सकारात्मक सोच के साथ जीतिए बच्चों का दिल
क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश करी है की आखिर ये बैड पेरेंटिंग या नकारात्मक परवरिश क्या है?
Negative Parenting: बच्चे के उज्जवल भविष्य का ख्याल रखते हुए माता पिता हर संभव प्रयास करते हैं। बैड पेरेंटिंग जैसा तमगा किसी भी माता-पिता को अच्छा नहीं लगेगा। हर माता-पिता यही चाहते हैं की उनके बच्चे को जीवन में किसी भी तकलीफ और दुःख का सामना ना करना पड़े, उन्हें कभी ऐसा महसूस ना हो की उनके आसपास रहने वाले बच्चों के माता-पिता उनके लिए बेहतर कर रहे हैं। लेकिन क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश करी है की आखिर ये बैड पेरेंटिंग या नकारात्मक परवरिश क्या है? क्या माता-पिता जानबूझ कर ऐसा करते हैं या उनके किसी रवैये को देखते हुए ये समाज निर्धारित कर देता है कि उनकी परवरिश सकारात्मक नहीं नकारात्मक है।
आइये जानते हैं क्या है नेगेटिव पेरेंटिंग।
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उसका गुस्सा इस पर

किसी भी इंसान को गुस्सा आना आम बात है। जिसकी वजह से आपको गुस्सा आ रहा है हो सकता है वो ऑफिस में आपका कोई वरिष्ठ सहकर्मी हो या परिवार में किसी से कुछ बात हो जाने पर ये गुस्सा किसी बड़े के लिए भी हो सकता है। ऐसी स्तिथि में हम अपना गुस्सा या नाराज़गी किसी से जाहिर नहीं कर पाते हैं। नतीजतन कई बार ऐसा होता है की हम बिना वजह ही ये गुस्सा अपने बच्चों पर निकाल देते हैं। इस तरह का व्यवहार बच्चों के मन में हमारे प्रति डर पैदा कर देता है और हम नेगेटिव पेरेंटिंग की तरफ एक कदम आगे बढ़ जाते हैं।
भावनाओं को समझें

बच्चे कोमल मन के होते हैं। छोटी छोटी बातों में भावुक हो जाना या नाराज़ हो जाना उनका स्वभाव होता है। इस पर माता पिता की प्रतिक्रिया बहुत ही सकारात्मक होनी चाहिए। बच्चे के नाराज़ होने की वजह अच्छे से समझें, उसे बताएं की वो आपके लिए बहुत मायने रखते हैं। उनके दुखी होने पर आपको भी अच्छा महसूस नहीं होता है। बच्चा किसी भी उम्र का हो उसे इस तरह प्यार से समझाने पर वो जिंदगी में अपनी अहमियत समझ जाएगा और आपसे हमेशा अपने मन की बात साझा करेगा। इसके उलट बहुत से माता पिता बच्चों का मजाक बनाने लगते हैं और उन्हें कमजोर, बुद्धू इस तरह के शब्द बोल देते हैं। नकारात्मक परवरिश की तरफ इशारा करने वाले इन शब्दों से आज ही दूरियां बना लें।
रौब जमाना

घर से बाहर निकलते ही कुछ माता-पिता बच्चों से हद से ज्यादा प्यार दिखने लगते हैं और कुछ अपना रौब दिखाना शुरू कर देते हैं। जरा-सी बात पर वो बच्चे को किसी के भी सामने जोर से दांत फटकार देते हैं और दिल दुखाने वाले शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। बच्चे झेंप कर चुप हो जाते हैं और माता-पिता सबके सामने ये सोचकर खुश होते हैं कि वो बच्चों पर इतना नियंत्रण रखते हैं कि बच्चे उन्हें पलट कर जवाब भी नहीं देते हैं। इस तरह की मानसिकता रखने वाले माता पिता आज ही अपनी इस आदत से अलविदा कहें।

बच्चों के साथ सख्ती जरूर करें लेकिन उनके दिल को ना दुखाएं जिस तरह किसी और के बोले हुए गलत शब्द हमें चोट पहुंचाते हैं। उसी तरह बच्चे इस तरह के व्यवहार से बुरी तरह आहत हो जाता है और धीरे-धीरे अपना बचपना खो बैठता है।
