Mission Raniganj Movie Review: बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार इस समय अपनी फिल्म मिशन रानीगंज को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। अपनी इस फिल्म के जरिए वह एक ऐसी गौरवशाली गाथा लेकर आए हैं जिसे जानने के बाद हर कोई हैरान है। मिशन रानीगंज द ग्रेट भारत रेस्क्यू मानवता की भावनाओं और भारतीय इंजीनियर जसवंत सिंह गिल की बुद्धिमत्ता और दृढ़ संकल्प को दर्शाती एक कहानी हैं।
अपने इस बेहतरीन काम के लिए 1991 में जसवंत सिंह गिल को राष्ट्रपति की ओर से सर्वोत्तम जीवन रक्षा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। अभियान को कैप्सूल गिल नाम दिया गया था और टीनू सुरेश देसाई ने मिशन रानीगंज इसी घटनाक्रम पर बनाई है।
क्या हैखदान की कहानी
मिशन रानीगंज में दिखाया गया है कि पश्चिम बंगाल के रानीगंज की महावीर कोयला खदान में 65 मजदूर फंस गए थे। उनके रेस्क्यू को लेकर ऑपरेशन चलाया गया था और यह ऑपरेशन 1989 में 13 नवंबर के दिन हुआ था। हालत बहुत खराब थी तब गिल मजदूरों के लिए फरिश्ता बनकर आए और एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जो पहले कभी भी उपयोग नहीं की गई थी। खदान में पानी का भाव बहुत तेज था ऐसे में अंदर जाना संभव नहीं था। स्थिति का ज्यादा लेने के लिए पास में बोर ड्रिल करने का सुझाव दिया गया के साथ एक स्टील के कैप्सूल को खदान में भेजा गया जिससे एक-एक कर फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला जा सका। अभियान तीन दिनों तक चला था और सभी मजदूरों की जान बच गई थी।
स्क्रीनप्ले
फिल्म के स्क्रीनप्ले की बात करें तो इसकी शुरुआत शरद केलकर की आवाज में कोयला खदानों के इतिहास के साथ होती है। ओपनिंग शॉर्ट में जसवंत गिल की दिलेरी का परिचय दिया जाता है और फिर एक गाने के बाद मजदूर की काम करती हुई जिंदगी की झलक दिखाई देती है।
टीनू सुरेश आनंद ने तकनीकी रूप से इस फिल्म को काफी सरल बनाने का प्रयास किया है। मजदूरों की भावनाओं का उन्होंने संजीदा चित्रण किया है। उन्होंने कैप्सूल तैयार करने की झलक दिखाई है लेकिन उसकी गहराई में नहीं गए हैं। अंडा फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के तनाव का माहौल बनाए रखने में वह कामयाब हुए हैं। तकनीकी स्तर पर देखा जाए तो फिल्म थोड़ी सी कमजोरी है क्योंकि स्पेशल इफेक्ट के आधार पर कोयला खदान को दर्शाया गया है और यह स्क्रीन पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
कलाकारों का अभिनय
फिल्म में कलाकारों के अभिनय की बात करें तो मिशन रानीगंज का भार पूरी तरह से अक्षय कुमार के ऊपर दिखाई दे रहा है। पर्दे पर वह इस भूमिका में काफी जच रहे हैं और गिल के रोल को उन्होंने आत्मीयता, दृढ़ निश्चय और हंसमुख स्वभाव के साथ आत्मसात किया है। कुमुद मिश्रा, वरुण बडोला, राजेश शर्मा , सुधीर पांडे, दिव्येंदु भट्टाचार्य, वीरेंद्र सक्सेना जैसे मंझे हुए कलाकार अपनी भूमिका के साथ न्याय करते दिखाई दे रहे हैं। खदान मजदूर की भूमिका में रवि किशन सभी का ध्यान खींचते हुए दिखाई दिए। परिणीति और अक्षय के बीच दिखाए गए भावनात्मक दृश्य भी काफी सही है।
