pyaade se pharajee bhayo, hitopadesh ki kahani
pyaade se pharajee bhayo, hitopadesh ki kahani

Hitopadesh ki Kahani : महर्षि गौतम के परमपुनीत तपोवन में महातपा नाम के एक ऋषि रहते थे। एक दिन की बात है कि उन्होंने एक कौए को चूहे का एक बच्चा ले जाते हुए देखा। उनको उस बच्चे पर दया आ गई तो उन्होंने उसको कौए के मुख से छुड़ा लिया।

उसे अपने पास रखा और उसको चावलों की कनकी खिला-खिला कर पालना आरम्भ कर दिया । एक दिन कहीं से बिल्ली आ गई। चूहे को देखकर स्वाभाविक ही वह उसको खाने के लिए लपकी ।

चूहा फुदक कर मुनि की गोद में जाकर छिप गया। उसे इस प्रकार छिपते देखकर मुनि ने कहा, “अच्छा बिल्ली से डरता है ? जा तू बिल्ली हो जा । “

मुनि के कहते ही चूहा बिल्ली बन गया। बिल्ली बन जाने पर वह कुत्तों से डर कर मुनि के पास आने लगा। मुनि ने कहा, “कुत्ते से डरते हो? जाओ तुम भी कुत्ता बन जाओ।” बिल्ली तुरन्त कुत्ता बन गया । किन्तु फिर भी उसको शान्ति नहीं। अब वह बाघ से डरने लगा। मुनि ने कहा, “अच्छा बाघ से डरते हो? जाओ बाघ बन जाओ।”

इस प्रकार बढ़ते-बढ़ते चूहा बाघ बन गया । किन्तु मुनि तो उसको अभी भी चूहे का ही बच्चा मानते थे। लोग भी जब उस बाघ को देखते तो कहते, देखो तो महातपा मुनि ने इस चूहे को बाघ बना दिया है। बाघ जब यह सुनता तो उसको आत्मग्लानि होती । वह समझता था कि जब तक मुनि जीवित है तब तक लोग यही कहेंगे कि इस चूहे को मुनि ने बाघ बना दिया है।

यह सोच कर वह मुनि को ही मारने के लिए चला। मुनि उसके मन की बात भांप गए। बस फिर क्या था, उन्होंने कह दिया, “अच्छा ऐसी बात है? तो तुम फिर चूहा बन जाओ ।”

पलक झपकते ही बाघ चूहा बन गया ।

वह कहने लगा कि इसीलिए मैं कहता हूं कि नीच जब किसी उच्च पद पर पहुंच जाता है तो वह अपना अस्तित्व भूल जाता है। गीध ने आगे फिर कहा । “आप सोच रहे हैं वह भी उचित नहीं है। इसी प्रकार अति लोभ के वश में होकर एक केकड़े के कारण बगुले की मृत्यु हो गई थी।”

चित्रवर्ण ने पूछा, “वह किस प्रकार ? “

गीध ने कहा, “सुनाता हूं महाराज ! सुनिये ।”