Face lift: बढ़ती उम्र के साथ ही आपकी त्वचा का रंग ज्यादा फीका और टेक्सचर की कोमलता कम होने लगती है। इसकी वजह होती है त्वचा में रक्त का प्रवाह कम होना। मांसपेशियों और कॉलजेन की कमी के कारण चेहरे का आकार बिगडक़र लटकने लगता है। परिणामस्वरूप आपकी त्वचा ”थकी हुई” व ”लटकी हुई” दिखने लगती है और चेहरे का रगं भी फीका पड जाता है।

अब वो जमाना नहीं रहा जब पक्षियों की बीट, मधुमक्खी के विष, भेड़ के प्लेसेंटा और चेहरे को खूबसूरत बनाने वाली तकनीको का इस्तेमाल किया जाए। आज इन सबसे आगे बढने का समय आ गया है। अब बोटोक्स भी आपको ऐसी दमकती त्वचा नहीं दे सकता, जैसे ये पीआरपी फेस लिफ्ट्स या फिर वैंम्पायर इलाज। इस इलाज के तहत आपके रक्त से प्लेटलेट तत्व निकाले जाते हैं और यह आपकी त्वचा को नया जीवन देते हैं।इसके बाद मल्टीपोटेंट स्टेम सेल्स नए कॉलेजन, नई रक्त धमनियां और नई वसायुक्त कोशिकाओं मे विकसित होती है, जो कभी जख्मी नहीं हुई त्वचा की ”मरम्मत कर” उसे फिर से जवान दिखने में मदद करती है।
बड़ी संख्या में महिलाएं बोटोक्स के बजाय पीआरपी को चुन रही हैं क्योंकि इसका प्रभाव अधिक समय तक रहता है और यह बिल्कुल प्राकृतिक इलाज होता है, जिसमें उनके रक्त से ही उनका इलाज किया जाता है।
यह इलाज बेहद आसान है और रोगी के शरीर से लिए गए थोडे से रक्त से ही किया जाता है। इस रक्त को सेंट्रीफ्यूज कर लाल रक्त कोशिकाओं का प्लेटलेट्स से अलग करते हैं। फिर इस प्लेटलेट समृद्ध प्लाज्म़ा यानी पीआरपी को त्वचा के नीचे इजेंक्ट कर देते हैं। यह प्रक्रिया शुरू करने से पहले त्वचा का एनस्थेटिक मरहम लगाकर एनेस्थेसिया दे दिया जाता है। पीआरपी फेस लिफ्ट प्रक्रिया के लिए प्राथमिक इलाज कराने की सलाह दी जाती है, जिसमें 3 से 4 महीने में एक बार इलाज कराने और फिर हर 6 महीने या 12 महीने में एक बार इलाज कराना होगा। हालांकि यह आपकी त्वचा के प्रकार और आप क्या नतीजा चाहती हैं, पर निर्भर करेगा। प्लेटलेट्स में समृद्ध प्लाज्म़ा आपकी त्वचा को कसकर उसे नया जीवन दने के लिए जिम्मेदार होता है। प्लेटलेटो की सतह पर विकास तत्व होता है, जो पीआरपी इजेंक्शन के जरिये इसे त्वचा में प्रवेश कराने पर कॉलेजन विनिर्माण में मदद करते हैं। इससे त्वचा की गुणवत्ता में सुधार होता है।
शुरू के 3-4 दिन त्वचा पर थोडी थकान या सूजन दिख सकती है, लेकिन यह जल्द ही गायब हो जाती है। पीआरपी फेसलिफ्ट प्रक्रिया हर किसी के लिए नहीं होती है।
कई लोगों के लिए सर्जरी या लेजर थेरेपी या बोटोक्स या फिर एचए फिलर ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
पीआरपी में किसी भी सर्जरी की जरूरत नहीं होती और यह एलर्जी की प्रतिक्रिया का जोखिम भी कम होता है क्योंकि पीआरपी को प्राकृतिक तरीके से रोगी के रक्त से ही लिया जाता है।प्लेटलेट में समृद्ध प्लाज्म़ा आधरित इलाज की सुरक्षा और प्रभाविता की पुश्टि स्टेम सेल्स में किए गए शोध से भी हुई है। इस प्रक्रिया में सेहत सुधार के लिए कोई समय नहीं लगता क्योंकि यह निम्नतम इन्वेसिव होती है। हालांकि इलाज के बाद देखभाल के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना इस इलाज की सफलता के लिए बहुत जरूरी है।
चेहरे की झुर्रियां और बारीक लाइने घटाने आंखों के नीचे काले घेरों के इलाज के लिए पीआरपी एक आदर्श कॉस्मेटिक सॉल्यूशन है क्योंकि आंखों व त्वचा के नीचे नए कॉलेजन का विकास होने से त्वचा में सुधार होता है। इससे आपकी त्वचा में स्पष्टता आती है और रोगी को मिलती है कोमल व युवा त्वचा।
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