पढ़ने का समय तय करने के बाद, एक निश्चित स्थान पर बैठकर पढ़ाई करें। अपने आप से पूछें कि आप जहां बैठ कर पढ़ने जा रहे हैं, वह आपकी पढ़ाई के लिए उपयुक्त स्थान है। आपको अपनी पढ़ाई के लिए काफी उपयुक्त व अनुकूल माहौल व स्थान चुनना चाहिए। आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-

दिनचर्या निश्चित करें– जिस समय आप स्वयं को तरोताजा और चुस्त पाएं, उसी समय सबसे कठिन विषय सामग्री की तैयारी करें। अपने आप से पूछें कि आप यह पढ़ाई (सुबह/दोपहर/शाम/रात) कब कर पाएंगे। फिर उसी के हिसाब से अपनी दिनचर्या निश्चित करें।

समूह- आप अकेले पढ़ना चाहेंगे, छोटे समूह में या फिर किसी बड़े समूह के साथ? यदि छोटे समूह में पढ़ना चाहते हैं तो बड़ी कक्षाओं में न जाएं। ऐसी कक्षाओं में जाएं, जहां पढ़ाने के लिए समूह गतिविधि की रणनीति अपनाई जाती है। पेपरों व टैस्टों की तैयारी के लिए स्टडी ग्रुप बनाएं।

पोस्चर– कुछ लोग पूरी एकाग्रता से पढ़ने के लिए मेज-कुर्सी का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग सोफे या फर्श पर बैठना पसंद करते हैं। कुछ लोग पढ़ने व याद करने के लिए ट्रेडमील को चुनते हैं, तो कुछ चहलकदमी पसंद करते  हैं। कुछ लोग लंबे समय तक लगातार बैठ सकते हैं तो कुछ हर थोड़ी देर बाद ब्रेक लेना चाहते हैं। अपने पोस्चर व पढ़ने की क्षमता का पता लगाकर, तय कीजिए कि आपको कब व कहां पढ़ना चाहिए।

आवाज- आमतौर पर पढ़ने के लिए शांत माहौल चाहिए लेकिन कुछ लोगों को इसकी जरूरत नहीं होती। अगर आप हल्के या शास्त्रीय संगीत के साथ पढ़ना चाहते हैं तो आपको अपनी पढ़ाई व याद करने के अनुकूल संगीत ही चुनना होगा।

प्रकाश व्यवस्था– अध्ययनों से पता चला है कि कुछ लोग सर्दियों के महीनों में रोशनी की कमी की वजह से अवसादग्रस्त हो जाते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं, तो वहीं बैठकर पढ़ें, जहां रोशनी की उचित व्यवस्था हो। अगर छपाई और कागज के रंग का सही मेल न हो, तो भी पढ़ने की क्षमता प्रभावित होती है। सफेद कागज पर काली छपाई का सबसे तेज कंट्रास्ट होता है। कुछ लोगों को नीले या सलेटी कागज पर काली छपाई पढ़ने में आसानी होती है प्रकाश-व्यवस्था की अहमियत को ध्यान में रखते हुए, पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल पैदा करें।

तापमान– हालांकि आप हमेशा कमरे के तापमान को काबू में नहीं रख सकते लेकिन आपको हमेशा ध्यान देना चाहिए कि आप गर्म माहौल में पढ़ना चाहेंगे या सर्द माहौल में। उसी माहौल में बैठकर पढ़ें, जहां पढ़ना आरामदायक लगे।

