झील में फिशिंग के बाद दोपहर के समय जब जौनी वापिस हाउस बोट में लौटा तो उसके पास तीन बड़ी-बड़ी ब्लैक क्रेपी मछलियां थीं। हालांकि बुश जैकेट के कारण उसे बड़ी असुविधा हो रही थी, मगर पिस्तौल छुपाने के लिए उसे पहनना आवश्यक था।
उसकी छठी इन्द्री उसे बार-बार खतरे का संकेत कर चुकी थी, अतः उसने निश्चय किया कि वह किसी भी समय पिस्तौल स्वयं से जुदा नहीं करेगा। उसे रह-रहकर साल्वेडर का विचार हो उठता था। मिलनसार लगने के बावजूद वह व्यक्ति उसे अत्यंत धूर्त महसूस हुआ था।
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मछलियां उसने किचन के सिंक में रख दीं, मगर फ्रैडा का कहीं पता न था। वह अपने कमरे में घुस गया और झुककर नीचे पलंग की ओर देखते हुए मुस्कराया।
अपना सूटकेस वह एक विशिष्ट कोण पर रखकर गया था जो अब उस जगह से खिसका हुआ था। इसका मतलब साफ था-फ्रैडा ने उसके साथ कुछ छेड़खानी की थी। उसने सूटकेस खोल लिया और सैमी के यहां से चुराये हुए दस-दस डालर के नोटों को गिना । उसने दो हजार आठ सौ सत्तावन डालर रखे थे। सूटकेस उसने पुनः बंद कर दिया और बाहर डेक पर आराम से धूप में बैठ गया।
लगभग आधा घंटे के बाद फ्रैडा वापिस लौटी।
‘हैलो फ्रैडा।’ जौनी ने उससे पूछा -‘कहां चली गई थीं?’
‘यूं ही घूमने निकल गई थी। तुमने कुछ मछली पकड़ी या नहीं?’ वह निकट आते हुए बोली।
‘हां।’ मैंने तीन ब्लैक क्रैपी पकड़ी हैं।’
‘ओह गॉड! फिर ब्लैक क्रेपी’ -उसने कुछ मायूसी से कहा।
‘हां। बस कोई फंसी ही नहीं कांटे में।’
वह रेलिंग के पास जाकर खड़ी हो गई। दोनों हाथ रेलिंग पर थे और वह थोड़ी झुकी हुई थी। जौनी उसको देखने लगा। फिर उठा और उसको अपने हाथों में दबाकर उसे अपने ऊपर सटा लिया।
फ्रैडा उसके हाथों से फिसलकर अलग जा खड़ी हुई।
‘यह क्या बेहूदगी है?’ उसने झिड़का-और उसके बाद तीन-चार ऐसे गंदे शब्द इस्तेमाल किए कि जौनी का मस्तिष्क झटका खाकर रह गया।
‘बौखलाओ मत।’ जौनी बोला – ‘यह खेल ही धीरज का है।’
‘मैं लंच तैयार करती हूं।’ फ्रैडा ने कहा और चली गई।
जौनी सोचने लगा, ‘यह चालाक औरत है।’ बहुत देर सोचने के बाद उसने नतीजा निकाला कि इसे इस बात का अहसास कराना चाहिए कि बॉस मैं हूं, वह नहीं।’
वह उसके पास किचन में पहुंचा और उसके बाजुओं पर दबाव डालता हुआ जबरन धकेलते हुए अपने कमरे की ओर ले चला।
‘छोड़ो मुझे।’ फ्रैडा चिल्लाई।
यद्यपि फ्रैडा कमजोर नहीं थी किन्तु इतनी ताकतवर भी नहीं थी कि जौनी उस पर काबू पा सके। अपने कमरे में पहुंचकर जौनी ने ठोकर मारकर दरवाजा बंद कर दिया और फ्रैडा को छोड़ दिया।
‘कपड़े उतारो, वरना मैं इनके चीथड़े उड़ा दूंगा।’
