वे दिन लद गए जब महिलाएं उम्र के तीसरे और चौथे दशक में स्वयं की देखभाल करना छोड़ देती थीं। आज  कोई भी उम्र हो, महिला जवान और खूबसूरत दिखना चाहती है और यहसंभव भी हो गया है। आधुनिक तकनीक ने उम्र  को कहीं बहुत पीछे छोड़ दिया है। जवानी को बरकरार रखने के लिए आप कई तकनीकों का सहारा ले सकते हैं। कुछ वर्ष पहले तक कृत्रिम सिलिकॉन इम्प्लांट के अलावा सिर्फ डर्मल फिलर्स की तकनीक ही उपलब्ध थी जिसमें चेहरे, स्तन और नितम्बों को भरा-पूरा दिखाने के लिए शरीर की चर्बी का ही प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब स्टेम सेल्स की कृपा से अधिकांश लोग गैरसर्जिकल एंटीएजिंग ट्रीटमेंट्स को तरजीह देते हैं। इनका फायदा यह है कि इन तरीकों से किसी को बिस्तर पर पड़े रहने की बहुत कम या बिलकुल जरूरत नहीं होती, दर्द भी बहुत कम सहना पड़ता है और यह सस्ता भी है।

गैरसर्जिकल उपचार

त्वचा कायाकल्प क्रीमें-
एंटीएजिंग उपचार के लिए विटामिन ‘ए’ आधारित क्रीमें हैं, जो बाजार में उपलब्ध तमाम एंटी एजिंग क्रीमों की बुनियाद भी हैं। इन तमाम क्रीमों का इस्तेमाल करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि 30 या इससे अधिक एसपीएफ वाली अच्छी सनस्क्रीन का प्रयोग किया जाए।

केमिकल पील-

केमिकल पील त्वचा की ऊपरी मृत परतों पर लगाई जाती है। एक बार जब ऊपरी मृत परतें झड़ जाती हैं, तो उनकी जगह नीचे से त्वचा की नई कोशिकाएं लेती हैं। अलग-अलग प्रकार की पील त्वचा के नीचे स्थित कोलैजन के पुनर्निर्माण में मदद करती है जिससे त्वचा का कसाव बढ़ता है और महीन रेखाएं ढक जाती हैं।

लेजर रीसरफेसिंग-

लेजर एनर्जी त्वचा की ऊपरी सतह तक पहुंचकर उसे रेगुलेट करती है, जिससे कोलैजन का निर्माण होता है और त्वचा में कसावट आती है।माइक्रो डर्माब्रेजन डॉक्टर त्वचा की मृत ऊपरी परत को रगड़कर साफ कर देता है। इससे त्वचा के चमकदार, चिकनी और स्वस्थ बनने की क्रिया बेहतर बनती है।
फिलर्स  उम्र के कारण होनेवाले टिश्यू लॉस की जगह यूएस, एफडीए द्वारा अनुमति प्राप्त कोलैजेन बेस्ड फिलर्स को अस्थायी टौर पर इंजेक्ट किया जाता
है। इन फिलर्स को आंखों और नाक के आसपास, होंठों में तथा जॉलाइन में सही मात्रा में इंजेक्टकरने से चेहरा युवा नजर आता है। ये तकनीकें और प्रोडक्ट्स तब बेहद सुरक्षित साबित होते हैं,जब इन्हें किसी अनुभवी डॉक्टर द्वारा अंजाम दिया जाता है। इसमें चिंता का एक ही कारण हो सकता है कि कभी-कभी अधिक मात्रा में प्रोडक्ट का इंजेक्शन दे दिया जाता है जिससे लोगों को एलर्जी हो जाती है। चेहरे को कुदरती तौर पर कुछ महीनों के लिए जीवंत करने का यह सबसे अच्छा तरीका है और इसमें कोई दाग भी नहीं आता।

सर्जिकल ट्रीटमेंट

स्टेम सेल्स

एडिपोज (वसा) से प्राप्त स्टेमसेल्स या वसा से प्राप्त रीपेयरेटिव सेल्स का इस्तेमाल भारत में भी उतना ही लोकप्रिय हो रहा है, जितना कि पश्चिमी देशों में। यह ट्रीटमेंट चेहरे और दूसरे अंगों के आसपास (जैसे ग्लूटियस मांसपेशियों, स्तन या पिंडलियों) के इलाज के लिए फायदेमंद है। दरअसल ये जीवित सेल्स रोगी की ही वसा से निकाले जाते हैं। फिर एक प्रक्रिया से गुजारने के बाद इन्हें चेहरे में इंजेक्ट किया जाता है। इससे चेहरा स्थायी रूप से स्वस्थ नजर आता है। ये सेल्स रक्त की आपूर्ति को बेहतर बनाते हैं, नतीजतन स्थायी परिणाम मिलता है।

