Hindi Love Story: रीना को अपने पति विशाल के संग पुणे आए अभी कुछ महीने ही बीते थे. विवाह के कुछ दिनों पश्चात ही रीना अपने पति विशाल के साथ यहां पुणे आ गई थी. बड़ा, संयुक्त परिवार और छोटे शहर से आई रीना के लिए यहां महानगर में स्वयं को एडजस्ट करना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था. उस पर विशाल का शांत व गंभीर स्वभाव. विशाल हर वक्त अपने दफ्तर के कामों में व्यस्त रहता, उसके पास इतना समय ही नहीं होता कि वह रीना के संग फुर्सत के प्यार भरे कुछ क्षण भी बिता सके.
रीना भी संकोच वश चाह कर भी विशाल से अपने दिल की बात कह ही नहीं पा रही थी. नई शादी, नई गृहस्थी, नया माहौल सब कुछ नया था. इस नए शहर, नए सोसायटी में ना ही रीना का कोई दोस्त था और ना ही परिचित. इसी बीच हरतालिका तीज का व्रत पड़ा. रीना को ना तो यहां के बाजार के बारे में कोई जानकारी थी और ना ही उसे यह मालूम था कि पूजा-पाठ का कौन सा सामान कहां मिलता है.
व्रत के सप्ताह पर पहले रीना ने विशाल से कहा -” अगले हफ्ते हरतालिका तीज है, मुझे व्रत के लिए कुछ सामान और सुहाग की टोकरी खरीदनी है. हम बाज़ार कब जाएंगे…?”
रीना के ऐसा कहने पर रीना की ओर देखे बगैर ही लेपटॉप पर अपनी नजरें गड़ाए हुए विशाल बोला –
” अरे अभी तो मेरे पास वर्क लोड बहुत है. थोड़ा फ्री हो जाऊं फिर समय मिलेगा तो देखते हैं .”
विशाल का रूखा जवाब रीना के मन को तीर की भांति भीतर तक भेद गया. उसकी आंखें डबडबा गई, पहला तीज और विशाल की बेरुखी ने रीना के दिमाग में दबे हुए उस शक के बीज को प्रस्फुटित कर दिया जो कुछ दिनों से रीना के अन्तर्द्वन्द की वजह बन गई थी. रीना इस नतीजे पर पहुंच गई कि विशाल उससे प्रेम नहीं करता. उसने केवल अपने घर, परिवार व सामाजिक दबाव में आकर कर उस से विवाह किया है.
विशाल के संग लिए अपने सात फेरे के बंधन को रीना आजीवन निभाना चाहती थी बस इसलिए उसने चुप्पी साध ली. पूरा सप्ताह गुजर गया लेकिन ना तो रीना ने दोबारा विशाल को बाज़ार चलने को कहा और ना ही विशाल बाजार चलने के लिए समय निकाल पाया. रीना ने भी सुहाग की टोकरी के बिना ही तीज की पूजा करना निश्चय कर लिया.
हरतालिका तीज की सुबह जब रीना स्नान करके कमरे में आई तो वह आश्चर्यचकित रह गई. टेबल पर सुहाग की टोकरी, बहुत ही खूबसूरत गुलाबी रंग की बांधनी साड़ी, उसी से मैच करती हुई चूड़ियां व कान के झुमके रखे हुए थे. वह हाल में बैठे विशाल से कुछ पूछती या कहती इससे पहले ही विशाल वहां गया और उसके गले में अपनी बांहों का हार डालते हुए बोला -” कैसा लगा सरप्राइज.”
एक पल के लिए रीना जड़वत हो गई. पिछले चार-पांच दिनों से विशाल के प्रति अपने मन में आ रहे नकारात्मक विचारों के लिए उसे अफ़सोस होने लगा और उसकी आंखें भर आई. यह देख विशाल बोला –
“अरे क्या हुआ…? आज मैंने दफ्तर से छुट्टी ले ली है. आज का पूरा दिन मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं इसलिए तो मैं इतने महीनों से एक भी दिन काम से ब्रेक लिए बिना अपना टारगेट पूरा करने में लगा हुआ था. आज का पूरा दिन तुम्हारे नाम.”
विशाल का इतना कहना था कि रीना की आंखों से अश्रुधार बह निकले और सारे गिले-शिकवे भुलाकर वह विशाल से लिपट गई.
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