Bitter Gourd in Pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसको लेकर हर किसी के अपने मत और तरीके होते हैं. कई लोगों का मानना है कि करेला प्रेग्नेंसी में खाना सुरक्षित नहीं होता लेकिन वहीं कुछ लोग करेले के सेवन को हेल्दी मानते हैं|
करेला अपने हेल्थ बेनिफिट्स के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहाँ हम प्रेगनेंसी के दौरान करेले के फायदे और नुकसान को समझेंगे। प्रेगनेंसी एक ऐसा समय है जो मां और बच्चे दोनों के लिए अहम होता है। इस दौरान डाइट का ख्याल रखने की सलाह दी जाती है I
करेला एक ऐसी सब्जी है जिसका एक अलग कड़वा स्वाद होता है। यह पोषक तत्वों, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर और हैल्दी है । यहाँ हमने प्रेगनेंसी के दौरान करेले के सेवन से होने वाले फायदे और इसको किन सावधानियों के साथ खाया जाए इसकी लिस्ट तैयार की है I सबसे पहले हम करेले के कुछ फ़ायदों के बारे में बात करेंगे I
एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल

करेले में विटामिन सी होता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है और गर्भवती महिलाओं को हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है । इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज भी होती हैं जो स्टैफिलोकॉकस ऑरियस और कैंडिडा एल्बिकांस जैसे बैक्टीरिअल इन्फेक्शन्स को रोकती हैं जो नही तो स्किन रिलेटेड प्रोब्लम्स का कारण बन सकती है । यह प्रेग्नैन्सी के दौरान इम्युनिटी पावर को बढ़ाने में भी मदद करता है , साथ ही यह पेट साफ करने में भी मदद करता है जिससे प्रेग्नन्सी के 9 महीने काफी आराम से निकल जाते हैं |
फोलेट से भरपूर

फोलिक एसिड को विटामिन B9 या फोलासीन और फोलेट के नाम से भी जाना जाता है है l प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फोलेट बेहद जरूरी होता है। डॉक्टर प्रेग्नेंट महिला को दूसरे महीने की शुरुआत से ही फोलिक एसिड की टेबलेट भी देती है l यह मिनरल बच्चे को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाव में मदद करता है। करेले में फोलेट की मात्रा काफी अधिक होती है । इसमें प्रेग्नेंट महिलाओं के इस मिनरल की डेली नीड का एक चौथाई हिस्सा होता है।
हाई फाइबर कंटेंट

फाइबर से भरपूर यह सब्जी आपको संतुष्टि का एहसास कराती है । अब क्युकी आप फुल फील करते हो तो आपका हाई कैलोरी वाले फ़ूड या जंक फूड खाने का ज्यादा मन नहीं करता है इसका रिजल्ट ये होता है कि आप प्रेगनेंसी के दौरान भी स्लिम और हेल्दी रहते हो | हाई फ़ाइबर कंटेन्ट के कारण यह सब्जी हमारे डाइजेशन प्रोसेस को भी इम्प्रूव करती है I
एंटी डायबिटिक गुणों से भरपूर

करेले में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं यह ब्लड में शुगर लेवेल को प्रभावित करके उसे कम करने में सहायता करता है। इसके अलावा इसमें चरन्तीं (charantin), विसीने (vicine) and पॉलीपेप्टाइड-पी (polypeptide-p) नामक तीन नुट्रिएंटस होते हैं जो डायबिटीज को रोकने में मदद करते हैं। यह पैंक्रियास में इन्सुलिन के प्रोडक्शन को बढ़ाता है । इसकी यह खूबी इसे टाइप-1 एवं टाइप-2 दोनों ही तरह के डायबिटीज पेशेंट्स के लिए फायदेमंद बनाती है। । करेले में मौजूद ये नुट्रिएंटस गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज से लड़ने में भी मदद कर सकते हैं ।
डाइजेशन प्रोसेस को अच्छा करता है

