Hindi Best Story: शादी सकुशल संपन्न हो गई। जयमाल के समय नयनतारा की खूबसूरती देखते बनती थी। किसी अभिनेत्री से कम नहीं लग रही थी जबकि लड़का सांवले रंग का सामान्य नाक-नक्शे वाला था।
‘नमस्ते’, मुझे देखते ही नयनतारा मुस्कुराकर बोलीं। एकाएक मैं उसे पहचान न सकी। मेरे पति ने मदद की।
वे कानो में फुसफुसाये, ‘इसी की शादी में हमलोग होटल रेजिडेंसी गये थे। वे आगे कहते रहे, ‘यह हमारी कालोनी में रहती है। तब मुझे याद आया। मैं सोचने लगी कि क्या सचमुच मेरी याददाशत कमजोर हो गई
हैं? दरअसल ऐसा नहीं था। पूरे आठ साल पहले मैंने नयनतारा को देखा था। उसके बाद अब। तब वह काफी खूबसूरत थी। खूबसूरत तो आज भी है मगर बदन थोड़ा भर गया था। मैं अपने एक कजिन के लेडिज संगीत में गई थी वहीं नयनतारा अपना प्रोग्राम देने आई थी। बातों-बातो में बताया कि गायन उसका प्रोफेशन है। जब तक वह गाती रही मेरा ध्यान उसके अतीत की तरफ लगा रहा। नयनतारा के बारे में लोगों की राय अच्छी
नहीं थी। उसकी पड़ोसन वर्मा आंटी ने एक बार बताया था कि जब इंटर में थी तब एक बार किसी लड़के के साथ भाग चुकी थी।
लड़का फेसबुकिया मित्र था। मैंने मन ही मन फेसबुक को कोसा। किस तरह से यह लड़के-लड़कियों को बर्बाद कर रहा है।
बहरहाल तब मेरी नयनतारा से कोई बोलचाल नहीं थी। बस आते-जाते कभी-कभार दिख जाती थी। जीवन के हकीकत से दूर वे अलग ही फंतासी दुनिया में खोए रहते हैं। ऐसे में हर मां-बाप का फर्ज होता है कि अपनी औलाद पर नजर रखें। नजर का मतलब अपने बच्चों को कंपनी दें ताकि वे अपने मन की बात अपने मां-बाप से बेहिचक कह सकें। लड़कियों के लिए मां से बेहतर संगिनी कौन हो सकती है। निश्चय ही नयनतारा के
मां-बाप बेटी की तरफ से बेखबर होंगे तभी उसे भटकने का मौका मिला। मैं एक स्कूल में पढ़ाती थी। नयनतारा के घर के करीब एक परिवार रहता था। उनकी बेटी मेरे घर ट्यूशन लेने आती थी। मेरा उस महिला से ठीकठाक परिचय था। नाम उसने सुनीता बताया। एक शाम जब वह अपनी बेटी को लेने आई तब एक कार्ड बढ़ाते हुए बोली, ‘मेरे भाई की शादी है, आप लोगों को आना है। मैंने मुस्कुराते हुए उसके कार्ड को पकड़ा फिर खोलकर पढ़ने लगी। मैंने लड़की के बारे में पूछा तो बताने लगी कि वह पास की नयनतारा, आप जानती होंगी।
मैंने कहा, ‘देखा होगा मगर नाम से नहीं जानती। वह चली गई। मैं सोचने लगी इतना करीब रिश्ता करना क्या उचित होगा? दूसरे क्या लड़के वाले नयनतारा के अतीत से अनभिज्ञ हैं? जब थोड़ी दूरी पर रहते हुए मैं जान गई तो भला वे न जानते होंगे? कहीं दोनों का प्रेम विवाह तो नहीं? हो सकता है।
तब तो कोई सवाल बेमानी है। लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। ऐसा ही सुनीता ने बताया था। मैं सुनकर खुश थी चलो नयनतारा का घर बस जाएगा। कहने को तो लोग कुछ भी कहते रहते हैं। हो सकता है उसके भागने
की खबर झूठी हो? माना कि उसने ऐसा किया भी होगा तो इसे उम्र की नादानी कह सकते हैं। इसके लिए नयनतारा को हमेशा के लिए दंड देना कहां का न्याय है?

