Healthy Eating Tips: आमतौर पर माता-पिता बच्चों के खानपान को लेकर चिंतित रहते हैं। उनकी शिकायत रहती है कि बच्चा कुछ खाता ही नहीं है, जबकि ज्यादा खाना और अच्छी तरह खाना दो अलग-अलग चीजें हैं। आइए जानते हैं कि बच्चे को सेहतमंद और फुर्तीला बनाए रखने के लिए किस प्रकार भोजन करना चाहिए।
बच्चों के लिए आदर्श सेहत क्या है व उसे पाने के लिए कैसा भोजन करना होगा। अच्छी सेहत के लिए क्या खाना जरूरी मानती हैं। इस संबंध में हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझने का प्रयास किया गया है।
अच्छा खान-पान क्या है?
अच्छा खानपान या अच्छी सेहत एक व्यक्तिपरक विषय है। हर कोई गदबदा शिशु चाहता है और उस नजरिए से उनका बच्चा हमेशा कम ही खाता है। उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि आयु के हिसाब से उसका वजन 30 प्रतिशत अधिक क्यों हैं? तो सबसे पहले जानें कि मेडिकल दृष्टि से अच्छी सेहत व खानपान की आदतों की परिभाषा क्या है।
मेडिकल विज्ञान के अनुसार यदि कोई बच्चा आयु के अुनसार अपने आदर्श वजन के 10 प्रतिशत के आस-पास है तथा प्रोटीन, आयरन, विटामिन आदि किसी कुपोषण से ग्रस्त नहीं है तो इसका मतलब है कि उसका विकास भली-भांति हो रहा है। आप जान कर हैरान होंगे कि प्राय: मां-बाप बच्चे के पोषण का स्तर जानने में असफल रहते हैं। वे जान भी नहीं पाते कि उनका मोटा-ताजा बच्चा एनीमिक है या प्रोटीन की कमी से ग्रस्त है। वहीं दूसरी ओर ऐसे मां-बाप भी हैं जो बच्चे को सिर्फ इसलिए डॉक्टरों के पास ले जाते रहते हैं कि वह देखने में हट्टा-कट्टा नहीं लगता। इस सोच को बदलना ही डॉक्टर का सबसे पहला काम होना चाहिए, जबकि उनके पास व्यस्त दिनचर्या के बीच, काफी कम समय होता है।
पहला पहलू
अच्छा पोषण भी घर बनाने की तरह होता है, जिसमें सब कुछ उचित अनुपात में होना चाहिए। बच्चे के भोजन में सही मात्रा में उचित प्रोटीन, विटामिन, वसा, इत्यादि होनी चाहिए। उसको उचित मात्रा में अंडे, दूध, पनीर व पनीर से बने पदार्थ, हरी सब्जियां व अनाज व उचित मात्रा में दालें देनी चाहिए। जो कि उनके पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करें न कि आपका बच्चा दिन में 4 पराठें खाता है या दिन भर दूध पीता है या रोज बीस बादाम खाता है, तो सबसे पहले यह तय करें कि बच्चे के आहार में सभी पोषक तत्व उचित अनुपात में हैं या नहीं यदि शाकाहारी हैं तो प्रोटीन व आयरन पर ज्यादा ध्यान दें।
दूसरा पहलू
आपको उसके खाने के समय व दिनचर्या पर ध्यान देना होगा। यदि वह अनियत समय पर अनियमित रूप से खाता है तो वह सब कुछ खाने के बावजूद कुपोषण का शिकार हो सकता है। नाश्ता प्रोटीन से भरपूर हो। डिनर हल्का हो। उसमें दिन के मुकाबले प्रोटीन तथा वसा की मात्रा कम हो। बच्चे को भूख लगे तो रात को कार्बोहाईड्रेट की मात्रा बढ़ा दें।
तीसरा पहलू
आपको भोजन के मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया से जानना होगा कि यह कैसे कारगर है। फूड की प्रोसेसिंग तीन हिस्सों में बांट सकते हैं। पहला है आहार याद रखें कि यहीं से पोषण का अंत नहीं होता। इसके बाद भोजन का पाचन व अवशोषण होता है जो कि बच्चे की भोजन के प्रति रूचि व पसंद पर काफी हद तक निर्भर करता है। बेमन से खाने पर यह क्रिया मद हो जाती है। तभी तो बच्चा नियमित रूप से खाने पर भी वजन नहीं बढ़ा पाता।
यदि भोजन पाचन के बाद सही तरीके से शरीर में न पहुंचे, तब भी वजन नहीं बढ़ता। इस प्रक्रिया में कोशिकाएं रक्त में प्राप्त अवशोषित भोजन की मदद से नए उतक बनाती है। ये बच्चे की शारीरिक गतिविधि पर निर्भर करती है। अधिक आरामदायक जीवनशैली जीने वाला तथा टीवी से चिपके रहने वाला बच्चा मोटा तो हो सकता है, पर सही मात्रा में प्रोटीन न मिलने के कारण स्वस्थ नहीं होता।
चौथा पहलू
बच्चे के पोषण को प्रभावित करने वाला चौथा पहलू है उसकी खानपान की आदतें। अब अच्छी खानपान आदतें क्या हैं? बच्चों की खानपान की आदतों संबंधी कुछ बिंदु ध्यान में रखें-
- यह नियत समय पर हों।
- माता-पिता या बच्चा भोजन खत्म करने की जल्दी में न हों।
- खाने के साथ ज्यादा पानी न दें। एक-दो घूंट दे सकते हैं।
- खुशनुमा व साफ-सुथरे एकांत माहौल में खाना खाएं।
- खानें के 20 मिनट बाद तक शारीरिक व्यायाम न करें ताकि भोजन की पाचन क्रिया मंद न हों। इससे आंतों के रक्त प्रवाह में वृद्धि होगी तथा एंजाइम उत्पादन में तेजी आएगी।
- ये छोटी-छोटी बातें 30-40 प्रतिशत तक पाचन विलयन वृद्धि में कारगर हो सकती है। इससे कई कम वजन वाले तथा एनीमिक बच्चों में सकारात्मक सुधार हो सकता है।