पढ़ने के माहौल पर नियंत्रण

  • पढ़ने के लिए एक जगह तय करें और वहां पढ़ने के सिवा कुछ न करें। क्या आपके पास पढ़ने की कोई जगह है, जिसे आप अपना कह सकें? जब आप पढ़ने बैठेंगे तो आपको अपने अनुकूल माहौल भी चाहिए होगा। यह शांत होना चाहिए, इसके आसपास शोर, टी.वी. या लोग वगैरह न हों लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है। कई सर्वे कहते हैं कि 80 प्रतिशत छात्र किसी पुस्तकालय या स्टडी हॉल में नहीं बल्कि अपने कमरे में ही पढ़ते हैं। कोई ऐसी जगह, जहां आप पढ़ाई के सिवा कुछ न करें, वही सबसे बेहतर हो सकती है। माहौल सही होगा तो पढ़ाई में मन भी रमेगा। जैसे आप कक्षा में जाकर पूरे ध्यान से लैक्चरर की बात सुनते हैं, आपका ध्यान नहीं भटकता क्योंकि कक्षा इसलिए होती है कि आप वहां जाकर अध्यापक की बात सुन सकें। अगर आपके पास घर में भी ऐसा ही कोई कोना हो तो आप वहां कभी भी जाकर पढ़ने बैठ सकते हैं।
  • कोई भी काम शुरू करने से पहले, कागज पर लिखें कि उसे कितने समय में पूरा कर लेंगे। अपने लक्ष्य का पूरा रिकॉर्ड रखें। इस काम में ज्यादा समय नहीं लगेगा। हालांकि इससे आप पर थोड़ा दबाव तो पड़ेगा लेकिन पढ़ने के तौर-तरीकों में काफी अच्छा बदलाव आएगा। अपने लक्ष्य धीरे-धीरे ऊंचे करें। अचानक बहुत बड़े अंतर की उम्मीद न रखें। लक्ष्य की मात्रा धीरे-धीरे ही बढ़ाएं।
  • कोई सामाजिक प्रतीक अपनाकर एकाग्रता की क्षमता बढ़ाएं। आप पढ़ाई शुरू करते समय कोई खास कपड़ा, स्कार्फ, हैट या कुछ भी अलग व नया पहन कर बैठ सकते हैं। इससे परिवार के बाकी सदस्य जान जाएंगे कि आप पढ़ने जा रहे हैं, आपको बाधा न दी जाए। दूसरे आप भी मन ही मन पढ़ने के लिए तैयार हो जाएंगे। वही सामान या वस्तु सिर्फ पत्र लिखने, दिन में सपने देखने या घुड़सवारी के लिए न पहनें। अगर वह वस्तु या प्रतीक, पढ़ाई के अलावा किसी दूसरी चीज से भी जुड़ गया हो तो उसे बदल दें।
  • अगर मन भटकने लगे तो खड़े होकर, किताबों से मुंह घुमा लें। किताबों को घूरते हुए अपनी कमजोर संकल्प शक्ति को दोष न दें वरना आपकी किताब सपने देखने और अपराध बोध से जुड़ जाएगी। कमरे से बाहर न जाएं, बस किताबों से ध्यान हटा लें। खड़ेे होने से भी, आपका ध्यान काम की ओर जाएगा। अपने-आप से कहें, ‘मुझे खड़ा होना चाहिए।’ इतना कहने से ही आपका दिमाग वापिस काम पर आ जाएगा।
  • हर पृष्ठ के अंत में, 10 तक गिनती करें। इससे आपके मन को एकाग्र होने में मदद मिलेगी। अगर कोई आपसे पूछे कि आपने क्या पढ़ा और आप सिर्फ उसे आधा घंटा बता सकें, तब यह तकनीक लागू करना फायदेमंद रहेगा। लेकिन याद रखें, यह तभी फायदेमंद हो सकती है जब आप एकाग्र न कर पा रहे हों।
  • पढ़ाई का एक निश्चित समय तय करें। अगर आप पूरे दिन का निरीक्षण करें तो पता चलेगा कि आप पहले से तय समय पर ही कुछ काम करते हैं। हो सकता है कि थोड़े बहुत बदलाव आएं लेकिन रोजमर्रा की आदतें एक सी रहती हैं। अगर आप अपने साथ ईमानदारी बरतें तो आपको एहसास होगा कि पढ़ाई की आदत बनाना कोई मुश्किल नहीं है। अगर पढ़ाई एक आदत बन गई, तो उसे शुरू करना और भी आसान हो जाएगा। तब आप दिन में सपने देखने की बजाए, सही तरीके से पढ़ाई भी करेंगे।
  • पढ़ाई शुरू करने से थोड़ी देर पहले, कोई भी अधूरा काम हाथ में न लें। अधिकतर लोग पढ़ाई के दौरान अधूरे कामों के बारे में ही सोचते रह जाते हैं। पढ़ाई से पहले लंबी-चौड़ी बहस में उलझने की बजाए मन को शांत कर लें। इससे आपकी एकाग्र शक्ति में सुधार हो सकता है।
  • अपने लिए छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें। अपने काम को छोटे टुकड़ों में बांट लें। समय तय करें कि आप पहला पृष्ठ कितने समय में कर लेंगे अगर गणित कर रहे हैं तो हर सवाल हल करने का समय तय करें हर सवाल के लिए समय तय होने से लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे आपकी पढ़ने की क्षमता में सुधार होगा।
  • अपने पास एक रिमाइंडर पैड रखें। काम करते समय, अपने पास कागज और पेंसिल रखने से भी एकाग्रता शक्ति बढ़ाई जा सकती है। पढ़ाई के दौरान, कोई किया जाने वाला काम याद आए, तो उसे झट से लिख लें। बाद में पैड देखकर, वे सारे काम पूरे किए जा सकते हैं। काम भूल जाने का डर मिटने से पढ़ाई भी आराम से हो पाएगी।
  • पढ़ाई शुरू करने से पहले पूरी तरह रिलैक्स हो जाएं। एकाग्र होने के लिए अपने-आप से पूछें- ‘क्या मुझे पढ़ाई और गृहकार्य से डर लगता है?’ अगर आपको कोई नापसंद काम करना पड़ता तो आप कैसे प्रतिक्रिया देते? आप काम या पढ़ाई को रोकने की पूरी-पूरी कोशिश करते, पढ़ते-पढ़ते सपनों में खो जाते। इन सब परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप रिलैक्स होना सीखें। अगर आप शारीरिक व मानसिक रूप से पूरी तरह रिलैक्स होंगे तो किसी भी तरह की उत्तेजना या उद्वेग महसूस नहीं होगा। अपनी पढ़ाई को तनाव से नहीं, प्यार से खोलें व जुड़ाव महसूस करें। पढ़ाई के समय पढ़ें और चिंता के सिमय चिंता करें। दोनों को एक साथ न मिलाएं।

यह भी पढ़ें –सफाई को बनाएं आसान