शादी सकुशल संपन्न हो गई। जयमाल के समय नयनतारा की खूबसूरती देखते बनती थी। किसी अभिनेत्री से कम नहीं लग रही थी जबकि लड़का सांवले रंग का सामान्य नाक- नक्शे वाला था। जो भी हो लड़के का काम
देखा जाता है। उस हिसाब से जोड़ी परफेक्ट थी। समय सरकता रहा। एक रोज अचानक एक कंह्रश्वयूटर की दुकान पर काम करते हुए मैंने नयनतारा के पति हेमंत को देखा। पहले तो विश्वास नहीं हुआ। फिर गौर किया तो हेमंत ही था। हेमंत यहां? मेरे मन मे विचार कौंधा। सुनीता ने तो बताया था कि पूणे के किसी साफ्टवेयर कंपनी में है? मैं चाहती तो सुनीता से पूछ सकती थी मगर उचित नहीं समझा। सुनीता का मायके में रहकर बेटी को पढ़ाना भी हजार सवालों को जन्म देता था। न उसने कभी चर्चा की न ही मैंने कभी उसके पति के बारें में जानना चाहा। उसी ने बताया था कि वे जौनपुर में नौकरी करते हैं। बेहतर शिक्षा के लिए वह बनारस में रहती है। इस बीच खबर लगी कि नयनतारा एक बेटी की मां बन गई। दो साल गुजर गए। वह अब भी ट्यूशन लेने आती थी। एक रोज आई तो कहने लगी, ‘मैडम, हमलोग मकान बेचकर मुंबई पापा के पास जा रहे हैं।
‘आपके पति तो जौनपुर में हैं?’ मेरे कथन पर उसने चुह्रश्वपी साध ली। पति जौनपुर में वहीं सुनीता मुंबई मे रहने जा रही है? हेमंत का तो समझ में आ रहा था मगर सुनीता का जाना कुछ अटपटा लगा।
‘आपका तो मकान है फिर मुंबई जाने का औचित्य?’
‘मकान बिक चुका है। पापा का मुंबई में खुद का फ्लैट है। सबको वहीं बुलाया है। आगे बताया कि पापा मर्चंेट नेवी में थे। हो सकता है रिटायर होने के बाद वहीं बसने का इरादा हो? सब चले गये तो जाहिर है नयनतारा भी जा चुकी होगी। मगर नहीं पूरे एक साल बाद वह मुझे सड़क पर आते दिखी। उसने किसी निजी कालेज के ड्रेस
पहनी हुई थी। सामना हुआ तो मुस्कुराकर मुझे नमस्कार किया।
‘कैसी हो? मैंने पूछा। ‘ठीक हूं दीदी। संयोग से एक रोज वर्मा आंटी मिल गई, तो खुलकर बताया कि नयनतारा का उसके पति से तलाक हो चुका है।
‘तलाक? सुनकर मैं अचंभित हो गई। ‘शादी के चार साल बाद ही तलाक? ऐसा क्या हो गया?’
‘नयनतारा का हाल तो आप जानती ही हैं’ वर्मा आंटी बोली। सारा मोहल्ला जानता है कि नयनतारा एक बार भाग चुकी है। क्या हेमंत का परिवार नहीं जानता होगा?
‘फिर शादी क्यों की? कोई जबर्दस्ती तो थी नहीं। न करता। नयनतारा के साथ-साथ उसकी बेटी की भी जिंदगी बर्बाद कर दी। मेरा मन खिन्न हो गया।
‘ऐसा नहीं है। लड़के में भी ऐब था। कुछ करता धरता नहीं था। बाप नेवी में था। रुपये पैसे की कोई कमी नहीं थी। इकलौता लड़का जानकर नयनतारा के बाप ने उसकी शादी कर दी। इस तरह से नयनतारा का कलंक धुल गया’ वर्मा आंटी बोली।
‘तलाक आपसी सहमति से हुआ था? ‘हुआ होगा तभी तो सब कुछ चुपचाप निपट गया। ‘नयनतारा को उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए था। ‘उसका परिवार ही कौन सा अच्छा है, वर्मा आंटी ने कहा। ‘ऐसा मत कहिए। मुझे अच्छा नहीं लगा।
‘मैं नयनतारा के ससुराल की बात कर रही हूं। नयनतारा की दोनों बहनें शादी के बाद भी मायके रहती हैं। वर्मा आंटी ने खुलासा किया। ‘मुझे पता नहीं।’
‘हां यही सच है। बड़ी का पति ने दूसरी रख ली है। वहीं छोटी का भी हाल कुछ ठीक नहीं है। आशंका तो मुझे पहले ही थी जब सुनिता ने बताया कि उसका पति जौनपुर में रहता है इसके बावजूद वह मायके में रह रही थी। मगर छोटी भी यहीं रहती है यह मेरे लिए अचरज की बात थी। उसकी शादी के कुछ ही साल हुए थे। वह काफी तेज तर्रार थी।
‘जिसके साथ रहना था उसी से शादी कर लेती। इस तरह से अपने पति को छोड़कर पर पुरुष के साथ रहना कितना उचित है? मैंने कहा। पति के साथ तो ससुराल का अंकुश है मगर पुरुष मित्र के साथ ऐसा कुछ नहीं है,
‘वर्मा आंटी ने तंज कसा। बात खत्म करके मैं अपने घर आ गई। काफी देर तक मेरा मन उचाट था। नादानी के चलते नयनतारा क्या इतनी अछूत हो गई कि वह किसी संस्कारी घर की वधू बनने लायक नहीं रही?
आधुनिकता का दंभ भरने वाले समाज का रवैया अब भी महिलाओ के प्रति नहीं बदला है। भले ही लड़कियों को पढा-लिखा रहा है इसके बावजूद न दहेज खत्म हो रहा है न ही उन्हे बराबरी का दर्जा दिया जा रहा है?
