कुपोषण को कैसे पहचानें
मानव शरीर को सन्तुलित आहार न मिलें तो निम्नलिखित लक्षण दिखने लगते हैं जिनसे कुपोषण का पता चल जाता है।
1. शरीर की वृद्धि रुकना
2. मांसपेशियाँ ढीली होना अथवा सिकुड़ जाना।
3. झुर्रियाँ युक्त पीले रंग की त्वचा।
4. कार्य करने पर शीघ्र थकान आना।
5. मन में उत्साह का अभाव चिड़चिड़ापन तथा घबराहट होना।
6. बाल रुखे और चमक रहित होना।
7. चेहरा कान्तिहीन, आँखें धँसी हुई तथा उनके चारों ओर काला वृत्त बनाना।
8. शरीर का वजन कम होना तथा कमजोरी
9. नींद तथा पाचन क्रिया का गड़बड़ होना।
10. हाथ पैर पतले और पेट बढ़ा होना या शरीर में सूजन आना 
अगर कुपोषण गंभीर परिस्थिति में पहुंच जाए तो उससे हड्डियों-जोड़ों में दर्द, हड्डियों का दिखना, मांसपेशियों में कमजोरी, भूख का ना लगना, बच्चों का बिना किसी वजह के रोना जैसे लक्षण दिखते हैं। कुपोशण का मुख्य लक्षण है खून की कमी।
कुपोषण के लक्षण 
खून की कमी
पोषक तत्वों की कमी का असर लंबाई, वजन, कमजोरी और दुर्बलता के साथ साथ एनीमिया के रूप में सामने आता है। जब दैनिक आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, वसा और खनिज जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं, तब धीरे-धीरे हम खून की कमी का शिकार होने लगती हैं। आमतौर पर इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। इसका प्रभाव यह होता है कि भविष्य में खासतौर पर महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कुपोषण से खून की कमी की स्थिति विभिन्न गंभीर रोगों का रूप ले लेती है।
त्वचा की समस्याएं
काफी संख्या में लोग त्वचा में होने वाली समस्याओं जैसे मुंहासे, एक्जिमा, बढ़ती उम्र में होने वाले धब्बे आदि से परेशान रहते हैं। त्वचा में होने वाली इस तरह की समस्याएं भी पोषक तत्वों की कमी का परिणाम हैं। इससे बचाव के लिए आहार में विटामिन ए, बी-3, बी-8, सी, ई, बायोटिन, ओमेगा-3 फैट, कॉपर, सेलेनियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों को षामिल करना ज़रूरी है। 
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी कुपोशण की देन है। मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली आपको शरीर में होने वाली सूजन और संक्रमण से लड़ने और स्वस्थ रहने में मदद करती हैं। यह शरीर के उपचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो शरीर अन्य रोगों से अपनी रक्षा नहीं कर पाता और बीमारी हमें घेरे रखती हैं। विटामिन ए, सी, डी, ई, क्रोमियम, सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी से यह समस्या होती हैं।
गर्भावस्था के दौरान लापरवाही
भारत में हर तीन गर्भवती महिलाओं में से एक कुपोषण की शिकार होने के कारण खून की कमी अर्थात् रक्ताल्पता की बीमारी से ग्रस्त हो जाती हैं। हमारे समाज में स्त्रियाँ अपने स्वयं के खान-पान पर ध्यान नहीं देतीं। जबकि गर्भवती स्त्रियों को ज्यादा पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। उचित पोषण के अभाव में गर्भवती माताएँ स्वयं तो रोग ग्रस्त होती ही हैं साथ ही उसका दुश्प्रभाव होने वाले बच्चे पर भी होने लगता है। 
लगातार ऐंठन
कई लोगों को मांसपेशियों में जकड़न के कारण बार-बार ऐंठन की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। अचानक ऐंठन की समस्या पोषक तत्वों की कमी के कारण होती हैं। मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों को मांसपेशियों के विकास और समर्थन करने के लिए जाना जाता है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण पैर, पिण्डलियों और पैरों के पीछे असहज ऐंठन हो सकती हैं।
नाखूनों की समस्या
नाखून में होने वाली समस्याएं भी पोषक तत्वों की कमी से होती हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि आपके नाखून अपने आप ही टूट जाते हैं और इसका कारण है कुपोशण। नाखूनों की यह समस्या मैग्नीशियम की कमी से होती हैं। नाखूनों की अन्य समस्याएं जैसे सफेद धब्बे, लकीरें, मुलायम और भंगुर नाखून आदि जिंक, मैग्नीशियम, सामान्य खनिज की कमी से होती हैं।
कमजोर और क्षतिग्रस्त बाल
अधिकतर लोग रूखे और क्षतिग्रस्त बालों को लेकर शिकायत करते हैं। मगर बालों की यह समस्या हमेशा बाह्य परिस्थितियों के कारण नहीं होती है, बल्कि पोषण की कमी बालों के क्षतिग्रस्त होने का प्रमुख कारण है। आहार में पोषक तत्व जैसे विटामिन बी 5, बी 6, बी 12, बायोटिन या क्लोरीन की कमी के कारण बालों से जुड़ी समस्याएं होती हैं।
कमजोर हड्डियां
बढ़ती उम्र में हड्डियों में मजबूती को बनाए रखने से आपको फिट और स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन अगर आपको लगता हैं कि आपकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं तो यह विटामिन ए, सी, डी, क्रोमियम, जिंक, मैग्नीशियम और मोलिब्डेनम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी से होता है।
