Overview:प्रीती ज़िंटा बताती हैं - स्ट्रेचिंग है लॉन्गिटिविटी का असली गोल्ड स्टैन्डर्ड — Pilates Reformer के साथ
बॉलीवुड अभिनेत्री प्रिटी ज़िंटा फिटनेस और हेल्दी लाइफस्टाइल को लेकर हमेशा प्रेरणा देती रही हैं। उनका मानना है कि स्ट्रेचिंग ही लंबी उम्र और चोटों से बचाव का असली मंत्र है। हाल ही में उन्होंने Pilates Reformer पर एक्सरसाइज करते हुए बताया कि स्ट्रेचिंग से शरीर लचीला और मजबूत बनता है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी है और हर फिटनेस रूटीन का अहम हिस्सा होना चाहिए।
Preity Zinta Stretching Tips for Longevity: 50 की उम्र पार कर चुकी बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति ज़िंटा फिटनेस और लाइफ स्टाइल को लेकर हमेशा प्रेरणादायक रही हैं। हाल ही में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने Pilates reformer मशीन पर कोर और बैक को मजबूत करने के लिए एक स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज की। उसी पोस्ट में उन्होंने लिखा है:
“It doesn’t matter what workout you do, stretching your body is the gold standard for longevity & for avoiding any injury. So don’t forget to incorporate stretching into your fitness routine.”
इस बात का मतलब है कि चाहे आप योग करें, दौड़ लगाएँ या वेट ट्रेनिंग, स्ट्रेचिंग अनिवार्य है — क्योंकि यह न सिर्फ इंज्युरी से बचाता है बल्कि फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखता है और उम्र बढ़ने के साथ होने वाले स्टिफनेस को रोकता है। फिटनेस एक्सपर्ट्स कहते हैं कि स्ट्रेचिंग मसल्स को स्ट्रेच करता है, जॉइंट्स का मोशन बढ़ाता है, और पूरे शरीर का पोसचर सुधारने में मदद करता है।
प्रीती ज़िंटा ने बताया कि Pilates reformer जैसी मशीन देखने में भले ही बेड जैसी लगे, लेकिन इसमें लगे स्प्रिंग्स और स्ट्रैप्स आपके शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूती देते हैं। ये एक्सरसाइज के दौरान बैलेंस और सही पोज़िशन बनाए रखने में भी मदद करते हैं
इस लेख में हम जानेंगे कि स्ट्रेचिंग क्यों longevity के लिए gold standard है, Pilates reformer के फायदे क्या हैं, और आप अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में इसे कैसे शामिल कर सकते हैं — ताकि शरीर मजबूत, फ्लेक्सिबिल और injury-free रहे।
स्ट्रेचिंग की भूमिका: उम्र बढ़ने के साथ क्यों ज़रूरी है
उम्र बढ़ने के साथ, मांसपेशियों और जोड़ (muscles & joints) अक्सर कॉनट्रेक्ट होने लगते हैं, फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है, शरीर की गति और संतुलन बिगड़ने लगता है। इस ऐज में पीठ, गर्दन और लोअर बैक में दर्द होना आम हो जाता है। स्ट्रेचिंग से इन समस्याओं से बचा जा सकता है — यह मांसपेशियों के रेशों (fibers) को लम्बा करता है, जोड़ों के आसपास की लिगामेंट्स और टेंडन्स को मजबूत बनाता है, और पूरे शरीर के ब्लड सरकुलेशन को बेहतर बनाता है। प्रिटी ज़िंटा ने इस बात पर जोर दिया है कि कोई भी वर्क-आउट हो, स्ट्रेचिंग शामिल न हो तो injury का खतरा बढ़ जाता है। सही स्ट्रेचिंग रूटीन शरीर को धीमी गति से होने वाले wear & tear से बचा सकती है I उम्र चाहे कोई भी हो स्ट्रेचिंग हमारा पोस्चर सुधारती है , और हम अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं ।
मैट पर स्ट्रेचिंग vs Pilates Reformer मशीन
