पथरी के उपचार के इस्तेमाल होती है लिथोट्रिप्सी, इसके बारे में यह जानकारी है जरूरी: Lithotripsy Treatment
Lithotripsy Treatment

पथरी के उपचार के इस्तेमाल होती है लिथोट्रिप्सी, इसके बारे में यह जानकारी है जरूरी: Lithotripsy

लिथोट्रिप्सी वो प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल किडनी स्टोन या अन्य अंगों में पथरी के उपचार के लिए होता है। जानिए इससे जुड़े रिस्क्स और कुछ अन्य खास बातों के बारे में।

Lithotripsy Treatment: लिथोट्रिप्सी एक मेडिकल प्रोसीजर है, जिसका इस्तेमाल किसी खास तरह के किडनी स्टोन या अन्य अंगों में स्टोन्स जैसे गालब्लैडर या लिवर के उपचार के लिए होता है। किडनी स्टोन्स की समस्या तब होती है जब यूरिन में मिनरल्स और अन्य पदार्थ रोगी की किडनी में क्रिस्टलाइज हो जाते हैं, जिससे ठोस पदार्थ या पथरी बन जाती है। हालांकि, यह स्टोन मूत्र त्याग के दौरान शरीर से प्राकृतिक रूप से निकल जाते हैं। लेकिन, कई बार अन्य तरीकों का इस्तेमाल भी करना पड़ता है। लिथोट्रिप्सी में शॉक वेव और लेजर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि किडनी, गालब्लेडर आदि के स्टोन को ब्रेक किया जा सके। लेकिन, कई बार शरीर बड़ी पथरी को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाते हैं। जब स्टोन्स के कारण ब्लीडिंग, बहुत अधिक दर्द या यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शंस जैसी परेशानियां होती हैं, तो डॉक्टर लिथोट्रिप्सी की सलाह दे सकते हैं।

लिथोट्रिप्सी क्यों की जाती है?

इस प्रोसीजर को किडनी स्टोन को रिमूव करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो इन समस्याओं का कारण बन रहे होते हैं:

  • ब्लीडिंग 
  • किडनी में डैमेज
  • दर्द
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शंस

हालांकि, सभी किडनी स्टोन्स लिथोट्रिप्सी के माध्यम से रिमूव नहीं किए जा सकते हैं। ऐसे में इन्हें अन्य तरीकों से रिमूव किया जाता है जैसे:

  • पीठ में एक छोटे सर्जिकल कट के माध्यम से एक ट्यूब यानी एंडोस्कोप को किडनी में डाला जाता है।
  • एक छोटी लाइट वाली ट्यूब यानि यूरेट्रोस्कोप को मूत्राशय के माध्यम से युरेटर्स में डाली जाती है। यूरेटर वे ट्यूब होते हैं जो किडनी को ब्लैडर से जोड़ते हैं। 
  • इसके अलावा ओपन सर्जरी की जाती है, जिसकी जरूरत दुर्लभ मामलों में पड़ती है।
Lithotripsy Treatment
 Lithotripsy Risks

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लिथोट्रिप्सी से जुड़े रिस्क 

अधिकतर मामलों में लिथोट्रिप्सी सुरक्षित मानी गई है। इससे संबंधी जटिलताओं के बारे में डॉक्टर से बात करें जैसे:

  • किडनी के आसपास ब्लीडिंग, जिसके लिए आपको ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत हो सकती है।
  • किडनी इंफेक्शन
  • स्टोन के टुकड़े किडनी से यूरिन के फ्लो को ब्लॉक कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो आपको अतिरिक्त प्रोसीजर्स की जरूरत पड़ सकती है।
  • पेट या स्मॉल इंटेस्टाइन में अल्सर
  • इसके बाद किडनी को सही से काम करने में समस्या होना

इन बातों का रखना चाहिए ध्यान 

लिथोट्रिप्सी एक सुरक्षित तकनीक है। लेकिन, इससे पहले आपके लिए कुछ खास चीजों की जानकारी होना जरूरी है जैसे:

  • लिथोट्रिप्सी से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें अगर आप प्रेग्नेंट हैं या आप कुछ दवाईयों, सप्लीमेंट्स आदि को ले रहे हैं जिनकी सलाह डॉक्टर ने नहीं दी है।
  • सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको ब्लड थिनर न लेने की सलाह दी जाती है जैसे एस्पिरिन, आइबूप्रोफेन, वार्फरिन आदि। यह दवाईयां लेने से ब्लड को क्लॉट बनने में मुश्किल होती है। इस बारे में डॉक्टर की सलाह लें। सर्जरी से पहले उन दवाईयों को लेकर भी डॉक्टर से अवश्य बात करें जिन्हें आप ले रहे हैं।
  • लिथोट्रिप्सी से कई घंटों पहले रोगी को कुछ भी खाने या पीने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसके साथ ही रोगी के लिए डॉक्टर द्वारा बताई दवाईयां लेना जरूरी है।
  • लिथोट्रिप्सी के बाद रोगी को कम से कम दो घंटों के लिए रिकवरी रूम में रखा जाता है। अधिकतर रोगियों को इसके बाद उसी दिन घर जाने की अनुमति मिल जाती है।
Lithotripsy
Lithotripsy

आप इस प्रोसीजर के बाद कितनी जल्दी रिकवर हो जाते हैं, यह बात स्टोन्स की संख्या, साइज आदि पर निर्भर करता है। इसके साथ ही यह इस पर भी निर्भर करता है कि यह स्टोन यूरिनरी सिस्टम में कहां है। अधिकतर बार लिथोट्रिप्सी प्रोसीजर से सभी स्टोन्स रिमूव हो जाते हैं।