एक सुबह खबर आई कि दीदी का एक्सीडेंट हो गया। मैं स्तब्ध रह गयी। लगा कि काश मेरे पास पंख होते तो उड़कर दिल्ली से जौनपुर चली जाती…
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वापसी – गृहलक्ष्मी कहानियां
घर के काम में व्यस्त किसी भी गृहणी को जब अपने मन के काम करने का मौका नहीं मिलता, तो उसका दुख उसके व्यवहार में झलकता है। कुछ ऐसी ही स्थिति कविता की भी थी, पढ़िए-
ग्रहलक्ष्मी की कहानियां : सुनंदा – एक नया सूरज
आजकल के माहौल को देख सुनंदा ने पिता ने उसे बारहवीं से आगे पढ़ने से रोक दिया। लेकिन सुनंदा ने तरह-तरह की दलीलें देकर किसी तरह पिता को मना ही लिया एक नई उम्मीद के साथ सही रास्ते पर चलने के लिए…
रिश्तों की नई इबारत
मैं आज भी परिपक्वता की दहलीज पर खड़े होकर समझ नहीं पा रही हूं कि सांसारिक रिश्ते भी क्या बिना किसी पारिवारिक संबंधों के इतने सच्चे और मजबूत हो सकते है…?
बहुरूपिया
शैलजा के प्यार में बेइंतहा पागल आकाश, शैलजा से शादी करना चाहता था। पर शैलजा ने उसके प्यार को हर मोड़ पर इस तरह इस्तेमाल किया कि उसके पास कोई रास्ता नहीं बचा था और आखिरकार उसे बनना पड़ा बहुरूपिया…
परवरिश
बीस साल बाद नंदनी अपनी बेटी के साथ भारत आई, भानू और भाभी ने दिल से स्वागत किया। नंदनी के साथ आई उसकी बेटी तृष्णा। डॉ. तृष्णा को देखकर सब हैरान थे।
स्टाफरूम
किसी भी स्कूल का स्टाफरूम यानी विभिन्नता में एकता शिक्षकों का आरामगाह। जहां हमदम भिन्न-भिन्न विषयों को पढ़ाने वाले भिन्न-भिन्न जगहों और मतों के लोग एक तरह की समस्याओं, कठिनाइयों और उलझनों का सामना करते हैं। यही वजह है कि अवकाश मिलते ही शिक्षकों का रुख स्टाफरूम की तरफ हो जाता है।
रकीब
सज्जाद अली के दिमाग पर से जैसे पिछले पैंतीस सालों की यादों की गर्द साफ हो गई और उन्हें सब कुछ समझ आ गया।
प्रेम गली अति सांकरी
उनके बीच सिर्फ प्यार ही सच था। पिछले घंटों के मान-अभिमान पानी के बुलबुलों की तरह बुझ गए थे। प्रेम गली अति सांकरी जामें दुई न समाएं। इसका अर्थ केवल अध्यात्म या रहस्यवाद तक ही सीमित नहीं, लौकिक जगत में भी उतना ही है। अहं के साथ प्रेम नहीं होता। प्रेम के लिए अहं की तिलांजलि देनी पड़ती है।
गृहलक्ष्मी की कहानियां – इंगेजमेन्ट-रिंग
प्रमदा तो शांतनु के साथ अपनी इंगेजमेंट रिंग पसंद करने गई थी। उसे क्या पता था कि इंगेजमेंट रिंग के बहाने इतने पुराने रिश्ते-नातों के साथ-साथ उसे अपनी एक छोटी बहन भी मिल जाएगी।
