shrenu parikh as mata parvati
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Summary: श्रेनु पारिख का एक्सक्लूसिव: पार्वती की भूमिका में मिली शक्ति और संवेदनशीलता

श्रेनु पारिख ने सोनी सब के पौराणिक शो ‘गणेश कार्तिकेय’ में देवी पार्वती का किरदार निभाने के अपने एक्सक्लूसिव अनुभव साझा किए। उन्होंने चुनौतियाँ, भावनात्मक सफर और किरदार की खासियतों के बारे में बताया।

Shrenu Parikh Interview: सोनी सब के शो ‘गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय’ में भगवान शिव, देवी पार्वती और उनके पुत्र भगवान गणेश व भगवान कार्तिकेय की असाधारण यात्रा देखने को मिलती है। एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने गृहलक्ष्मी को अपने अनुभव, चुनौतियाँ और किरदार की खासियतों के बारे में बताया। श्रेनु ने साझा किया कि पार्वती का किरदार निभाना उनके लिए कितना भावनात्मक और प्रेरणादायक रहा। आइए पढ़ें, उनके इस एक्सक्लूसिव अनुभव की कुछ खास बातें।

शो का अनुभव मेरे लिए बेहद खास रहा। सच कहूँ तो यह आदिशक्ति की कृपा ही थी कि मैंने यह भूमिका चुनी। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं डिवोशनल जॉनर में काम करूँगी, लेकिन यह किरदार मेरे पास आया और सब कुछ अपने आप जुड़ गया। सेट पर लोग मुझे ‘माता’ कहकर बुलाते हैं, और उस पल की ऊर्जा वाकई अलग और सकारात्मक होती है। यह अनुभव मुझे और भी खास लगता है।

मेरे लिए सबसे चुनौतीपूर्ण सीन था, जब दंडपाणी का सिर शिव के त्रिशूल से कटता है। यह सीक्वेंस इमोशनली और फिज़िकली दोनों ही हैवी था। शूट से पहले मैंने टीम से कहा कि आज मुझे पूरा सपोर्ट चाहिए, क्योंकि यह सीन बहुत इमोशनली एग्जॉस्टिंग होने वाला है। सीन अच्छा हुआ और पूरी यूनिट ने मुझे सपोर्ट किया। सच कहूँ तो, उस सीन में पार्वती की पीड़ा इतनी गहराई से महसूस हुई कि दिल पर भारी असर पड़ा।

हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इतनी पौराणिक गाथाएँ नहीं पढ़ते, इसलिए मैंने माता, महादेव और बच्चों से जुड़ी कई कहानियाँ पढ़ीं और समझीं। अब मैं सेट पर खुद कहानियाँ सुनाती हूँ और हर नए किरदार के लिए गहन रिसर्च करती हूँ। जैसे पहले दस महाविद्याओं का किरदार निभाते समय भी मैंने हर कहानी का अध्ययन किया था। यह सारी तैयारी मैंने खुद की।

आदिशक्ति में शक्ति के साथ-साथ बहुत संवेदनशीलता भी है। जैसे हम तकलीफ़ में “माँ” कहते हैं, वही भावना आदिशक्ति से भी जुड़ी होती है। इस संवेदनशीलता को पर्दे पर दिखाना आसान नहीं था। मैंने मातृत्व का अनुभव तो नहीं किया, लेकिन किरदार निभाते हुए वह सौम्यता अपने भीतर महसूस हुई। साथ ही पार्वती की उग्र और कठोर साइड का संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी था, जिसमें डायरेक्टर और क्रिएटिव टीम मेरी मदद करती रही।

पार्वती का सबसे प्रेरणादायक पहलू यह है कि वह शिवजी और परिवार को जोड़कर रखने वाली शक्ति हैं। वह स्वयं पूरी सृष्टि की माता हैं, फिर भी परिवार की भावनात्मक मजबूती उनका प्राथमिक कर्तव्य है। इतने त्याग और बलिदान के बावजूद, पार्वती ने न सिर्फ सृष्टि, बल्कि अपने परिवार का भी पूरा ध्यान रखा यही बात मुझे भीतर तक छूती है।

