avkash nahi chahiye
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अमेरिका के उद्योगपति सर “जॉनसन” ने जापान में जाकर अपना व्यापार शुरू किया। जापान देश के नियम के अनुसार उन्होंने जापानी व्यक्तियों को ही अपने व्यापार की देख रेख व तमाम कार्यालयों में कार्य के लिए रखा। उन्हें हर तरह की सुविधा के साथ अच्छा वेतन भी दिया।

जापानियों की कड़ी मेहनत से जॉनसन का व्यापार खूब प्रगति करने लगा। कई देशों में भी उनका माल निर्यात होने लगा।

अमेरिकी कार्यालयों में साधारणतया शनिवार व रविवार का अवकाश रहता है, ताकि कर्मचारी आराम कर सकें। अपनी जरूरत की चीजें खरीद सकें। इसी उद्देश्य से सर जॉनसन ने यह नियम जापान में भी अपनाया, लेकिन कड़ी मेहनत के धनी जापानियों ने इसका घोर विरोध किया। दरअसल उनको पाँच दिनों का सप्ताह मंजूर न था। जब जॉनसन ने जापानी कर्मचारियों के नेता से इस संदर्भ में चर्चा की तो नेता ने कहा- “हमें एक ही अवकाश काफी है, अधिक अवकाश से हमें हानि होगी, हम अव्वल दर्जे के आलसी हो जाएँगे। हाँ, सबसे बड़ी हानी तो यह होगी कि छुट्टी में हम मौज मस्ती करेंगे, जिसका प्रभाव व्यर्थ के खर्चों पर बढ़ेगा, जो छुट्टी हम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ाकर महाआलसी व अथाह खर्चीला बनाए, हमें ऐसी छुट्टी कभी मंजूर नहीं।”

जॉनसन इस बात से बड़े प्रभावित हुए, फिर उन्होंने अपने कार्यालय में सिर्फ “रविवार” का ही अवकाश रखा।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)