Summary: बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण पर संकट: केंद्र सरकार ने जताई गंभीर चिंता
केंद्र सरकार ने आंगनवाड़ी में वितरित पोषण आहार में अधिक नमक, चीनी और कृत्रिम रंगों पर चिंता जताते हुए राज्यों को WHO मानकों के अनुसार भोजन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बढ़ते मोटापे और बीमारियों को देखते हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए यह सख्त कदम उठाया गया है।
Diet risks During Pregnancy: बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सेहत को लेकर केंद्र सरकार अब पहले से कहीं ज्यादा सतर्क हो गई है। देश में बढ़ते मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को देखते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों को सख्त निर्देश दिए हैं। सरकार चाहती है कि आंगनवाड़ियों में बांटे जाने वाले टेक-होम राशन और तैयार भोजन में चीनी, नमक और कृत्रिम रंगों की मात्रा पर तुरंत लगाम लगाई जाए। यह सब कुछ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप होना चाहिए।
कहां से शुरू हुआ खतरा?
देशभर में लाखों बच्चे, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं आंगनवाड़ी केंद्रों से मिलने वाले सरकारी पोषण आहार पर निर्भर हैं। इन योजनाओं का मकसद कुपोषण को कम करना और सेहतमंद जीवन देना है।
लेकिन हाल ही में हुई जांचों और रिपोर्ट्स ने सरकार की नींद उड़ा दी है। कुछ राज्यों में भेजे गए भोजन के नमूनों में चीनी, नमक और कृत्रिम रंगों की मात्रा खतरनाक रूप से ज्यादा पाई गई। जो चीज़ बच्चों और महिलाओं को स्वस्थ बनाने के लिए दी जा रही है, वही उनके लिए खतरा बन सकती है।
मंत्रालय ने क्यों दी चेतावनी?
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों को साफ चेतावनी दी है “आंगनवाड़ी केंद्रों पर दिया जा रहा पोषण आहार बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है, अगर उसमें नमक और चीनी की मात्रा तय सीमा से ज़्यादा हो।”
अत्यधिक मात्रा में ये तत्व बच्चों के विकास को रोक सकते हैं और कम उम्र में ही बीमारियों की चपेट में ला सकते हैं। अब मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि पोषण आहार WHO की गाइडलाइंस के अनुसार तैयार किया जाए।
कितना नमक और चीनी सही है?
WHO के अनुसार:
कुल दैनिक कैलोरी में 5% से ज्यादा नमक और 10% से ज्यादा चीनी नहीं होनी चाहिए।
2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए:
कोई भी अतिरिक्त चीनी नहीं दी जानी चाहिए।
मिठास के लिए सिर्फ 5% तक गुड़ इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या हो सकते हैं इसके खतरे?
ज़रूरत से ज़्यादा चीनी और नमक खाने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है:
बच्चों में मोटापा और दांतों की खराबी
हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़
हृदय रोग
गर्भवती महिलाओं में यह गर्भस्थ शिशु के विकास को प्रभावित कर सकता है
क्या करना होगा सरकार को?
मध्य प्रदेश में ही करीब 80 लाख लोग इस योजना से लाभ ले रहे हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आंगनवाड़ी में बांटे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखी जाए। तय मानकों का पालन न करने पर तुरंत कार्रवाई हो। खाद्य आपूर्तिकर्ताओं को समय-समय पर सेंसिटाइज किया जाए।
पोषण आहार तभी फायदेमंद होगा, जब उसकी गुणवत्ता और संतुलन को गंभीरता से लिया जाए। कुपोषण मिटाने की लड़ाई में केवल खाना बांटना काफी नहीं है, बल्कि सही पोषण देना जरूरी है। सरकार, प्रशासन और खाद्य आपूर्तिकर्ताओं को मिलकर एकजुट होना होगा, ताकि हमारे बच्चों और माताओं का स्वास्थ्य बेहतर हो सकेज्यादा नमक-चीनी से बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सेहत पर खतरा, केंद्र सरकार की चेतावनी क्योंकि यही भारत का असली भविष्य हैं।
