एक बार एक योद्धा एक संत के पास पहुँचा और उनसे कहा कि वह स्वयं को बहुत हीन अनुभव करता है। उसने अनेक बार मृत्यु का सामना किया है और कमजोर लोगों की रक्षा की है। लेकिन संत को शांति के साथ ध्यानमग्न देखकर मुझे यह अनुभूति हो रही है कि उसके होने न होने […]
Author Archives: डॉ. राजेन्द्र पटोरिया
जब नेहरूजी ने सफाई की – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी देश को आजाद एवं साफ-सुथरा देखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने कानपुर से एक अखबार की शुरुआत की। गणेश शंकर विद्यार्थी के अखबार एवं उसमें छपे लेख से नेहरूजी बड़े प्रभावित हुए और एक पत्र लिखा- मैं शीघ्र ही तुमसे मुलाकात करने आ रहा हूँ। नेहरूजी का पत्र पढ़कर वे अपनी अखबारी […]
कबीर का लोटा – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
कबीरदासजी प्रतिदिन प्रातः गंगा स्नान करने जाते थे, गंगाजी अधिक गहरी होने के कारण वे प्रतिदिन अपना एक लोटा ले जाते थे। उसे स्नान के पूर्व माँज धोकर साफ करके ही स्नान करते थे। एक दिन उसी तट पर कुछ महात्मा स्नान करने आये उनके पास कोई पात्र न होने से उन्हें स्नान करने में […]
मातृभूमि की भाषा – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
पुर्तगाली दासता के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजाने वाले देशभक्त भारतीय डॉ. तेलो मस्कारेन्हस का जन्म तथा प्रारम्भिक शिक्षा गोवा में हुई थी। मस्कारेन्हस पुर्तगाली जेल में चौबीस वर्ष का कठोर कारावास भुगत रहे थे। उनके साथ देशभक्त मोहन रानड़े भी थे। सत्तर वर्ष की आयु, जेल का यातनापूर्ण जीवन, छीजता शरीर, परन्तु मातृभूमि के […]
बड़ा दानी – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक बार अर्जुन ने भगवान से कहा कि भैया से बड़ा दान पुण्य करने वाला कौन होगा। भगवान ने कहा चलो देख लेते हैं। बड़ी जोरों की बारीश हो रही थी। एक साधु ने युधिष्ठिर के दरबार में आकर कहा कि उसे यज्ञ करने हेतु एक मन चंदन के काष्ठ की आवश्यकता है। अतः राजा […]
कुसंगति – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक दुकान पर तोते बिक रहे थे। एक सेठ वहाँ पहुँचा तो उसने दुकानदार से तोतों के बारे में पूछताछ की। उसे एक तोता काफी पसंद आ गया, लेकिन दुकानदार का कहना था कि वह तोता अकेले नहीं बेचा जा सकता, उसके साथ एक और तोता लेना पड़ेगा वर्ना वह बीमार होकर कुछ ही दिनों […]
अवकाश नहीं चाहिए – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
अमेरिका के उद्योगपति सर “जॉनसन” ने जापान में जाकर अपना व्यापार शुरू किया। जापान देश के नियम के अनुसार उन्होंने जापानी व्यक्तियों को ही अपने व्यापार की देख रेख व तमाम कार्यालयों में कार्य के लिए रखा। उन्हें हर तरह की सुविधा के साथ अच्छा वेतन भी दिया। जापानियों की कड़ी मेहनत से जॉनसन का […]
क्षमा – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
मानवीय संवेदना के बहुत रूप है। मुहम्मद साहब का समूचा जीवन उसकी व्याख्या है। वह क्षमा को भी एक महत्वपूर्ण मानवीय गुण मानते थे। किसी ने उनसे पूछा था, “अपने बन्दों में आप किसे सबसे ज्यादा इज्जत देंगे।” मुहम्मद साहब का उत्तर था, “उसे, जो कसूरवार पर काबू पाने के बाद भी उसे माफ कर […]
मानवीयता – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक बार एक आदमी पैगम्बर हजरत मुहम्मद के पास आया। उसके पास एक दरी थी। उसमें कुछ बंधा हुआ था। मुहम्मद साहब ने पूछा, “क्या बंधा है तुम्हारी इस दरी में? “उस आदमी ने जवाब दिया, “ऐ रसूलल्लाह, मैं जंगल के बीच में से जा रहा था। एकाएक चिड़ियों के बच्चों की आवाज मेरे कानों […]
हीन कौन? – इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग
एक बार ईरानी संत, शेख सादी मक्का की ओर पैदल जा रहे थे। गर्मी के दिन थे और बालू गर्म हो गयी थी। अतः उनके पैर उस तप्त बालुका से जले जा रहे थे, जबकि अन्य यात्री घोड़ों, खच्चरों और ऊँटों पर यात्र कर रहे थे। यह देख उनके मन में विचार उठा कि अल्लाह […]