‘फौरन बाहर निकल जाओ।’ फ्रैड बिफर उठी। ‘तुम अपने आपको समझते क्या हो? मैं जब चाहूंगी तभी तुम मेरे शरीर को छू सकते हो। उससे पहले नहीं, समझे। फौरन मेरे कमरे से निकल जाओ।’
जौनी अपने विगत जीवन में बड़ी-बड़ी खूंखार औरतों से निबट चुका था। फ्रैडा तो उनके मुकाबले कुछ भी नहीं थी। जैसे ही फ्रैडा ने आगे बढ़कर उसका मुंह नोंचना चाहा, वह एक ओर हट गया तथा फुर्ती से उसे उठाकर पीठ के बल पलंग पर पटक दिया। उसकी कलाई अब जौनी के हाथ में थी। यह सब कुछ पलक झपकते ही हो गया।
‘आराम से पड़ी रहो बेबी।’ वह बोला – ‘नहीं तो मैं और भी सख्ती करना जानता हूं।’
फ्रैडा ने घूरकर उसे देखा और शिथिल पड़ गई।
‘ठीक है-तुम जैसा कहोगे, मैं करूंगी।’
जौनी ने बेल्ट खोल डाली तथा पैंट खींचकर अलग फेंक दी।
वह उसके ऊपर झुक गया।
जब वासना का तूफान गुजर गया तब वह बोली – ‘मुझे जोर से भूख लग रही है।’ फ्रैडा ने उसकी सख्त पीठ पर उंगलियां फिराते हुए कहा -‘मैं तुमसे प्यार करती हूं जौनी। तुम सही मायने में सम्पूर्ण पुरुष हो। तुम जब भी चाहो, मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो।’
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वह उठी और किचन में चली गई।
लंच करते समय जौनी बोला -‘आज से ठीक पांच दिन बाद हम दोनों नई जिन्दगी की डगर पर चल पड़ेंगे।’
फ्रेडा मुस्कराई और बोली -‘तुम नहीं जानते जौनी। मैं कितनी बेसब्री से उस दिन का इंतजार कर रही हूं।’
दोपहर बाद का शेष समय उन्होंने धूप में बैठकर ही गुजार दिया। साढ़े छः बजे के करीब फ्रैडा ने कहा – ‘मैं शाम के खाने का इंतजाम करती हूं। तब तक तुम घूम आओ, किंतु एक घंटे से पहले मत लौटना। मैं एड को विश्वास दिलाना चाहती हूं।’
‘मैं बोट ले जाऊंगा। हो सकता है कोई सास (एक प्रकार की मछली) ही हाथ लग जाये।’
हाउस बोट से काफी दूर मोटरबोट में बैठा जौनी उसी के विषय में सोच रहा था कि सहसा उसे मैलानी का ख्याल आ गया। क्या उसने मेरी जगह किसी ओर को ढूंढ लिया होगा। फिर उसके विचारों ने मसीनो की ओर पलटा खाया। वह क्या कर रहा होगा इस समय?
एक घंटे बाद जब वह डैस्क पर पहुंचा तो उसने देखा कि स्काट अपने कपड़े उतार रहा था। उसने स्काट का अभिनंदन किया। जवाब में स्काट भी हाथ हिलाकर रह गया।

जौनी किचन में पहुंचा।
‘क्या हुआ?’ उसने फ्रैडा की ओर देखकर पूछा।
फ्रैडा ने सिर हिलाते हुए उत्तर दिया – ‘सब ठीक है। उसकी चिंता मत करो। उसने अपना इरादा बदल दिया है।’
जौनी ने धीमी-सी निःश्वास भरी – फिर पूछा – ‘तुम्हें पक्का विश्वास है कि उसने अपना इरादा बदल दिया है।’
‘हां-हां। बिल्कुल पक्का।’ फ्रैडा ने उत्तर दिया।
दौलत आई मौत लाई भाग-26 दिनांक 13 Mar.2022 समय 08:00 बजे रात प्रकाशित होगा