फेस लिफ्ट सर्जरी-

लटकते गाल, उसके इर्द-गिर्द की झूलती त्वचा और गर्दन के आसपास पडऩे वाली सिलवटें उम्रदराज चेहरे के लक्षण हैं। तनावपूर्ण जीवन शैली और धूम्रपान की वजह से इसका प्रभाव अधिक होता जाता है। उम्र बढऩे के साथ होने वाले परिवर्तनों को वापस करने के लिए फेसलिफ्ट सर्जरी समय की कसौटी पर खरी उतरी है। फेसलिफ्ट सर्जरी उम्र ढलने की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाती, बल्कि चेहरे और गर्दन पर नजर आनेवाली झुर्रियों और सिलवटों को मिटाकर जवां दिखने में आपकी मदद करती है। फेसलिफ्ट सर्जरी के लिए कोई निश्चित उम्र नहीं होती। वे लोग, जो फेस लिफ्ट कराना चाहते हैं, उन्हें चाहिए  कि जैसे ही ढलती उम्र का प्रभाव चेहरों पर आना शुरू हो, फौरन सर्जरी कराएं। जल्दी सर्जरी कराने से परिणाम बेहतर और स्थायी मिल सकते हैं। पुरुषों में ढलती उम्र का प्रभाव तेजी से आता है और उनके मुलायम टिश्यूज की प्रकृति भारी होने के कारण सर्जरी के जरिए उन्हें रिवर्स करना भी कठिन होता है इसलिए पुरुषों को खासतौर पर सर्जरी जल्दी करानी चाहिए।

(मुंबई के कॉस्मेटिक सर्जरी संस्थान एवं ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के वरिष्ठ कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. मोहन थॉमस से बातचीत के आधार पर।)

 बोटॉक्स –

इस प्रक्रिया के अंतर्गत चेहरे की सिलवटों केलिए जिम्मेदार मांसपेशियों को शिथिल करने के लिए बोटॉक्स का इंजेक्शन दिया जाता है, जो 4-6 महीने के लिए अच्छा परिणाम देता है।बोटुलिनम टॉक्सिन का उपयोग उन मांसपेशियों को अस्थाई रूप से पैरालाइज करने के लिए किया जाता है, जो माथे, आंखों और मुंह के इर्द-गिर्द नजर आने वाली स्थाई लकीरों को जन्म देने के लिए जिम्मेदार होती हैं। इस टॉक्सिन को थोड़ी मात्रा में पूर्व चिह्नित जगह पर इंजेक्ट करने से त्वचा चिकनी और जवां नजर आती है।

 कॉस्मेटिक सर्जरी मिथक-

भारत में अधिक से अधिक लोगों को बोटॉक्स, फिलर्स और लेजर थेरेपी के रूप में आम सौंदर्य प्रक्रियाओं में रुचि के कारण कॉस्मेटिक सर्जरी में तेजी से वृद्धि हुई है। दुर्भाग्य से, अधिकांश लोगों में अभी भी कॉस्मेटिक सर्जरी के बारे में काफी कुछ गलतफहमी है। कॉस्मेटिक सर्जरी के बारे में समझे जाने वाले आम मिथकों और वास्तविक तथ्यों को जानें-

1-कॉस्मेटिक सर्जरी प्लास्टिक सर्जरी का ही एक रूप है 

विशेष रूप से भारत में यह आम धारणा है। कॉस्मेटिक सर्जरी सौंदर्य पर केंद्रित है। यह सुंदरता में सामान्य सुधार करती है। प्लास्टिक सर्जरी आम तौर पर पुनर्निर्माण पर केंद्रित है और इसमें एक्सीडेंट होने पर अंगभंग की स्थिति में अंगों को उनके पुराने रूप में लाया जाता है। कॉस्मेटिक सर्जरी में बोटॉक्स, फिलर्स, लेजर उपचार, रासायनिक पील, माइक्रोडर्माब्रेजन आदि शामिल होते हैं। 

2-केवल महिला कॉस्मेटिक सर्जरी में रुचि रखती हैं  

आश्चर्य की बात कि यह सच नहीं है। पुरुष टॉप 5 लोकप्रिय प्रक्रियाओं बोटॉक्स, बाल प्रत्यारोपण, लेजर से बालों को हटवाने के अलावा माइक्रोडर्माब्रेजन और लिपोसक्शन भी खूब करवा रहे हैं।