जब से नयनतारा को लेडिज संगीत में प्रोग्राम करते देखा तभी से मेरा मन व्यथित था। उस रोज नयनतारा ने मुझे अपना विजिटिंग कार्ड दिया था। मैंने कहीं रख दिया था। थोड़े से प्रयास से वह मुझे मिल गया। मैंने उसे फोन लगाया। नयनतारा के पिता ने उठाया। नयनतारा बाथरूम में थी। बाथरूम से आने के बाद नयनतारा ने मुझे फोन लगाया। ‘मैं कल्पना बोल रही हूं। लेडिज संगीत में मुलाकात हुई थी। वह पहचान गई। उसने
मुझे प्रणाम किया। ‘समय मिले तो मेरे घर आओ। ‘ठीक है, अगले रविवार आती हूं, नयनतारा बोली। बातचीत का दौर चला तो नयनतारा कहने लगी, ‘दीदी, मेरी नादानी की इतनी बड़ी सजा मिलेगी यह मैंने सपने में भी नहीं
सोचा था। उसकी आंखें पनीली हो गई। वह कहती रही, ‘मम्मी-पापा, भाई-बहन सबके लिए मैं अछूत हो गई। ऐसा ही था तो क्यों नहीं मेरे मां-बाप ने उसी लड़के के साथ मेरी शादी करा दी जिसके साथ भागी थी? तब तो
पापा ने जात-पात और इज्जत का हवाला देकर मुझे कमरे में कैद कर दिया।
‘तलाकशुदा उस पर एक बेटी की मां। भगवान जाने मेरी बेटी का भविष्य क्या होगा? नयनतारा की चिंता जायज थी फिर भी हर आदमी अपना भाग्य खुद लेकर आता है। तभी मेरी बहू चाय नाश्ता लेकर आई।
चाय की चुस्कियों के बीच मैंने अपने मन की बात कही, ‘क्या तुम दोबारा शादी करना चाहोगी? सुनकर जैसे उसके कानों पर विश्वास नहीं हुआ।
‘दीदी, मेरा तो पूरा भविष्य ही बचा है उस पर एक बेटी भी। कौन हम दोनों का बोझ ढोना चाहेगा?
‘एक लड़का है, जो दो बेटों का पिता है। क्या उससे शादी करना चाहोगी?
‘बच्चे बड़े हैं?
‘नहीं एक पांच साल का है तो दूसरा सात। पत्नी कोरोना से चल बसी’ मैंने बताया। ‘करता क्या है? नयनतारा ने पूछा। ‘बैंक में नौकरी करता है। खुद का मकान है। बस तुम्हें उसके और अपनी संतानों का ख्याल करना होगा।
‘वह लड़का कौन है? मैं जानती थी कि नयनतारा अवश्य पूछेगी सो बताने में कोई गुरेज नहीं किया।
‘मेरा भाई। तनिक सकुचाते हुए नयनतारा ने पूछा, ‘वे मेरे अतीत से अवगत हैं? मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘हां, मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया है। चाहो तो उससे तुम्हारी मुलाकात करवा सकती हूं। नयनतारा ने कोई आपत्ति नहीं जताई। दोनों के बीच मैं उठकर चली गई। पिता के नाम पर नयनतारा को संशय था, जिसका मेरे भाई विनय ने स्पष्ट कर दिया। उसे पिता का मैं नाम दूंगा। नयनतारा ने राहत की सांस ली।
‘अंतिम फैसला लेने से पहले मैं अपने मां-बाप की अनुमति लेना चाहूंगी, नयनतारा ने मुझसे कहा तो मैंने कोई एतराज नहीं जताया। होना तो ऐसा ही चाहिए था। नयनतारा चली गई। एक हफ्ते बाद नयनतारा अपने मां-बाप के साथ मिठाई के डिब्बे के साथ मेरे घर पर आई।
‘आपने मेरी बेटी का उद्धार कर दिया। वर्ना हमलोग तो यही सोचकर चिंताग्रस्त थे कि हमारे जाने के बाद नयनतारा का क्या होगा?’
नयनतारा की मां भरे मन से बोली। ‘उद्धार कहकर मुझे शॄमदा न करें। दोनो को एक दूसरे की जरूरत है। मेरे कथन पर नयनतारा की आंखे भर आई। उसे अंक में भरते हुए बोली, ‘इन आंसुओं को यूं जाया न करो। काफी बहाया है तुमने। अब खुशियां पंख फैलाये तुम्हें गले लगाने के लिए तैयार है। उसका स्वागत करो।
‘जिसके साथ रहना था उसी से शादी कर लेती। इस तरह से अपने पति को छोड़कर परपुरुष के साथ रहना कितना उचित है?’ मैंने कहा। पति के साथ तो ससुराल का अंकुश है मगर पुरुष मित्र के साथ ऐसा कुछ नहीं है, वर्मा आंटी ने तंज कसा।’
