पहला चरण दर्द रहित हो और इसी दौरान सर्विक्स का मुख खुल जाए! इसका मतलब होगा कि आपको अचानक अस्पताल या बर्थ सेंटर भागना पड़ सकता है।
इसलिए डॉक्टर को फोन करने में देर न करें। उन्हें संकुचन का समय, अंतराल वगैरह साफ-साफ बताएँ। हालांकि डॉक्टर फोन पर आपकी आराम से गंभीरता का अंदाजा लगाने की कोशिश कर सकते हैं इसलिए दर्द दबाकर, बहादुर बनने की कोशिश न करें। तकलीफ या चीजों को अपने-आप उन तक पहुंचने दें।
यदि डॉक्टर न मानें तो उनसे पूछें कि क्या आप उनके ऑफिस में जांच कराने आ सकती हैं।अपना बैग साथ ले जाएँ। अगर अभी काफी देर हो तो घर लौटने में भी शर्म महसूस न करें।
8. सही समय पर अस्पताल न पहुँच पाना
“मुझे डर है कि मैं सही वक्त पर अस्पताल नहीं पहुँच पाऊँगी?”
खुशकिस्मती से आप टी.वी. में ऐसी जो भी डिलीवरी देखती हैं, वह सब झूठ होता है।आमतौर पर पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं के पास प्रसव की सूचना बहुत पहले पहुँच जाती है बहुत कम मौके ऐसे आते हैं जब अचानक ही नीचे की ओर दबाव पड़ता है और उसे लगता है कि मूत्र की इच्छा हो रही है। वैसे बेहतर होगा कि आप और आपका कोच दोनों ही इमरजेंसी डिलीवरी के बारे में जानकारी लें ताकि कभी ऐसे हालात बन भी जाएँ तो मामला संभालने में परेशानी न हो।
