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मुखाकृति विज्ञान – परमहंस योगानंद

आंखें आत्मा की संपूर्ण कहानी प्रकट करती हैं, न केवल इस जन्म की बल्कि गत जन्मों की भी, फिर भी इस जीवन में प्रतिबिम्बित होने वाले पिछले जन्मों के प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए एक गुरु के ज्ञान की आवश्यकता होती है।

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कबीर ने जो चखा है, वही कहा है – ओशो

कबीर के संबंध में पहली बात समझ लेनी जरूरी है। वहां पांडित्य का कोई अर्थ नहीं है। कबीर खुद भी पंडित नहीं हैं। कहा है कबीर ने ‘मसि कागद छूयौ नहीं, कलम नहीं गही हाथ।’ कागज-कलम से उनकी कोई पहचान नहीं है। लिखालिखी की है नहीं, देखादेखी बात- कहा है कबीर ने। देखा है, वही कहा है। जो चखा है, वही कहा है। उधार नहीं है।

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कोविड से जुड़ी जानकारी सुझाव और सलाह

अगर आप कोविड मरीज हैं या आपके परिवार में कोई संक्रमित है या फिर किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जो पॉजिटिव है तो आपके लिए कोविड-19 की हर जानकारी रखना बहुत जरूरी है। वैसे भी भारत अब तीसरी वेव की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में सबकी हर संभव कोशिश होनी चाहिए सुरक्षित रहने की।

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जो जन्मा है सो मरेगा – आनंदमूर्ति गुरु मां

हम जीने का इतना इंतजाम कर रहे हैं। हम खाने का इतना इंतजाम कर रहे हैं। पर हम अपनी मौत के विषय में कभी भी नहीं सोचते हैं। कौन बचा है मौत से? जो जन्मा है सो मरेगा।

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चौंसठ तीर्थों का महातीर्थ – तिरुपति

भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है तिरुपति मंदिर। भक्तों की आस्था है कि यहां दर्शन करने से उनकी हर मनोकमना की पूर्ति हो जाती है। इसीलिए इस लेख के माध्यम से हम आपको ले जा रहे हैं तिरुपति मंदिर की यात्रा पर।

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सदा सुहागन रहने का व्रत वट सावित्री व्रत

भारतीय संस्कृति में सावित्री एक ऐसी स्त्री हैं, जिनके अदम्य साहस के सामने यमराज को भी हारना पड़ा। दुनिया में कहीं ऐसी मिसाल देखने को नहीं मिलती कि स्त्री अपने पतिव्रत धर्म के पालन के बल पर मृत्यु को भी जीत ले।

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कबीर के शब्दों में कबीर

कबीर पर लिखना या बोलना कठिन ही नहीं असंभव जैसा है। यह ऐसे ही है जैसे सागर पर कुछ लिखना हो, सूरज पर कुछ लिखना हो। इन पर लिखने के लिए इन्हें उनके जितना जानना या नापना जरूरी है और सागर की गहराई और सूरज की आग-नापने का अर्थ है खुद का न बच पाना, खुद को खो देना। इन्हें खोजने वाले कभी खुद नहीं बचे। खोजने वाला स्वयं लुप्त हो जाता है। यही सागर की, सूर्य की परिभाषा है, यही सत्य है।

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सर्वश्रेष्ठ है भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत

भारतीय संस्कृति में एकादशी व्रत का महत्त्व पद्मपुराण में विस्तार से बताया गया है। भीम ने वेद व्यास से व गोपियों ने राधाजी से एकादशी व्रत के महत्त्व को पूछा था। गोपियों के पूछने पर राधा जी ने बताया कि मार्ग शीर्ष मास के कृष्णपक्ष में भगवान् विष्णु के मुख से एक असुर का वध करने के लिए एकादशी की उत्पत्ति हुई, अत: वह तिथि अन्य सब तिथियों से श्रेष्ठ है।

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भारत की पहचान है गंगा

भारत और दूनिया में गंगा को सर्वोंच्च महत्त्व दिया गया है। इतना महत्त्व विश्व में शायद किसी और नदी को नहीं मिला। गंगा नदी को भारत की पहचान कहा जाए तो गलत न होगा।

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गंगा से जुड़े पर्व, उत्सव, व्रत एवं त्योहार

भारत में गंगा नदी को, हिन्दू धर्म के साथ ही नहीं संस्कृति और सभ्यता के साथ भी जोड़कर देखा गया है। इसी कारण इस नदी के साथ हमारे कई व्रत-पर्व, त्योहार-मेले आदि जुड़े हुए हैं। आइए लेख से जानें पर्वों का महात्म्य व इनसे जुड़ी कथाएं।

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