Hindi Romantic Story: रात के दो बजे थे। बारिश अपनी धुन में बरस रही थी और एक आलीशान होटल की ऊपरी मंज़िल पर, नीली रोशनी में नहाया एक कमरा अपनी कहानी कहने को बेताब था। शीशों पर गिरती बूंदें उस कहानी का हिस्सा लग रही थीं, जो अंदर रची जा रही थी।
रिद्धिमा खिड़की के पास खड़ी थी, उसकी साड़ी का पल्लू हल्के-हल्के हवा में लहरा रहा था। ठंडी बारिश की बूंदें शीशे पर पड़तीं और उनके पार विराट की तीखी निगाहें उसके चेहरे की मासूमियत और बदन की हल्की कंपन को महसूस कर रही थीं।
तुम्हें ठंड लग रही है, विराट ने धीरे से कहा और पास आकर उसके कंधों पर अपनी गर्म हथेलियां रख दीं।
रिद्धिमा का बदन हल्का सा कांप उठा, लेकिन उसने पीछे मुड़कर देखा नहीं। उसने बस अपनी आंखें बंद कर लीं, जैसे उस स्पर्श की गर्माहट को और गहराई से महसूस करना चाहती हो। विराट का हाथ धीरे-धीरे उसके खुले बालों में चला गया और फिर उसकी नाज़ुक गर्दन पर ठहर गया।
तुम्हें पता है, रिद्धिमा, विराट की आवाज़ धीमी थी, मगर उसमें एक अजीब सी कशिश थी, हर बारिश में मुझे तुम्हारी याद आती थी। हर बूंद में तुम्हारी सांसों की खुशबू महसूस होती थी। और आज… तुम मेरे सामने हो।
रिद्धिमा ने धीरे से आंखें खोलीं, उसकी सांसें हल्की-हल्की बेतरतीब होने लगी थीं। उसने खुद को विराट की ओर खिंचता महसूस किया। उसकी उंगलियां अनजाने में उसकी शर्ट की सिलवटों में उलझ गईं।
तो क्या इस बारिश को यादगार बना दें? रिद्धिमा ने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में हल्की सी शरारत और हज़ारों अनकही भावनाएं छुपी थीं।
विराट ने हल्की मुस्कान के साथ उसे अपनी बाहों में समेट लिया। शीशे के उस पार बरसती बूंदें, जैसे इस लम्हे की गवाह बन गई थीं दो दिल, जो बारिश के साथ भीग रहे थे और एक रात, जो हमेशा के लिए उनकी यादों में दर्ज हो गई थी…
बारिश की नमी से भरा कमरा अब गर्माहट से भरने लगा था। विराट ने उसके चेहरे को धीरे से अपने हाथों में लिया, उसकी आँखों में झांका जैसे कोई भूला हुआ अधूरा अफसाना पढ़ने की कोशिश कर रहा हो।
क्या तुम्हें यकीन है? विराट की आवाज़ गहरी थी, मानो उसके भीतर कोई तूफान दबा हो।
रिद्धिमा ने कोई जवाब नहीं दिया, बस अपनी आंखों को धीरे-धीरे बंद कर लिया। विराट ने उसकी कमर पर अपनी उंगलियां फिराईं और उसके चेहरे को हल्के से अपनी ओर खींच लिया। कमरे में फैली हल्की नीली रोशनी उनकी सांसों की गर्मी में घुलने लगी।
लेकिन तभी…फोन की तेज़ घंटी बज उठी।
रिद्धिमा एक झटके में पीछे हट गई, जैसे किसी तिलिस्म से बाहर आई हो। उसके चेहरे पर हल्का तनाव उभर आया। विराट ने उसकी आंखों में देखा, और फिर धीरे से मुस्कराया।
कौन है? उसने पूछा। रिद्धिमा ने एक गहरी सांस ली और फोन की स्क्रीन की ओर देखा।
अभय कॉलिंग…
कमरे का माहौल एक पल में बदल गया। जहां अभी तक सिर्फ़ चाहत थी, अब वहां एक अजीब-सा सस्पेंस घुलने लगा था। विराट ने रिद्धिमा की आंखों में झांका, लेकिन इस बार सवाल अलग था, क्या तुम सच में मेरी हो?
रिद्धिमा ने फोन की स्क्रीन को देखा, फिर धीरे से उसे बंद कर दिया।
हाँ, उसने हल्की आवाज़ में कहा और वापस विराट के पास चली आई। लेकिन अब उसके स्पर्श में हल्का कंपन था, उसकी आंखों में एक छुपा हुआ डर।
ये रात जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही उलझी हुई भी…
दरवाजे पर ज़ोरदार दस्तक हुई!
रिद्धिमा और विराट, दोनों के जिस्म एक पल के लिए सुन्न पड़ गए। रिद्धिमा की सांसें तेज़ हो गईं। उसने घबराकर दरवाज़े की ओर देखा।
रिद्धिमा! मुझे पता है तुम अंदर हो। दरवाज़ा खोलो!
ये आवाज़ अभय की थी।
विराट ने गहरी सांस लेते हुए रिद्धिमा की कलाई पकड़ ली। ये क्या चल रहा है, रिद्धिमा?