दुनिया भर में ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को जिन दो प्रमुख प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है, वे हैं कॉन्सटीपेशन और बवासीर (piles) । करेले में मौजूद हाई फाइबर कंटेंट इन समस्याओं को कम करने में मदद करता है lयह सब्जी पेरिस्टेल्सिस को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकती है जो बाद में स्टूल पास करने और गर्भवती महिलाओं के डाइजेस्टिव प्रोसेस को सुधारने में मदद करती है। हालाँकि, इस संबंध में और अधिक शोध की आवश्यकता है |
विटामिन और मिनरल से भरपूर

करेला कुछ विटामिन और मिनरल्स का एक बड़ा स्रोत है । इसमें आयरन, नियासिन, पोटेशियम, पैंटोथेनिक एसिड, जिंक, पाइरडोक्सिन, मैग्नीशियम और मैंगनीज शामिल हैं। इसे आसानी से एक सुपर सब्जी कहा जा सकता है क्योंकि यह भ्रूण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।इस सब्जी में अन्य विटामिन और मिनरल जैसे राइबोफ्लेविन, थायमिन, विटामिन बी1, बी2, बी3 आदि भी होते हैं और यह कैल्शियम और बीटा कैरोटीन का एक सोर्स भी है l
करेले का सेवन करते वक्त कुछ सावधानियां

जैसे कि ऊपर बताया गया है कि करेला एक हेल्दी सब्जी है जो कई बीमारियों में काम आता है l करेले का सेवन प्रेग्नेंसी में भी सुरक्षित हो सकता है लेकिन जिन महिलाओं को किसी भी तरह की एलर्जी या सेंसिटिविटी है , उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए. नॉर्मल प्रेग्नेंसी में इसका कम मात्रा में सेवन किया जा सकता है वो भी डॉक्टर की सलाह के अनुसार |
करेला अगर पहली बार खाया जाए या इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो पेट में ऐंठन, गैस्ट्राइटिस और पेट से जुड़ी अन्य ऐसी समस्याऐं हो सकती हैं। करेले में रेजिन, कुनैन और ग्लाइकोसाइड कंपोनेंट्स होते हैं| ये कुछ ऐसे पदार्थ हैं जो शरीर में टॉक्सिसिटी को बढ़ा सकते हैं I इससे पेट में दर्द, उल्टी और लाल चकत्ते हो सकते हैं |
गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जो खास होता है और ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत होती हैl यह ऐसा समय है जब बच्चे के लिए सही पोषण के बारे में कई सवाल और डाउट्स होते हैं । ऐसे में सावधानी से खाना हमेशा सबसे अच्छा होता है lकरेले के बीजों में वाइसिन होता है जो कुछ सेंसिटिव लोगों में फेविज्म के लक्षण पैदा कर सकता है l
बीज में पाई जाने वाली लाल धानी शिशु के लिए पोइसनस होती है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं करेला बनाते समय उसके बीज जरूर निकाल दें l पपीते की तरह करेला भी uterus में कुछ परेशानी वाली एक्टिविटीज कर देता है जो असल में ज्यादातर महिलाओं में प्री-टर्म लेबर का कारण बन सकता है l करेला खाने के बाद दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपको पेट संबंधी प्रॉब्लमस भी हो सकती हैं। करेला खाने के बाद दूध पीने से पेट में दर्द, कोन्सटीपेशन और जलन की समस्या भी हो सकती है।
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गर्भावस्था में करेले का जूस पी सकते हैं क्या ?

इंटरनेशनल जरनल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च एंड रिव्यू के अनुसार प्रेग्नेंसी में करेले का जूस पीने से पेट में कांट्रेक्शन पैदा हो सकता है। इसके कारण प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग तक हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को अपना आहार चुनने से पहले हमेशा अपने लेडी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए l क्या खाना है, कितना खाना है और कैसे खाना है यह जानना जरूरी है I एक सेफ और हैल्दी प्रेगनेंसी लें l
