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All India Rank Movie Review: कुछ फिल्‍में बनतीं हैं दर्शकों को सिर्फ मनोरंजन करने के लिए। तो कुछ समाज में घटने वाली घटनाओं को सिनेमा के जरिए दर्शकों के सामने लाने का काम करती हैं। बहुत कम फिल्‍में होती हैं जो समाज के एक बडे वर्ग को ध्‍यान में रखकर बनती हैं और उसमें उनके लिए एक संदेश भी होता है। ऐसी ही फिल्‍म बनाई है वरूण ग्रोवर ने ‘ऑल इंडिया रैंक’। अपनी डायरेक्‍टोरियल डेब्‍यू फिल्‍म की कहानी उन्‍होंने देश के नौजवानों जो आईआईटी में एडमिशन की जद्दोजहद को झेलते हैं उनके इर्द गिर्द बुनी है। मिडिलक्‍लास फैमिली का अपने बच्‍चों को आईआईटियन बनाने के सपने की ये कहानी पर्दे पर उकेरने में वरूण पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाए हैं। ओटीटी पर इसी विषय पर मौजूद ‘कोटा फैक्‍ट्री’ दर्शकों और क्रिटिक्‍स को इस फिल्‍म की तुलना उससे करने पर मजबूर करती है। शायद यही वजह है कि क्रिटिक्‍स को फिल्‍म में कुछ कमियां नजर आईं। आइए आपको बताते हैं कि फिल्‍म के बारे में क्रिटिक्‍स का क्‍या कहना है।

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जानी मानी फिल्‍म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर ‘ऑल इंडिया रैंक’ का रिव्‍यू पोस्‍ट किया है। उन्‍होंने फिल्‍म की कहानी के कुछ पलों के बारे में बात करते हुए कहा कि फिल्‍म की कहानी सेमी बायोग्राफी है। वरूण खुद आईआईटी बीएचयू के स्‍टूडेंट रहे हैं ऐसे में उन्‍होने फिल्‍म में बच्‍चों की स्थिति दिखाने का प्रयास किया है। मिडिल क्‍लास पेरेंट्स अपनी पूरी पूंजी लगाकर बच्‍चे को कोटा भेजते हैं कि आईआईटी का एंट्रेस क्लिअर कर लेगा तो उनकी मुश्किलें कम हो जाएंगी। जैसे आईआईटी कोई संजीवनी बूटी है। अनुपमा के अनुसार फिल्‍म की कहानी में कुछ अच्‍छे कुछ बुरे पल हैं लेकिन कई जगह उन्‍हें कनेक्‍ट फील नहीं हुआ।

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क्रिटिक सु्चित्रा त्‍यागी के अनुसार इस तरह की कहानियां हिंदी एंटरटेनमेंट इंडस्‍ट्री में पिछले कुछ समय से देखने को मिल रही हैं। उन्‍होंने ‘कोटा फैक्‍ट्री’ और हाल ही में रिलीज हुई ‘12th फेल’ का जिक्र करते हुए कहा कि उन्‍होंने वरूण से पूछा था कि उनकी फिल्‍म में क्या अलग है। जिसपर वरूण ने कहा कि उन्‍होंने ये बाकी फिल्‍में या सीरीज नहीं देखी जिससे उनकी फिल्‍म किसी से मिलती जुलती न बने। सुचित्रा के अनुसार फिल्‍म के छोटे छोटे प्‍लॉट मिडिल क्‍लास की कहानी बयां करते हैं।

इस फिल्‍म की तुलना कोटा फैक्‍ट्री, एस्‍पीरेंट और 12th फेल से की जा रही है। प्रतियोगी परीक्षाओं पर आई इन सफल सीरीज और फिल्‍म के बाद वरूण की इस फिल्‍म में आखिर क्‍या अलग हो सकता है। इसे बताया है क्रिटिक शुभ्र गुप्‍ता ने। उन्‍होंने कहा भले ही ये एस्‍पीरेंट या स्‍टूडेंट की प्रतियोगी परीक्षाओं की कहानी है। लेकिन इसके अपने अलग रंग हैं।

निशा सिंह एक पत्रकार और लेखक हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिलेमें हुआ। दिल्‍ली और जयपुर में सीएनबीसी, टाइस ऑफ इंडिया और दैनिक भास्‍कर जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्‍थानों के साथ काम करने के साथ-साथ लिखने के शौक को हमेशा जिंदा...