stop Comparing your child to everything
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बच्चों से ना कहें दिल दुखाने वाली बातें, प्यार से हर बात समझाएं

बच्चों की नज़र में माता पिता के शब्दों और बातों का बहुत महत्व होता है

Positive Parenting Tips: छोटे से छोटे बच्चे के मन-मस्तिष्क में भावनाओं का बहुत बड़ा सा संसार होता है। माता-पिता अक्सर बच्चों से गुस्से या किसी तनाव के चलते ऐसी बातें कह देते हैं, जो उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। बच्चों की नज़र में माता-पिता के शब्दों और बातों का बहुत महत्व होता है, और अनजाने में कहे गए माता-पिता के गलत और मन को बुरे लग जाने वाले ये शब्द उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्थिति के लिए बिलकुल ठीक नहीं होते हैं। माता-पिता को चाहिए कि जब वो तनाव में हों या किसी वजह से उनके मन में नाराजगी या गुस्सा हो उस वक़्त अगर उन्हें बच्चे को पढ़ाना है या उसे कुछ समझाना या बात करनी है तो बहुत ज्यादा सावधानी बरती जाए।

Support your kids
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शायद बच्चों के मन पर उतना बुरा असर नहीं डालता है जितना माता पिता के द्वारा कहे गए बुरे शब्दों से उनका मन ख़राब होता है।

माता पिता के कहे हुए ऐसे शब्दों से बच्चे अपनी सेल्फ वर्थ खोने लगते हैं। यह उन्हें यह अहसास कराता है कि वो कुछ भी नहीं समझते हैं या जानते हैं। जब बच्चा कुछ नया सीख रहा होता है, तो हमें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।

जब बच्चा किसी काम में सफल ना हो पाए या कोई गलती कर दे , तो चिढ़ कर या गुस्से में यह कहना कि “तुम कुछ नहीं कर सकते”  ऐसा कहना बच्चों का दिल दुख देगा। ऐसे शब्द बच्चे के आत्मविश्वास को तोड़ देते हैं।

इस बात का असर बच्चे पर बहुत गहरा पड़ सकता है। बच्चे को यह महसूस होने लगता है कि वो कभी भी अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पायेगा। इससे उनका आत्मसम्मान और मानसिक स्थिति धीरे धीरे कमजोर होने लगती है।

बच्चों की क्षमताओं का आंकलन करना बहुत ही संवेदनशील होता है, माता पिता को ये समझना चाहिए कि हर बच्चा अलग होता है। जब हम इस तरह की बातें कहते हैं, तो बच्चे को यह अहसास होता है कि उसे कोई समर्थन नहीं मिल रहा है।

जब हम बच्चे से हर काम करवाने के लिए उसे मजबूर कर देते हैं, तो वो अंदर ही अंदर दबाव महसूस करने लगता है। बच्चों को अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर फैसले लेने का मौका देना चाहिए। इस तरह उनका आत्मसम्मान बना रहता है।

Pamper your kids
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बच्चों को ये अहसास कभी ना दिलाएं कि वो पूरी दुनिया से अलग हैं या दूसरे बच्चों से बेहतर हैं। बच्चे को यह महसूस कराना चाहिए कि वे अपनी खुद की खासियत रखता हैं, लेकिन उन्हें दूसरे बच्चों का भी सम्मान करना चाहिए।

ये बात बच्चों को ये महसूस करवा सकती है कि वे किसी काम के लायक नहीं हैं या उनका कोई मूल्य नहीं है। अगर बच्चा किसी काम को सही से नहीं कर पा रहा है, तो हमें उसे समझाना चाहिए कि यह कोई बड़ी बात नहीं है।

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...