पोषण के पांच तरीकों से होगी कुपोषण की रोकथाम: Methods of Nutrition
Methods of Nutrition

कुपोषण की रोकथाम के लिए क्या करें

कुपोषण की वजह से बच्चा कद और वजन में अपनी उम्र के हिसाब से बहुत पीछे रह जाते हैं, मानसिक विकास भी सही तरह से नहीं हो पाता है और साथ ही अन्य बहुत सी बीमारियां भी इन्हें जकड़ लेती हैं।

Methods of Nutrition: बेहतर पोषण प्राप्त करना सभी का अधिकार है, लेकिन सही पोषण के अभाव में अधिकांश बच्चे कुपोषण की मार झेल रहे हैं और इसी वजह से इन बच्चों का विकास तरह से नहीं हो पाता है। कुपोषण की वजह से वो कद और वजन में अपनी उम्र के हिसाब से बहुत पीछे रह जाते हैं, मानसिक विकास भी सही तरह से नहीं हो पाता है और साथ ही अन्य बहुत सी बीमारियां भी इन्हें जकड़ लेती हैं। देश और समाज के विकास के लिए हमें कुपोषण पर रोक लगानी होगी। जानते हैं वो कौन से 5 तरीके हैं जिनसे कुपोषण की रोकथाम हो सकती है-

जन्म के पहले 1000 दिन विशेष ध्यान

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Methods of Nutrition-1000 days

बच्चे के गर्भ में आने से लेकर उसके 2 वर्ष की आयु पूरी करने तक के समय को पहले 1000 दिन माना जाता है। बच्चे का सही विकास होने के लिए इन दिनों में उसका ख़ास ध्यान रखना जरूरी है। शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का पीला दूध जरूर मिलना चाहिए क्योंकि यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले 6 माह तक केवल माँ का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है।

पौष्टिक आहार

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कुपोषण से निपटने के लिए सबसे जरूरी है कि बच्चों को ऐसा आहार मिल सके जिसमे सारे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हों। इसमें कार्बोहायड्रेट, फैट, प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन्स की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए। जब तक बच्चा स्तनपान करता है उस समय तक माँ को भी डाइट में अतरिक्त पोषक तत्व मिलने चाहिए, तभी वो अपने साथ-साथ बच्चे का भी पेट भर सकेगी। पोषक तत्वों की कमी होने का सीधा असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पढता है इसलिए यह सुनिश्चित करें की खाने में दाल, चावल, हरी सब्जियां, अंडा, दूध, दही, पनीर, फल सभी कुछ शामिल हों।

अनीमिया मैनेजमेंट

kids diet
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प्रेगनेंसी में महिलाओं को कई बार खून की कमी हो जाती है और इसका सीधा असर बच्चे के विकास पर भी पड़ता है। गर्भवती महिला को 6 महीने तक आयरन की खुराक जरूर लेना चाहिए। इसके अलावा 10 वर्ष से 19 साल की लड़कियों को सप्ताह को भी सप्ताह में एक आयरन की खुराक लेनी चाहिए 5 साल के बच्चों को आयरन की सही खुराक मिलना जरूरी है 6 माह से 5 साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार 1 मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए। इसके अलावा खाने में खजूर, पालक और आयरन-रिच चीज़ों को शामिल करना भी जरूरी है।

डायरिया मैनेजमेंट

छोटे बच्चों को डायरिया से बचाना जरूरी है क्योंकि यह कुपोषण और शिशु मृत्यु का भी एक बड़ा कारण है। 6 माह तक के बच्चों के लिए केवल स्तनपान डायरिया से बचाव करता है। याद रखें इस समय में ऊपर से बच्चे को कुछ भी नहीं देना है। अगर डायरिया होता है तो बच्चे को लगातार ओआरएस का घोल और जिंक की खुराक दें जिससे वो कमजोरी से जल्दी उभर सके।

साफ-सफाई

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बच्चों के बार-बार बीमार होने की वजह संक्रामक रोग भी है इससे बचाने के लिए स्वच्छता और साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को साफ पानी और ताजा भोजन दें। खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए।

अभिलाषा सक्सेना चक्रवर्ती पिछले 15 वर्षों से प्रिंट और डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में दक्षता रखने वाली अभिलाषा ने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान टाइम्स, भोपाल से की थी। डीएनए, नईदुनिया, फर्स्ट इंडिया,...

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