हमारे सेट पर हमेशा एक दिव्य माहौल रहता है, शिव स्तोत्र और म्यूज़िक की वजह से हम किरदार में आसानी से उतर जाते हैं। सेट पर सभी को-एक्टर्स एक-दूसरे की मदद करते हैं, और बच्चों की एनर्जी बहुत प्योर और सच्ची होती है। मैं कार्तिकेय को ‘कुमार’ और गणेश को ‘गन्नू’ ही बुलाती हूँ। हम मस्ती करते हैं, हँसी-मज़ाक करते हैं और एक-दूसरे की परफॉर्मेंस बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।

इस किरदार को निभाने के बाद मेरी हिंदी और भी शुद्ध हुई है, और बातचीत में पौराणिक शब्द अपने आप इस्तेमाल होने लगे हैं। स्वभाव में एक ठहराव आया है आदिशक्ति की सौम्यता और शक्ति दोनों का अनुभव मुझे गहराई से समझ में आया। संतुलन और शांति मेरे लिए इस सफर की सबसे बड़ी सीख है।

मुझे एक्टिंग बचपन से ही पसंद थी और ऐश्वर्या राय मेरी प्रेरणा रही। स्कूल और कॉलेज में थिएटर और ड्रामा करती रही। कॉलेज के दौरान एक ब्यूटी पेजेंट में हिस्सा लिया और जीत हासिल की, जिससे पेरेंट्स का सपोर्ट मिला। फार्मेसी की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई आई, और छह महीने के भीतर ही टीवी पर काम मिलने लगा। थोड़ा लक, बहुत मेहनत और माता-पिता के त्याग ने मिलकर मुझे यह सपना पूरा करने में मदद की।

मैंने प्री-सोशल मीडिया और सोशल मीडिया दोनों का अनुभव किया है। पहले एक्टर्स के आसपास एक अलग मिस्ट्री होती थी, अब फैंस का प्यार सीधे मिलता है। सोशल मीडिया जरूरी है ताकि जुड़े रहें और आलोचना भी वेलकम है। जो लोग लाइन क्रॉस करते हैं, उन्हें मैं इग्नोर करती हूँ नेगेटिविटी से दूर रहने का यही सबसे अच्छा तरीका है।

शादी हो चुकी है और अब मेरी दोनों ज़िंदगियाँ अच्छे से मैनेज हो रही हैं। शुरुआत में दस साल मैं एक्टिंग में इतनी व्यस्त थी कि पर्सनल लाइफ को इग्नोर किया। उस समय सेट पर पेरेंट्स आते थे, मैं काम में व्यस्त रहती थी, दोस्तों और कजिन्स की शादियाँ मिस कर दी, भाई अमेरिका चला गया…अब 30 की उम्र में समझ आई कि अपने और परिवार को समय देना ज़रूरी है छुट्टियाँ बिताना, परिवार के साथ समय निकालना प्राथमिकता है। अब मैं इन सबका ध्यान रखती हूँ और जीवन में संतुलन बनाने की कोशिश करती हूँ।

मैं भविष्य में कॉमेडी शो करना चाहती हूँ, क्योंकि रियल लाइफ में मैं काफी फनी हूँ।
साथ ही हॉरर और थ्रिलर जॉनर भी एक्सप्लोर करना चाहती हूँ। नए जॉनर चुनौती और सीखने का मौका देते हैं।

एक्टर होना कभी खत्म न होने वाली प्रक्रिया है हमेशा सीखते रहें। ग्राउंडेड, हम्बल और मेहनती रहें। सोशल मीडिया मोमेंटरी है, स्थिरता बनाए रखना ज़रूरी है। टैलेंट निखारें और मेहनत पर भरोसा रखें यही आपको ऊँचाइयों तक ले जाएगा।

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...