प्रीती ज़िंटा कहती हैं कि इस मशीन का इस्तेमाल समझदारी और सही तरीके से करना ज़रूरी है, ताकि ज़्यादा खिंचाव या गलत पोज़ की वजह से चोट न लगे I आजकल बहुत से लोग मैट पर स्ट्रेचिंग करते हैं। मैट से ऐसी स्ट्रेचेस संभव हैं जो सिम्पल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाते हैं और हल्की मोबिलिटी सुधारती हैं। लेकिन Pilates reformer मशीन में स्प्रिंग्स, स्ट्रैप्स और स्लाइडिंग प्लेटफ़ॉर्म होते हैं जो मांसपेशियों और जोड़ों को एक्स्ट्रा सपोर्ट और स्ट्रेच देते हैं। इससे शरीर को आराम मिलता है और डीप स्ट्रेच महसूस होता है और शरीर की alignment बेहतर होती है। Reformer मशीन वीक पार्ट्स को भी टारगेट कर सकती है जो मैट पर अक्सर इग्नोर रहते हैं। प्रीती ज़िंटा का कहना है कि यही कारण है कि इस तरह की मशीन सीख-समझ और नियंत्रण के साथ इस्तेमाल करनी चाहिए, ताकि आप over-stretching या गलत पोज़ से चोट न लगने पाये।
चोटों से बचाव और लचीलापन में सुधार
जब मांसपेशियाँ स्टिफ हो जाती हैं, तब इंटेन्स ट्रेनिंग के दौरान चोट लगने का खतरा अधिक हो जाता है। उदाहरण के लिए, आगे की ओर झुकना, भारी सामान उठाना या अचानक मोड़ लेना ये कदम मांसपेशियों को खिंचाव (strain) दे सकते हैं। नियमित स्ट्रेचिंग आपके मांसपेशियों को अधिक elastic बनाती है, जो उनके खिंचाव पर अच्छी तरह प्रतिक्रिया करती हैं। मांसपेशियां ज्यादा लचीली होती हैं, जोड़ों की स्टिफनेस कम होती है और शरीर की मुद्रा बेहतर रहती है। इस तरह पीठ दर्द, कंधे दर्द, गर्दन की समस्याएँ आदि कम होती हैं। प्रीती ने अपने पोस्ट में यही बात कही है कि स्ट्रेचिंग से injury avoidance होता है।
मानसिक लाभ:बॉडी-माइंड में बैलेंस और ताजगी
स्ट्रेचिंग केवल शारीरिक फ़ायदों तक सीमित नहीं है — इसमें मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ होता है। धीमें, नियंत्रित और गहरी सांसों के साथ स्ट्रेचिंग करने पर तनाव कम होता है, मांसपेशियों की जकड़न कम होती है, और शरीर में ब्लड सरकुलेशन सुधरता है, जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्व बेहतर पहुँचते हैं। इससे नींद बेहतर हो सकती है, मूड अच्छा रहता है, और दिन भर की थकावट कम होती है। प्रिटी ज़िंटा जैसे सेलिब्रिटी जो पब्लिक लाइफ और प्रेशर से घिरे हैं, इस तरह की नियमित स्ट्रेचिंग से अंदर से ऊर्जा और खुशी का एहसास पाते हैं। यही कारण है कि स्ट्रेचिंग को वो gold standard कहती हैं longevity के लिए — क्योंकि यह सिर्फ शो ऑफ नहीं बल्कि inner wellness की तरफ बढ़ते कदम हैं I
रोज़मर्रा में स्ट्रेचिंग करने के आसान तरीके
अगर आप स्ट्रेचिंग की शुरुआत कर रहे हैं, तो बहुत ज़रूरी है कि आप इसे धीरे-धीरे और सावधानी से करें। सबसे पहले हल्की वार्म-अप करें — जैसे 5-10 मिनट की वॉक या हल्की कार्डिओ — ताकि मांसपेशियाँ तैयार हो जाएँ। फिर आसान स्ट्रेचेस से शुरू करें: hamstrings, calves, hip flexors, कंधे और लोअर बैक को लाइट स्ट्रेच दें। रिफॉर्मर अगर उपलब्ध हो तो एक या दो सेशन प्रति सप्ताह करें; लेकिन आपके शरीर की सुनें — दर्द न हो, सिर्फ हल्का खिंचाव महसूस हो। स्ट्रेच को लगभग 20-30 सेकंड तक पकड़े रहें, बाउंसिंग से बचें। समय के साथ आप ड्यूरेशन बढ़ा सकते हैं। Consistency ज़्यादा मायने रखती है- चाहे हर दिन थोड़ी स्ट्रेचिंग करें, या हफ्ते में कई बार। प्रीती के अनुसार यही तरीका है जो स्ट्रेचिंग को आपके डेली रूटीन का हिस्सा बनाये बिना ज्यादा हार्ड वर्क आउट करके I थकने की बजाये sustainable, injury-free और हेल्दी जीवन की ओर कदम बढ़ाए ।
