Sharad Purnima Special : शरद पूर्णिमा का व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस खास पर्व पर चंद्रमा की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस समय चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और कहा जाता है कि चांद की रोशनी से रातभर अमृत की वर्षा होती रहती है। इसी के कारण पूर्णिमा की रात में जिस चीज पर भी चंद्रमा की किरणें पड़ती है, उसमें अमृत्व का संचार होता है। शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी मे रखने की मान्यता है। शरद पूर्णिमा को जागृति कहकर भी पुकारा जाता है यानी इस रात देवी सभी से पूछती हैं कि कौन-कौन जाग रहा है।
हिन्दू पौराणिक मान्यताओं की मानें, तो इस दिन मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर विराजकर समस्त पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाती हैं। इस रात जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करता है उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा 2022 का मुहूर्त
शरद पूर्णिमा तिथि : 9 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जिसका समापन 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर होगा।
चंद्रोदय समय : शाम 05 बजकर 58 मिनट
शरद पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं की मानें, तो एक गांव में एक साहूकार रहा करता था, जिसकी दो बेटियां थी। जो मां लक्ष्मी का अराधना में लीन रहती थी और पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि विधान के साथ रखा करती थी। साहूकार की जो बड़ी बेटी थी, उसने पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ मां लक्ष्मी का पूजन कर व्रत को पूरे विधि विधान के साथ पूर्ण किया था। मगर जो छोटी बेटी थी, वो अपना व्रत किसी कारणवश पूरा नही कर पाई और व्रत को अधूरा ही छोड़ दिया। अब व्रत पूर्ण न होने के कारणवश छोटी बेटी की कोई भी संतान जीवित पैदा नहीं हो पाई।
वो बेहद परेशान और चिंतित रहने लगी और एक दिन अपनी समस्याओं के निवारण के लिए वे ब्राह्मणों की शरण में गई और उसने शिशु मृत्यु का कारण पूछा, तो उन्होंने बताया कि तुमने भूलवश पूर्णिमा का व्रत बीच में ही अधूरा छोड़ा दिया था, जिस कारण तुम्हारी सभी संतान मृत्यु को प्राप्त हो रही है। उसे याद आया कि उसने व्रत अधूरा छोड़ दिया था। ब्राहम्णों ने कहा कि अगर तुम पूरे विधि-विधान से शरद पूर्णिमा का व्रत दोबारा करती हो तो तुम्हारी कोई भी संतान मृत्यु को प्राप्त नहीं होगी, जिसके बाद उस कन्या ने सभी नियमों का पालन कर पूर्णिमा का व्रत किया और उसे जीवन में संतान सुख की भी प्राप्ति हुई।
शरद पूर्णिमा के दिन रखें इन बातों का खास ख्याल
- शरद पूर्णिमा की रात को चांद की छांया में खीर बनाने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि घर के बाहर खीर पकाने से चंद्र की किरणें खीर पर पड़ती हैं, जिससे खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं।
- इस रात सभी खिड़कियां और दरवाजे खुले रहने दें, ताकि चंद्रमा की रोशनी घर में प्रवेश करें और मां लक्ष्मी का भी घर में आगमन हो।
- शरद पूर्णिमा के दिन घर की सफाई अच्छे से करें।
- शरद पूर्णिमा की रात हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक प्रज्जवलित करने का भी विधान है। इसके लिए आप मिट्टी के दीपक में तेल या घी डालकर दीप जला सकते हैं।
- ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी निवास करती हैं। ऐसे में शरद पूर्णिमा के दिन सुबह सवेरे स्नान करन के बाद पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाए और कुछ मिठाई भी अर्पित करें।
- दाम्पत्य जीवन में खुशहाली बनाए रखने के लिए पति-पत्नी दोनों को ही चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए, ताकि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा जोड़े पर सदैव बनी रहे।
- शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। कहते हैं इस रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है, मान्यता है कि जिस पर ये किरणें पड़ जाए उसके गंभोर रोग दूर हो जाते हैं।
- शरद पूर्णिमा की रात जागकर पूजा-पाठ और मंत्रों का जाप करना चाहिए। 108 बार मंत्रों का जाप करना चाहिए। जप के लिए कमल-गट्टे की माला लेनी चाहिए।
- इस दिन धन के लेन-देन का खास ख्याल रखें। इस दिन किया गया लेन-देन आपके जीवन में आर्थिक संकट का कारण बन सकता है।