micro stressors effects on women health
micro stressors effects on women health

Overview:

दिनभर में आपके दिल में ऐसी कितनी ही बातें आती हैं। ये सभी आपको कहीं न कहीं तनाव देती हैं। यही है 'माइक्रो स्ट्रेसर्स'। माइक्रो स्ट्रेसर्स भले ही नजर न आएं, लेकिन ये आपकी जिंदगी पर गहरा असर डालते हैं।

Women and Stress: आज खाने में क्या बनाना है, नहाने के बाद टॉवल बैड पर क्यों डाला है, सड़क पर ट्रैफिक इतना क्यों है, ऑफिस में वर्क प्रेशर बढ़ता जा रहा है या मुस्कान ने सौरभ को क्यों मारा। दिनभर में आपके दिल में ऐसी कितनी ही बातें आती हैं। ये सभी आपको कहीं न कहीं तनाव देती हैं। यही है ‘माइक्रो स्ट्रेसर्स’। माइक्रो स्ट्रेसर्स भले ही नजर न आएं, लेकिन ये आपकी जिंदगी पर गहरा असर डालते हैं। शोध बताते हैं कि ये पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करते हैं।

जानिए क्या है माइक्रो स्ट्रेसर्स

Women and Stress
Women and Stress-anxiety and depression symptoms

माइक्रो स्ट्रेसर्स का मतलब है हमारी जिंदगी में आने वाले वो छोटे-छोटे तनाव, जो रोजमर्रा की जिंदगी का ही एक हिस्सा हैं। ये छोटे तनाव आपको भले ही महत्वहीन लगें। लेकिन असलियत में ये आपको काफी प्रभावित करते हैं। समय के साथ ये और भी बढ़ने लगते हैं। जिससे आप हर समय टेंशन में रहने लगते हैं। माइक्रो स्ट्रेसर्स के कारण शरीर में तनाव का हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ने लगता है। इससे मूड खराब होता है और फोकस में कमी आने लगती है। ये माइक्रो स्ट्रेसर्स आपकी पूरी हेल्थ को प्रभावित करते हैं।

जरूरी है प्रभाव पहचानना

टेंशन, स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जायटी जैसे भारी भरकम शब्दों के बीच माइक्रो स्ट्रेसर्स कहीं न कहीं दब गए हैं। लेकिन माइक्रो स्ट्रेसर्स के प्रभाव नजर आने पर आपको सतर्क हो जाना चाहिए।

1. हर समय थकान महसूस होना

माइक्रो स्ट्रेसर्स के कारण आप मानसिक थकान महसूस करने लगते हैं। कभी-कभी यह बर्नआउट का कारण भी बन सकता है। ये थकान आपको सिर्फ घर के माइक्रो स्ट्रेसर्स के कारण ही नहीं होता। बल्कि ऑफिस, घर के बाहर के माहौल के कारण भी होता है। इससे आत्मसम्मान में कमी आने लगती है।

2. हर समय चिड़चिड़ापन

माइक्रो स्ट्रेसर्स से जूझ रहे लोग अक्सर चिड़चिड़े हो जाते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं। जिसके कारण बात—बात पर उन्हें गुस्सा आता है। जब जिंदगी में किसी को बार-बार समझौता करना पड़ता है तो यह स्थिति और बढ़ जाती है।

3. फोकस की कमी

कभी-कभी आप अंदर से इतना परेशान होते हैं कि किसी काम पर आप फोकस ही नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आप दूसरों के लिए नकारात्मक सोचने लगते हैं। जिससे प्रोडक्टिविटी भी कम हो जाती है। आप टारगेट पूरे नहीं कर पाते और दबाव महसूस करने लगते हैं।

4. हमेशा निराशा का भाव

माइक्रो स्ट्रेसर्स के कारण आप निराशा में डूबने लगते हैं। यह निराशा कभी—कभी गुस्से में बदल जाती है। हर छोटी-छोटी बात पर लोगों को गुस्सा आने लगता है।

आप ऐसे लड़े माइक्रो स्ट्रेसर्स से

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. ध्रुति अंकलेसरिया ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में माइक्रो स्ट्रेसर्स से निजात पाने का तरीका बताया। अगर आप जिंदगी में खुश रहना चाहते हैं तो माइक्रो स्ट्रेसर्स को मैनेज करना आपको आना चाहिए।

1. सीमाएं करें तय

सबसे पहले अपने दिल को यह सच्चाई कबूलने के लिए तैयार करें कि आप हर किसी को खुश नहीं रख सकते। आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लें। कोई न कोई कमी रह जाएगी। इसलिए टेंशन फ्री रहने की कोशिश करें। आप जितना कर सकती हैं, उतना ही काम करें।

2. ना कहना सीखें

आप जो काम नहीं कर सकते हैं, उसके लिए खुलकर ‘ना’ कहना सीखें। अगर कोई काम आप नहीं कर पा रहे हैं तो उसे छोड़ दें। और इसके लिए न ही कोई अपराध बोध करें, न ही तनाव लें।

3. लाइफ में बैलेंस बनाएं

गी में बैलेंस यानी संतुलन बनाना सीखें। अपने काम को एंजॉय करें। जिंदगी जीने की सोचें। इससे माइक्रो स्ट्रेसर्स कम होंगे और आपको अच्छा लगेगा। घर के काम हो या ऑफिस का वर्कलोड, आप मानसिक रूप से शांति महसूस करेंगे।

4. माइंडफुल की ओर बढ़ें

माइक्रो स्ट्रेसर्स को दूर करने के लिए आप माइंडफुलनेस की ओर कदम बढ़ाएं। खुद को समय दें। मेडिटेशन करें, जिससे आप रिलेक्स हो पाएंगे। आप अंदर से एनर्जी भी महसूस करेंगे।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...