जानें मातृत्व के 1000 दिन क्यों है बच्चे के जीवन के लिए जरूरी?
मातृत्व के पहले 1000 दिनों पर शिशु का संपूर्ण स्वास्थ्य आधारित होता है। इसलिए इन 1000 दिनों का महत्त्व समझना हर माँ के लिए जरूरी है और इस समय में उसको अपना और अपने शिशु दोनों के स्वास्थ्य का ख़ास ख्याल रखने की जरूरत होती है तभी आपका बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ रहेगा।
Infants health : ब्रेस्टफीडिंग से अक्सर लोग वो ही समय समझते हैं जब बच्चा माँ का दूध पीता है, लेकिन दरअसल ब्रेस्टफीडिंग का समय बच्चे के गर्भ में आने से ही शुरू हो जाता है और बच्चे के 2 साल के होने तक रहता है, यानि की प्रेगनेंसी के 270 दिन और अगले दो सालों के 730 दिन। मातृत्व के इन पहले 1000 दिनों पर शिशु का संपूर्ण स्वास्थ्य आधारित होता है। इसलिए इन 1000 दिनों का महत्त्व समझना हर माँ के लिए जरूरी है और इस समय में उसको अपना और अपने शिशु दोनों के स्वास्थ्य का ख़ास ख्याल रखने की जरूरत होती है तभी आपका बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ रहेगा। जानते हैं आखिर ब्रेस्टफीडिंग के ये 1000 दिन बच्चे के जीवन के लिए क्यों जरूरी हैं-

90% ब्रेन पहले दो साल में विकसित होता है
बच्चे के जन्म के समय उसका मस्तिष्क 50 प्रतिशत विकसित होता है, जो अगले दो सालों में सबसे ज्यादा विकसित होता है। पहले साल में बच्चे का ब्रेन 75 प्रतिशत तक और दूसरे साल में 90 प्रतिशत तक विकसित हो जाता है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि शुरुआती 1000 दिनों में इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाए कि वो कौन सी चीज़ें हैं जो बच्चे के दिमाग के सही तरह से डेवेलप होने के लिए जरूरी हैं। बच्चों के आहार में ऐसे सभी पोषक तत्वों को शामिल करना जरूरी है। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों के मस्तिष्क विकास में भारी नुकसान हो सकता है। जिसकी भरपाई नहीं हो पाती है।

तेजी से बढ़ता है वजन और कद
जन्म के पहले साल में बच्चे का वजन प्रति माह लगभग 500 ग्राम और उसकी ऊंचाई लगभग 2 सेमी बढ़ती है, जबकि जन्म के दूसरे साल में वजन करीब 250 ग्राम की और ऊंचाई लगभग1 सेमी बढ़ती है। अगर इन दो सालों में बच्चे की सेहत का ख्याल नहीं रखा गया, तो उसकी ग्रोथ रुक सकती है, जिसे बाद में कभी भी रिकवर नहीं किया जा सकता। इसलिए इस समय में उसको प्रॉपर डाइट दें जिसमें उसकी ग्रोथ के लिए जरूरी सभी चीज़ें शामिल हों। बच्चे को खाना कितनी बार खिलाया जा रहा है, यह भी जरूरी है। बच्चे का पेट छोटा होता है, ऐसे में उसे कम से कम 4 से 5 बार ऊपरी आहार देना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान भी माँ को अपने वजन का ध्यान रखना है । इस दौरान मां का वजन कम से कम 10 से 12 किलो बढ़ना चाहिए। अगर आपका वजन पहले से ही ज्यादा है तो इस समय यह भी ध्यान रखें कि वजन ज्यादा ना बढ़ जाए।

इस समय सभी पोषक तत्व हैं जरूरी
प्रेगनेंसी से लेकर बच्चे के जन्म के दो साल तक आपको अपनी डाइट में यह देखना है कि उसमें सभी पोषक तत्व शामिल हों, इसके लिए आपको खाने में वैरायटी रखनी होगी तभी अलग-अलग चीज़ों से आपको अलग -अलग पोषक तत्व मिल सकेंगे। वैरायटी होने से आपको खाने में मजा भी आएगा। इसी तरह 6 महीने के बाद बच्चा जब ठोस आहार लेना शुरू करता है तो उसको भी एक ही खाना देने की जगह अलग-अलग चीज़ें दीजिए वो खुश होकर खायेगा भी और सारे पोषक तत्व भी उसके शरीर में पहुँच जाएंगे। सामान्यत: लोग दाल रोटी या दूध रोटी को मसल कर खिला देते हैं, जिससे बच्चों को खाने की ना तो वैरायटी मिलती है ना ही सभी आवश्यक तत्व। सात तरह की फूड कैटेगरीज में से हर बार कम से कम 4 चीजें एक बार के आहार में बच्चे को दी जानी चाहिए।

पहले दो साल ज्यादा होता है संक्रमण
जन्म के पहले दो सालों में बच्चों की इम्युनिटी कम होने की बजह से उन्हें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए इस समय उन्हें संक्रमण से बचाना भी जरूरी है और साथ ही उनकी इम्युनिटी बढ़ाना भी जरूरी है। बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उसे जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध पिलाना जरूरी है। इसके साथ ही दो साल की उम्र तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। यह नवजात शिशु को कई संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षित रखता है। माँ के दूध से सारे जरूरी पोषक तत्व मिलने की वजह से बढ़ते बच्चों में मेटाबॉलिज्म की जरूरतें पूरी होती हैं।

इस समय आयरन की कमी हो सकती है खतरनाक
प्रेगनेंसी से लेकर पूरे 1000 दिनों तक आपको यह सुनिश्चित करना है कि आपके या बच्चे के शरीर में आयरन की कमी नहीं हो इसलिए प्रेगनेंसी से ही आप खाने में पर्याप्त आयरन के अलावा आयरन की गोलियां भी लेना शुरू कर दें। आयरन की कमी बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर विपरीत असर डालती है। आयरन के अलावा विटामिन बी6, विटामिन बी 12, विटामिन डी, विटामिन के, जिंक आदि की सही खुराक मिलना भी जरूरी है। लेकिन पहले दो सालों में बच्चों को चीनी और नमक की बहुत ही कम मात्र दें क्योंकि अधिक मात्र में जाने से बच्चों में बाद में ओबेसिटी और डायबिटीज जैसी बीमारियाँ होने का खतरा रहता है।

गलती से भी ना भूलें टीके लगवाना
गर्भावस्था से लेकर शिशु के जन्म के पहले दो सालों तक माँ को अपने और बच्चे के खानपान के साथ ही टीकाकरण भी ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए जन्म के समय से लेकर जो-जो टीके बच्चे को लगने हों उनको उसकी फाइल में समय समय पर देखते रहें याद रहे कोई भी टीका छूट ना जाए।

तो आप भी अगर माँ बनने जा रही हैं या अभी हाल ही में माँ बनी हैं तो अपने बच्चे के पहले 1000 दिनों में इन बातों का ध्यान रखकर उसके लिए स्वस्थ जीवन की नींव रखें।