Mother Story: हवा के तेज झोंके से बहुत ठिठुरन सी महसूस हुई और सारिका नींद में चौंक उठी,अलसाई आंखों से घड़ी को देखा तो अभी तीन ही बजे थे, उनकी ट्रेन उदयपुर सुबह साढ़े सात बजे पहुंचनी थी।वो फिर से सोने की कोशिश करने लगी। गाड़ी की तेज गड़गड़ाहट के साथ प्रिया की चंचल, तेज […]
Author Archives: संगीता अग्रवाल
लागी छूटे ना-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahani: नया नया शहर था रीटा के लिए वो…उसे बड़ा अजीब लगता था यहां…दिल्ली जैसे महानगर से निकलकर सीधे राजस्थान के एक छोटे से शहर में उसकी बैंक की नौकरी लगी थी उसकी…आई सी सी आई की कोई नई ब्रांच खुली थी वहां,बड़ा चुनौतीपूर्ण काम था वो जॉब करना उसके लिए लेकिन वो बहुत […]
रोज़ डे—गृहलक्ष्मी की कविता
Rose Day Poem: आज बाज़ार गई तोफूलों का व्यापार होते देखा,दुकानों,एक्स्ट्रा काउंटर्स परलाल गुलाब बेहिसाब देखा। ओह!आज रोज़ डे है…जो हर वर्ष फरवरी में आता है।दिमाग में एक विचार कौंधाये प्यार लाल गुलाब से ही क्यों दर्शाया जाता है? शायद लाल रंग प्यार का प्रतीक हो!पर फूल गुलाब ही क्यों, गुड़हल,डहेलियाभी तो हो सकता था?पर […]
बस अब और नहीं-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Story: काव्या दुल्हन बन कर रवि की जिंदगी में आ है थी, रवि ने उसे सबके बारे में पहले से ही आगाह कर दिया था,मां पिता दोनो बहुत सीधे थे, बड़े भैया भाभी,बिलकुल राम सीता जैसे,भैया बहुत बड़ी पोस्ट पर ऑफिसर थे और भाभी मेघा यूं तो बहुत पढ़ी लिखी थीं पर भैया ने […]
टूटती कसम-गृहलक्ष्मी की कहानी
Hindi Story: मालती जब से मायके से लौटी थी,कुछ उदास सी थी,खोई खोई कुछ सोचती रहती। उसके पति,विजय हंस के उसे छेड़ते:”क्या हुआ इस बार? तुम तो माँ से मिल कर रिचार्ज हो जाया करती थीं पर देख रहा हूं इस बार तुम्हारी बैटरी फ्यूज क्यों हो गयी वहां से लौटकर आने के बाद?” वो […]
मेरा पसंदीदा शहर “मेरठ”-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Hindi Kahani: मेरठ शहर मेरी जान है, पूरे पश्चिम यू पी की वो शान है। स्वतंत्रता की अलख जगाने में सबसे प्रथम, मेरा मेरठ महान है। ये सच है कि हरेक व्यक्ति को अपने ही शहर से बहुत प्यार होता है, हर जगह कुछ न कुछ खूबियां जरूर होती हैं और मुझे ये सब खूबियां […]
अनमोल उपहार-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahaniya: रुचिरा आज बहुत खुश थी,वो सबके लिए कोई न कोई छोटा मोटा उपहार लाई थी,किसी को कुछ,किसी को कुछ दे रही थी।लो मीना!तुम्हारे लिए ये किताब चेतन भगत की लेटेस्ट है..उफ्फ भाभी,उससे किताब लेते हुए मीना,रुचिरा से लिपट गई।आपको याद था अभी भी?कैसे भूल सकती हूं,तुम सब मेरे सुख दुख के साथी जो […]
सुबह का भूला-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Grehlakshmi ki Kahani: हम वही बन जाते हैं जैसे माहौल में रहते हैं,या यूं कहें जैसा हम बनना चाहते है ,ये ज्यादा उपयुक्त होगा।कई बार,कोई परिस्थिति के आगे हथियार डाल देता है और फिर अपने जीवन ने हुई घटनाओं के लिए इन स्तिथियों को दोषी ठहराता रहता है जबकि कोई दूसरा उन विकट परिस्थिति से […]
बंदिशे-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahani: ट्रिन ट्रिन…कब से लैंडलाइन की घंटी बज रही थी,वसुधा बड़बड़ाती हुई आई ,फोन उठाने…आज तो एक मिनट की भी राहत नहीं, जरा वाशरूम गई थी और फोन की घंटी बजती ही रही। वसुधा एक जर्नलिस्ट थी,कल टाइम्स मैगजीन में उसके छपे आर्टिकल ने सारे मार्केट में धूम मचा दी थी, उसी के बधाई […]
मेरी भाभी तो बहुत स्वीट है-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahaniyan: बात तबकी है जब मेरी पहली डिलीवरी के एक महीने बाद ही, मैं अपने मायके गई थी।मेरे भैया की तब नई नई शादी हुई थी और मुझे संकोच था कि वहां जाऊंगी तो भैया भाभी की प्राइवेसी में कुछ खलल तो नहीं पड़ेगी।वहां जाकर मुझे पता चला मेरी भाभी तो बहुत स्वीट है।जब […]