पाचन तंत्र की समस्याएं
कुपोशण के कारण हमारा पाचन तंत्र कमज़ोर हो होता है। कमजोर पाचन से अन्य कई प्रकार की समस्याएं जैसे कब्ज, सूजन, दस्त और डायरिया आदि हो सकती है। यह सभी समस्याएं विटामिन बी-11, बी-8, बी-12, सी, डी, ई, के, आयरन, सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे स्वस्थ पोषक तत्वों की कमी से संबंधित होती हैं।
आंखों से जुड़ी समस्याएं
आंखों का अंदर की ओर धंस जाना और कम उम्र में चश्मा लग जाना आजकल सामान्य सी बातें है। यह पोषक तत्वों की कमी का परिणाम है। साथ ही आंखों की समस्याएं जैसे आंखों का कमजोर, मोतियाबिंद, आंखों में सूजन आदि क्रोमियम, जिंक, विटामिन बी-6, बी-12 और आवश्यक फैटी एसिड की कमी का परिणाम हैं।
मसूड़ों से खून आना
मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकती हैं लेकिन 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्याएं आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण होती हैं। मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं जैसे जिंजिवाइटिस, पायरिया, पेरियोडोटाइटिस अक्सर विटामिन सी, क्यू-10, फोलिक एसिड और प्रोटीन की कमी से होती हैं।
पोषक तत्वों की पूर्ति कैसे करें
पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए अपने आहार में मूंगफली, हरी सब्जियों, सोया मिल्क, मशरूम, बींस, दालें, मटर, अलसी के बीज, अनाज, ब्रॉकली, मछली, दूध और दूध से बने उत्पाद, फल, मेवों, अंकुरित खाद्य पदार्थ, अंजीर, अंडे आदि को शामिल करना चाहिए।
रोटी, चावल, आलू और अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ भोजन का प्रमुख हिस्सा होते हैं। इनसे हमें ऊर्जा और कार्बोहाइड्रेट पाचन के लिए कैलोरी प्राप्त होती है।
दूध और डेयरी खाद्य पदार्थ – वसा और वास्तविक शर्करा के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।
फलों और सब्जियों का अधिक सेवन किया जाना चाहिए। बेहतर पाचन स्वास्थ्य के लिए विटामिन और खनिजों के महत्वपूर्ण स्रोत के साथ-साथ फाइबर का सेवन भी ज़रूरी है।
कुपोषण का निदान
कुपोषण के निदान में  बीएमआई और नियमित रक्त परीक्षण भी शामिल है।
1. बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) – इसमें वजन की गणना किलोग्राम में की जाती है, जो कि वर्ग मीटर में ऊंचाई से विभाजित होती है। वयस्कों के लिए स्वस्थ बीएमआई आमतौर पर 18.5 और 24.9 के बीच स्थित है। 17 से 18.5 के बीच बीएमआई वाले लोग हल्का कुपोषित हो सकते हैं, जिनके बीएमआई 16 से 18 के बीच होते हैं, वे मध्यम कुपोषित हो सकते हैं और 16 से कम बीएमआई वाले लोग गंभीर रूप से कुपोषित हो सकते हैं।
2. नियमित रक्त परीक्षण – यह एनीमिया और अन्य विटामिन और खनिज की कमी का आकलन करने के लिए किया जाता है। निर्जलीकरण, कम रक्त शर्करा और गंभीर संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं, यह रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि के कारण हो सकता है।
3. बच्चों में कुपोषण का निदान – बच्चों के वजन और ऊंचाई को मापा जाता है। और उन मापदण्डों से तुलना की जाती है, जो उस उम्र के बच्चे के लिए अपेक्षित औसत ऊंचाई और वजन दिखाते हैं। कुछ बच्चे उम्र के मुकाबले छोटे लगते हैं और आनुवंशिक रूप से ऐसा हो सकते हैं। धीमे विकास दिखाने वाले बच्चे भी कुपोषित हो सकते हैं।
कुपोषण से बचने के कुछ घरेलू उपाय
रात को 50 ग्राम किशमिश पानी में भिगो कर रख दें और सुबह अच्छी तरह से चबाकर खा लें। इस प्रक्रिया को 2-3 महीने नियमित तौर पर करने से तीन महीने में ही कुपोषण मुक्त हो जाएंगे और आपका वजन भी बढ़ जाएगा।
अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाएं। दालें प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत होती है इसलिए अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा दालों को जगह दें।
दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन करने से भी आप कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ सकते हैं। इसके लिए आपको रोजाना 300-500 मिली लीटर दूध पीना होगा।
रोजाना एक कटोरी बींस खाना आपकी सेहत के लिए काफी लाभकारी हो सकता है। रोजाना अखरोट खाने से आपका वजन बढ़ जाएगा। इसमें मौजूद मोनो सैचुरेटिड फैट आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
पूरी नींद ना लेने की वजह से आपके शरीर पर प्रभाव पड़ता है साथ ही शरीर थका हुआ महसूस करता है। इसलिए रोजाना 7-8 घंटे की नींद  जरूर लें।
रोजाना 100-200 ग्राम काले भुने हुए चने खाने से भी कुपोषण को मात दे सकते हैं। इन्हें रात में भिगोकर रख दें और फिर सुखा कर खा लें।