आत्मविश्वास की कमी के कारण

गोरी, लंबी, सुंदर बहू चाहिए…। आमतौर पर शादी के विज्ञापन में भावी वधु के लिए यही योग्यता या मानक रखे जाते हैं। जी हां, बात चाहें शादी की हो या सौंदर्य प्रतियोगिताओं की हमारे समाज में गोरी रंगत को हमेशा से सुंदरता का मानक और पर्याय माना गया है। रंगत देख ही व्यक्ति की सुंदरता तय की जाती रही है, खासकर लड़कियों और महिलाओं के लिए तो रंगत खास मायने रखती है। क्योंकि हमारे धर्म ग्रंथो में जहां भगवान श्रीराम और कृष्ण के सांवले रंग का जिक्र मिलता है, वहीं जब बात राधा और सीता की होती है तो उनके गौर वर्ण का ही वर्णन किया जाता है। यानी कि पौराणिक धर्म ग्रंथों में भी स्त्री की सुंदरता उसके रंग-रूप के आधार पर वर्णित है, ऐसे में आम जन-मानस में ये भावना और सोच तो आनी ही थी। यही वजह है कि आज हम भले ही हर बात पर आधुनिकता की दुहाई दें, पर महिलाएं और लड़कियां आज भी रंग रूप के मानक पर जरूर परखी जाती हैं। ऐसे में बहुत सारी ऐसी महिलाएं और लड़कियां हैं, जो कि जीवन भर सांवले रंग के बोझ तले दब कर रह जाती हैं।

 

रंग-रूप की कसौटी 

ऐसे में अगर कोई लड़की सांवले रंग के साथ जन्म लेती है, तो जन्म के साथ ही उसके मां-बाप को उसके रंग-रूप को लेकर उसकी शादी ब्याह की चिंता सताने लगती है, वहीं जैसे-जैसे वो बड़ी होती है, आस-पास के लोग उसे उसकी सांवली रंगत का एहसास कराने लगते हैं। पड़ोस और रिश्ते में आने वाली औरतें उसे रंगत साफ करने के लिए तमाम तरह के घरेलू नुस्खे बताती हैं। कुल मिलाकर सांवले रंग के चलते उसमें हीनता और आत्मग्लानि का भाव भर दिया जाता है। वैसे आम लड़कियों को छोड़ भी दें तो बॉलीवुड एक्ट्रेस से लेकर मॉडल्स और सेलिब्रिटीज तक को रंगभेद का शिकार होना पड़ा है। ऐसे में कुछ एक्ट्रेस को तो मजबूरन फेयरनेस ट्रीटमेंट कराना पड़ा है। 

 

मॉडलिंग इंडस्ट्री में भी होता है रगंभेद 

मॉडलिंग इंडस्ट्री का भी यही हाल है, जहां लुक और फिगर के साथ ही रंगत पर भी जोर दिया जाता है। हाल ही में सब्यासाची के ब्राइडल कलेक्शन फोटोशूट से सुॢखयों में आई मॉडल वर्षिता ठाटवर्थी ने भी अपनी ऐसी ही कुछ आप बीती शेयर की है। वर्षिता ने बताया है कि शुरुआत में उन्हें अपने रंग के चलते काफी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। 

आत्मविश्वास की कमी के कारण

प्रियंका चोपड़ा अभिनेत्री – जब बचपन में वो पढ़ाई के लिए अमेरिका गई थीं, तो वहां उन्हें उनके सांवले रंग के चलते कई बार अपमानित किया गया, उन्हें ब्राउनीश् और श्करीश् जैसे नामों से बुलाया जाता था। ऐसे में प्रियंका कहती हैं कि उन्हे सांवले रंग के कारण उनका आत्मविश्वास भी डगमगा गया था। 

 

सांवली रंगत पर बाजारवाद 

न्यूजपेपर से लेकर टीवी तक में आपको फेयरनेस क्रीम के विज्ञापनों की भरमार देखने को मिल जाएगी और ये सांवली रंगत को लेकर सामाजिक सोच का ही नतीजा है कि आज के समय में गोरा करने वाली फेयरनेस क्रीम बनाने वाली कंपनियों का धंधा खूब फल-फूल रहा है। लड़कियों में किशोरावस्था से ही फेयरनेस क्रीम के प्रति रूझान देखने को मिलने लगता है, जो कि काफी हद तक उनकी मजबूरी भी होती है, क्योंकि उन पर गोरा दिखने का दबाव जो होता है। 

जाहिर है कि घर से लेकर बाहर की दुनिया में महिलाओं और लड़कियों को रंग-रूप की कसौटी पर परखा जाता है, ऐसे में अगर किसी लड़की का रंग जरा भी दबा हुआ हो तो उसे लोगों की तीखी नजरों के साथ उम्र भर तमाम तरह की बातें झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सांवले रंग का होना कोई गुनाह है, क्या सांवली लड़कियों को ताउम्र आत्मग्लानि के साथ ही जीना उनका नियति है। वैसे इसका जवाब तो हर कोई ना में ही देगा, लेकिन अफसोस कि फिर भी हमारे समाज में सांवले रंग को स्वीकृति नहीं मिलती। ऐसे में हम आपसे यही कहेंगे कि आप भी समाज से स्वीकृति लेना बंद कर दें।

आत्मविश्वास की कमी के कारण

नंदिता दास अभिनेत्री – जब हम जैसी सशक्त महिलाओं को रंग के मापदंड पर तौला जाता है तो आम लड़कियों का मनोबल तो सिर्फ उनके रंग के कारण ही टूट जाता होगा, जब वो सोचती होंगी कि वो काली हैं। 

 

दूसरों की नजरों से खुद को देखना बंद करें

जरा सोजिए कि अगर रंग-रूप के ताने सुन प्रियंका चोपड़ा ने बचपन में ही अपना आत्मविश्वास खो दिया होता, तो दुनिया को विश्व सुंदरी के रूप में उनका बेहतरीन आगाज देखने को नहीं मिलता या फिर आगे चलकर वो इतनी सफल अभिनेत्री नहीं बन पाई होतीं। नंदिता दास, प्रियंका चोपड़ा, मॉडल वर्षिता ठाटवर्थी जैसे अनेकों नाम इस बात के उदाहरण हैं कि किसी का रंग रूप उसकी सफलता और व्यक्तित्व में आड़े नहीं आता। इसलिए आप भी अपने व्यक्तित्व और आत्मविश्वास के लिए किसी दूसरे की स्वीकृति लेना बंद कर दें, खासतौर पर अगर बात आपके लुक और रंग-रूप की हो तो फिर दूसरों की नजरों से खुद को देखना बंद कर दें।

आत्मविश्वास की कमी के कारण

क्योंकि जब लोगों ने रूप के मामले में चांद तक को दाग होने का ताना देना नहीं छोड़ा तो फिर आम इंसान की बिसात ही क्या है। इसलिए अगर आपकी रंगत अपेक्षाकृत सांवली है, तो इसके लिए सोचना बंद कर दें क्योंकि सुंदरता सिर्फ रंगत से नहीं आती। बल्कि अगर आपके अंदर आत्मविश्वास है और आप अंदर से अपने आप को बेहतर मानती हैं तो आप बाहर से भी सुंदर दिखेंगी, इससे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि आप सांवली हैं या गोरी। सांवली रंगत में भी आप खूबसूरत दिख सकती हैं, बस आपको अपने रंग के अनुरूप मेकअप और ड्रेसअप करना आना चाहिए। 

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