विवाह के उपरांत राजा पांडु विशाल सेना लेकर विजय-अभियान पर निकले। उन्होंने आस-पास के सभी प्रदेशों को जीत लिया, जिससे उनका यश चारों ओर फैल गया। तत्पश्चात् अधीनस्थ शासकों से अपार धन एकत्रित कर वे हस्तिनापुर लौट आए। एक बार राजा पांडु के मन में वन-विहार की इच्छा जागृत हुई। तब वे हस्तिनापुर का राजकाज […]
Author Archives: महेश शर्मा
राजकुमारों का विवाह – महाभारत
महर्षि व्यास के कहे अनुसार धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे, जबकि पांडु शारीरिक रूप से दुर्बल थे। इनके विपरीत विदुर पूर्णतः स्वस्थ थे। तीनों बालक भीष्म की छत्र-छाया में पल रहे थे। उन्होंने उनकी शिक्षा-दीक्षा की उचित व्यवस्था की थी। धृतराष्ट्र नेत्रहीन होने के बाद भी जहां अतुलनीय शारीरिक शक्ति से सम्पन्न थे, वहीं […]
पूतना का उद्धार – महाभारत
पापी कंस जान चुका था कि उसके काल ने जन्म ले लिया है। उसने उसी समय पूतना नामक राक्षसी को बुलवाया। पूतना ने ही अपना दूध पिलाकर कंस का पालन-पोषण किया था, इसलिए कंस में दैत्य-गुणों का समावेश था। पूतना भयंकर गर्जन करती हुई कंस के सामने उपस्थित हुई। कंस प्रसन्न होकर बोला‒ “पूतना! मायावी […]
सूर्य-पुत्र कर्ण – महाभारत
यदुवंशी राजा शूरसेन अवंती (उज्जैन) में राज्य करते थे। उनका एक फुफेरा भाई था, जिसका नाम कुंतिभोज था। कुंतिभोज और शूरसेन में अत्यंत प्रेम था। कुंतिभोज की कोई संतान नहीं थी। शूरसेन ने उन्हें वचन दिया था कि वे अपनी पहली संतान उन्हें दे देंगे। कुछ समय बाद शूरसेन के घर एक पुत्री ने जन्म […]
बैल का गोबर – महाभारत
प्राचीनकाल में वेदमुनि नामक एक परम विद्वान ऋषि हुए। वे राजा जनमेजय और पौष्य के राजगुरु थे। उनके अनेक शिष्य थे। उनमें उतंक बहुत बुद्धिमान और आज्ञाकारी था। वे उसे सबसे अधिक चाहते थे। जब भी किसी कार्य से वे बाहर जाते तो आश्रम का सारा भार उसे सौंप देते थे। एक बार किसी कार्यवश […]
श्रीकृष्ण-जन्म – महाभारत
द्वापर युग की बात है। पापकर्म इतने बढ़ गए कि पृथ्वी उनके बोझ तले दबकर छटपटाने लगी। उसे असीम कष्ट हो रहा था। भयभीत होकर वह गाय के रूप में आंसू बहाती हुई ब्रह्माजी और देवगण के साथ वैकुण्ठ लोक पहुंची और श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की स्तुति की। उनकी स्तुति से भगवान विष्णु प्रसन्न हो […]
उत्तराधिकारी – महाभारत
सुंदर पत्नियां पाकर विचित्रवीर्य अत्यंत प्रसन्न थे। उनके रूप-सौंदर्य में लिप्त होकर वे अपना अधिकांश समय उनके साथ ही बिताने लगे। अभी कुछ महीने ही व्यतीत हुए थे कि वे क्षयरोग से ग्रस्त हो गए। अनेक वैद्यों ने उनका उपचार किया, किंतु सब विफल रहा। अंत में वे काल का ग्रास बन गए। विचित्रवीर्य की […]
भीष्म-प्रतिज्ञा – महाभारत
देवव्रत ने भगवान परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी, इसलिए वे उन्हीं के समान वीर, पराक्रमी और धनुर्धर थे। ऐसा युवराज पाकर हस्तिनापुर की प्रजा धन्य थी। राजा शांतनु भी अपने वीर पुत्र को देखकर प्रसन्न होते थे। एक बार देवव्रत घुड़सवारी करते हुए अकेले ही राजधानी से बाहर चले गए। वहां उन्हें […]
दुष्यंत-शकुंतला – महाभारत
एक बार महर्षि विश्वामित्र ने अनेक वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या से इंद्र चिंतित हो उठे कि कहीं विश्वामित्र उनका सिंहासन न छीन लें। अतः उन्होंने मेनका नामक अप्सरा को उनकी तपस्या भंग करने हेतु भेजा। मेनका अत्यंत सुंदर और रूपवती थी। उसने अपने रूप-सौंदर्य का जाल फैलाकर विश्वामित्र को मोहित कर […]