3-बोटोक्स और फिलर्स का एक जैसा काम-

यह एक गलत धारणा है। बोटॉक्स में झुर्रियां पैदा करने वाली मांसपेशियों को न केवल आराम दिया जाता है बल्कि यह गहरी लाइनों को ठीक या हल्की करने की एक प्रभावी प्रक्रिया है जबकि फिलर्स उन प्रमुख लाइनों और झुर्रियों में भर कर काम करते हैं। जब बोटॉक्स काम नहीं करता तब फिलर्स का इस्तेमाल किया जाता है।

4-बोटॉक्स चेहरे को भावहीनकर देता है
यह बात पूरी तरह गलत है। चेहरे की 43 मांसपेशियां होती हैं जो चेहरे पर भाव पैदा करने के लिए संतुलित तरीके से एक साथ कार्य करती हैं। अगर आप केवल विशिष्ट मांसपेशियों में बोटॉक्स की सही मात्रा इंजेक्ट करवाते हैं, तो आप चेहरे को लकवाग्रस्त बनाए बिना लाइनों और झुर्रियों को ठीक करते हैं। इनमें उचित परिणाम तभी मिलते हैं जब यह एक प्रशिक्षित और अनुभवी त्वचा या सौंदर्य चिकित्सक द्वारा किया जाए।

5-बोटॉक्स सिर्फ झुर्रियों को कम करता है
यह गलत है। बोटॉक्स अपने स्वरूप को बदलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रमुख रूप से जबड़े की हड्डी कम और अधिक करने, आंखें को बड़ा दिखाने और भौहों को अधिक धनुषाकार करने के लिए। फिलर्स के साथ संयोजन के रूप में भी बोटॉक्स का अच्छी तरह प्रयोग हो रहा है।

 6-फिलर्स बहुत दर्द करते हैं 

अगर यह ट्रीटमेंट जनरल एनेस्थीसिया के साथ किया जाए तो फिलर्स का दर्दकाफी कम होता है। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से कह कर एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगवा कर कुछ ही समय में क्षेत्रीय तंत्रिका को ब्लॉक करा सकते हैं या उस एरिया पर ऐसी क्रीम लगा सकते हैं जिससे आपको कुछ महसूस ही न हो।

7-हर कोई बता सकता है फिलर्स का इस्तेमाल  किया है
यदि ठीक से किया जाए तो यह पूरी तरह से प्राकृतिक लगता है। अपका डॉक्टर आपके चेहरे के सौंदर्य पर ध्यान देता है और चेहरे की संरचना के अनुरूप यह बताता है कि फिलर्स अनुकूल होंगे या नहीं। यदि यह देखने से पता चल जाता
तो क्या सेलिब्रिटी इसे करवाते। 

8-लेजर त्वचा को अधिक  संवेदनशील बना सकती है
लेजर एक तरह का प्रकाश होता है। यदि आप एक दीपक के किनारे बैठ सकते हैं, तो आप लेजर भी करा सकते हैं। यदि लेजर पराबैंगनी किरणों का उपयोग ठीक से किया जाए तो आपकी त्वचा प्राकृतिक रूप से जवां, मजबूत और अधिक लचीली हो सकती है। बस यह जरूर सुनिश्चित करें कि आप अमेरिकी एफडीए स्वीकृत प्रौद्योगिकियों और वरिष्ठ अल्ट्रा प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही यह प्रक्रिया कराएं। अच्छी लेजर मशीनें तत्काल परिणाम देती हैं और लंबे
समय तक स्थायी कायाकल्प परिणामों के लिए कोलैजन बढ़ाती हैं।

9-फेसलिफ्ट का एकमात्रतरीका सर्जरी है।
फेसलिफ्ट के लिए बनाई गई बिना सुइयों की प्रौद्योगिकियों के आगमन केसाथ अब सर्जरी के बिना भी चेहरे को दशकों तक बिना दाढ़ी बनाए रखा जा सकता है। अमेरिकी एफडीए स्वीकृत उलथेरा का उपयोग लटकी हुई त्वचा और झुर्रियों को कम करता है और स्वाभाविक रूप से त्वचा में कोलैजन बढ़ाता है जिससे त्वचा लिफ्ट होती है। इस सुई मुक्त चमत्कारी प्रक्रिया से मात्र एक घंटे में आपकी दोहरी ठुड्डी गायब हो जाती है और आंखों के नीचे के काले घेरे भी ठीक हो जाते हैं। इसका कोई नुकसान भी नहीं है और आप लाली या किसी भी
दुष्प्रभाव के बिना तुरंत प्रक्रिया से बाहर आ सकते हैं।

(लुमिरे डर्माटोलॉजी नई दिल्ली की चिकित्सा निदेशक और डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. किरण लोहिया से बातचीत के आधार पर।)