‘‘टाँगों में अक्सर ऐंठन होने की वजह से मैं रात को सो नहीं पाती”

दूसरी तीसरी तिमाही में अक्सर टाँगों में ऐंठन की शिकायत देखी जाती है। हालांकि इनका निश्चित कारण कोई नहीं जानता। कई सिद्धांत ऐसे हैं जो गर्भावस्था के भार, रक्त नलिकाओं का टांगों पर दबाव व आहार (फास्फोरस की अधिकता,कैल्शियम व मैग्नीशियम की कमी) को इसका दोषी ठहराते हैं। आप हार्मोन को भी इसका दोषी ठहरा सकती हैं क्योंकि उनकी वजह से भी गर्भावस्था में कई तकलीफें हो जाती हैं। कारण कोई भी हों, आप उनसे बचाव के उपाय कर सकती हैं।

  • जब भी टाँगों में जकड़न हो तो टाँगें सीधी करें। अपने टखने व पंजे ऊपर की ओर खींचें। इससे दर्द घटेगा। रात को सोने से पहले इसे दोनों टाँगों से कई बार करें।
  • स्ट्रैचिंग व्यायाम से, दर्द होने से पहले ही उसे रोका जा सकता है। सोने से पहले,दीवार से 2 फुट की दूरी पर खड़े हों।अपनी हथेलियाँ दीवार पर टिकाएँ। आगे की ओर झुकें। आपकी एड़ियाँ फर्श पर टिकी रहें। 10 सेकंड तक यही मुद्रा बनाए रखें। फिर 5 सेकंड आराम करें। इसे तीन बार दोहराएँ।
  • अपने पैरों का फालतू भार घटाने के लिए इन्हें ऊंचा करके बैठें दिन में स्पोर्ट होज़ पहनें। पैरों की लोच बनाए रखें।
  • ठंडी जगह खड़े होने से भी इस जकड़न से आराम मिलता है।

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  • आप मालिश या सेंक की मदद भी ले सकती हैं लेकिन फ्लैक्सिंग या ठंडे फर्श से भी आराम न मिले तो मालिश या सेंक न आजमाएं।
  • दिन में कम से कम आठ गिलास पानी अवश्य पीएँ।
  • पूरी तरह से संतुलित आहार लें, जिसमें कैल्शियम व मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा हो।
  • कई बार ज्यादा ऐंठन से मांसपेशियों में भी सूजन आ जाती है। उससे बिल्कुल न घबराएँ। यदि दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर को दिखाएँ। हो सकता है कि नस में खून का कतरा जम गया हो।

जब कुछ ठीक न लगे

कभी-कभी पेट में तेज दर्द, योनि के स्राव के रंग में बदलाव, पीठ या पेल्विक क्षेत्र में दर्द जैसा कोई भी लक्षण गंभीर लगे तो डॉक्टर को बुलाने में देर न करें। उन्हें अपने पिछले लक्षण भी बताएँ ताकि वे उन्हें इनके साथ जोड़ कर देख सकें। याद रखें कि आप ही अपने शरीर को सबसे बेहतर जानती हैं। सुनें कि ये आपसे क्या कहना चाहता है।