रिद्धिमा के चेहरे पर डर साफ़ दिख रहा था। मैं नहीं जानती वो यहां कैसे…
दरवाज़ा खोलो, वरना मैं अंदर आ रहा हूँ! अभय की आवाज़ और तेज़ हो गई थी।
रिद्धिमा ने घबराकर विराट की ओर देखा।
अब क्या करने वाली हो? विराट की आंखों में अब जुनून के साथ एक सख़्ती भी थी।
रिद्धिमा ने एक पल सोचा और फिर… उसने विराट को कसकर चूमा!
विराट चौंक गया, मगर अगले ही पल उसने रिद्धिमा को अपने आगोश में समेट लिया। उनके होंठों के बीच की दीवार गिर चुकी थी।
लेकिन…अगले ही पल…
दरवाज़ा ज़ोर से धक्का देकर खुल चुका था!
अभय वहां खड़ा था, उसकी आँखों में गुस्से और हैरानी का तूफान उमड़ रहा था। ये रात अब सेंसुअस नहीं, बल्कि खतरनाक मोड़ पर थी…

बारिश की बूंदों से भीगा उसका चेहरा और भी डरावना लग रहा था। रिद्धिमा और विराट एक-दूसरे की बाहों में जकड़े हुए थे। अभय की नजरें उन दोनों पर जमी थीं उसकी सांसें तेज़ हो गईं, मुट्ठियाँ भिंच गईं।
रिद्धिमा…! उसकी आवाज़ में ठंडा गुस्सा था, जैसे ज्वालामुखी फटने से पहले शांत हो।
रिद्धिमा के होंठ अब भी विराट के स्पर्श से गर्म थे, लेकिन उसकी आँखों में अब सिर्फ़ डर था। उसने धीरे से विराट की पकड़ से खुद को छुड़ाया और एक कदम पीछे हटी।
अभय, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? उसने कांपती आवाज़ में पूछा।
अभय ने कोई जवाब नहीं दिया, बस अपनी जेब में हाथ डाला… और पिस्तौल निकाल ली!
कमरे में सन्नाटा छा गया। विराट की आंखें पिस्तौल पर टिक गईं, लेकिन उसका चेहरा शांत था।
तो यही सच है, रिद्धिमा? अभय की आवाज़ अब नफरत से भरी हुई थी। मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी समझता था… और तुम?
रिद्धिमा कुछ कहने ही वाली थी कि अचानक…
धायं! एक गोली चली!
कमरा धुएं से भर गया। रिद्धिमा चीख पड़ी और ज़मीन पर गिर गई। लेकिन गोली किसी को नहीं लगी थी। अभय ने जानबूझकर सामने के शीशे पर गोली चलाई थी, जो अब चकनाचूर हो चुका था।

गोली चलने की आवाज़ से पूरा कमरा गूंज उठा।
रिद्धिमा की आँखों में गुस्से की जगह बेचैनी और पछतावा था।
विराट धीरे-धीरे पीछे हटा। उसे पहली बार एहसास हुआ कि यह खेल जितना उसने सोचा था, उससे कहीं ज़्यादा गहरा था।
रिद्धिमा, अभय की ओर बढ़ी।
अभय… मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।
अभय ने एक कड़वी हंसी के साथ कहा, गलती? रिद्धिमा, यह गलती नहीं थी, यह तुम्हारी पसंद थी। और अब मैंतुम्हें तुम्हारी पसंद के साथ छोड़कर जा रहा हूँ।
रिद्धिमा की आंखों में आंसू छलक आए। उसने जल्दी से अभय का हाथ पकड़ लिया।
नहीं अभय, प्लीज़… ऐसा मत कहो। मैं गलत थी। मैं खुद नहीं समझ पाई कि मुझे क्या चाहिए। लेकिन अब समझ आ गया है। तुम मेरे लिए क्या हो, तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूं… । सकी आवाज़ कांप रही थी।
अभय ने झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया।
रिद्धिमा अब पूरी तरह टूट चुकी थी। अभय, मैं सिर्फ़ तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। प्लीज़, मुझे माफ कर दो…
अभय ने एक गहरी साँस ली और ठंडे लहज़े में कहा, अब मैं तुम्हारी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं हूं।
रिद्धिमा घुटनों पर बैठ गई, उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
अभय, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती!
अभय ने एक कड़वी मुस्कान के साथ कहा, तो अब सीख लो, क्योंकि अब तुम्हें इसी के साथ जीना है। बच्चे मेरे हैं, और वो मेरे ही रहेंगे। तुम्हारी दुनिया में उनके लिए कोई जगह नहीं है। अब तो हमेशा ऐश करो…
उसने बिना पीछे देखे दरवाजे की ओर कदम बढ़ाया।
रिद्धिमा ने दौड़कर उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन अभय ने दरवाज़ा खोला और तेज़ कदमों से बाहर निकल गया।
बारिश अब भी हो रही थी, मगर अब वो किसी नई शुरुआत की तरह नहीं, रिद्धिमा के लिए अकेलेपन और पछतावे की कहानी बन चुकी थी।
अंत… एक ऐसा अंत, जिसे रिद्धिमा ने कभी चाहा ही नहीं था।
