गृहलक्ष्मी की कहानियां - इंगेजमेन्ट-रिंग
Stories of Grihalaxmi

गृहलक्ष्मी की कहानियां – सखियों की छेडख़ानी, मीठी- मीठी चुटकियों से मन ही मन हंसती, मुस्कराती तेज कदमों से प्रमदा जिम के बाहर निकली आटो लेने, उसका मन हवा में उड़ती रंग-बिरंगी तितलियों सा लहराने लगा था। उसे भागती देखकर रूमा, नेहा, अंकिता ने घेर लिया। ‘वाह यह भी खूब रही तुम तो हमारी दोस्त हो ना, बिना ट्रीट दिये इंगेजमेन्ट रिंग लेने जाने नहीं देंगे, सबने उसके चारो ओर घेरा बना लिया। ‘ओह नो, वहां ज्वेलरी शाप में मेरा इंतजार हो रहा होगा। ओके, शानदार पार्टी होगी वह भी तुम सबके फेवरिट रिजॉर्ट में, अब खुश। सबने खुशी से उसे विश किया ‘आल दी बेस्ट, बाय-बाय सी यू।

आटो में बैठते ही उसने चैन की सांस ली, शान्तनु ने ही प्रोग्राम फिक्स किया है। वह इत्मीनान से सोचने लगी, मां, भइया, बाबा सब कितने अच्छे हैं, उसका कितना ख्याल रखते हैं। उनको अपनी सुयोग्य कमाऊ बेटी के निर्णय पर पूर्ण विश्वास है। उसने भी तो परिवार के हित, सम्मान की अनदेखी कमी नहीं की और कुछ भी गलत नहीं किया है उसने कभी, पापा के असमय चले जाने से भी अपने कान्फिडेंस में कोई कमी नहीं आने दी, अपने को संभाला और सम्पूर्ण निष्ठा, लगन से सफलता की सीढिय़ां चढ़ती गई। प्रतिष्ठा के साथ एमबीए में सर्वप्रथम आकर अपने स्वर्गीय पिता का न कि सिर्फ नाम रोशन किया बल्कि उनको अन्तिम अभिलाषा की भी पूर्ति की। अरे वह क्या- क्या सोचने लगी, मनमुताबिक मनमीत जो मिला है। दुपट्टे को संभालती हुई वह तेजी से ज्वेलरी शॉप में घुसी, खोजपूर्ण दृष्टि उपस्थित लोगों पर डालते ही एक स्मार्ट मुस्कुराता हुआ नवयुवक आता दिखा और उसे देखते ही वह सकुचा गई।

शान्तनु ने उसे देखकर हंसते हुए कहा, ‘शायद मैं 5 मिनट लेट हो गया हूं, चलो, अब हम फटाफट पसंद करते हैं उनके बैठते ही सेल्समैन ने खूबसूरत अंगूठियों का कलेक्शन दिखाना शुरू किया। लजाते मुस्कराते वह रिंग पसंद करने लगी। एक खूबसूरत डायमंड, पन्ने की रिंग उसे पसंद आई। जैसी आप लाजवाब हैं, वैसी ही रिंग भी बेजोड़ है। उसके यह कहते ही प्रमदा ने शरमाकर पलकें झुका ली। ‘मैडम अब जरा मेरी रिंग पर भी इनायत फरमाइये, आपकी चॉइस गजब की है, जिसका लोहा मैं पहले ही मान चुका हूं। जेन्ट्स कलेक्शन से उसने प्यारी सी नवरतन रिंग जिसके मध्य में हार्टशेप डायमंड जड़ा था, उठा ली जो दोनों को ही पसंद आई थी। सॉरी दीदी यह रिंग बहुत पहले अपने फियांसी के लिये मां के साथ मैंने पसंद की है, सेल्समैन की गड़बड़ी से इसमें रखी रह गई थी, जबकि उसे मैने अलग रखने के लिये कह दिया था। वह बोली, प्लीज मेरी मजबूरी समझिये। उन्होंने चौंककर देखा एक छरहरे बदन की आकर्षक नवयुवती उनको याचनापूर्ण निगाहों से देख रही थी।

देखिये आप मुझसे भी कह सकते हैं कि मैं कोई दूसरी पसंद कर लूं। परन्तु यह मैंने मां के साथ पसंद की है, जबसे मेरे पिता जी का निधन हुआ वह घर से नहीं निकली है, उन्होंने संसार ही त्याग दिया है। ‘जितिन भी ट्रेनिंग के लिये जर्मनी हैं। हमारे पास समय बहुत कम है, मुझे ही अकेले सब करना है।

शान्तनु ने प्रमदा से कहा, हमें इनकी मदद करनी होगी। ‘ऐसे ही कोई अपनी निजी बातें किसी से शेयर नहीं करता। कॉफी हाउस चलते हैं। उसने प्रमदा का दिल छू लिया, वैसे भी वह सदा दूसरों की मदद करती आई है। उसने उठते हुए शान्तनु से कहा, आप पेमेन्ट कर आइये, हम बाहर चलते हैं, और वह उस लड़की के साथ गेट की ओर चल दी। रास्ते में उसने स्नेह से कहा, आप चिन्ता न करिये, हम दूसरी रिंग पसन्द कर लेंगे, यह ऐसी कोई खास बात नहीं है। कॉफी हाउस में बैठकर इत्मीनान से बताइयेगा, यहां कहना ठीक नहीं है। कॉफी हाउस में आराम से बैठकर दोनों शान्तनु की प्रतीक्षा करने लगीं। 

दीदी! मैं आपका अधिक समय नहीं लूंगीं। मैं आपके घर निमंत्रित करने आऊंगी तथा आपको मां से मिलाने घर ले चलूंगी। इतना तो मेरा हक बनता है ना? मैं आपकी छोटी बहन जो बन चुकी हूं। प्रमदा मुस्कराकर बोली, ‘अपनी रिंग तो लेती जाइये। ‘दीदी मैं आपके घर आकर ले लूंगी। उसने उनका मोबाइल नं. व एड्रेस लेने के बाद अपना भी दिया। फिर प्रमदा के साथ सेल्फी लेकर खुश होते हुए बोली मां को दीदी की फोटो दिखाऊंगी। ‘मैं दो चार दिनों में आ रही हूं, प्रमदा के चरण छूने झुकी ही थी कि उसने टोक दिया, बहनें पैर नहीं छूती। वह हंसकर बाय-बाय दीदी कहती हुई चली गई। इस घटना को बीते छह-सात दिन हो गये, उसने सोचा कि अभी तक विभा का निमंत्रण कार्ड क्यों नहीं आया? क्या उलझन आ गई?

आज उसे झुग्गी वालों के आग्रह पर अलाव जलवाने, रैन बसेरे में कंबलों के प्रबन्ध के लिये डीएम से मिलने निकलना ही पड़ेगा। वह जल्दी से तैयार होने लगी। मन ने पिछली यादों के झरोखे खोल दिये। पापा उसे कितना प्यार करते थे, उनके सहयोग, सतत प्रेरणा से ही वह अपनी मंजिल पा सकी। मात्र सात आठ बीघा की खेती थी उनके पास, फिर भी पापा कम्प्यूटर वीडियो काउंसलिंग से फसलों पर तरह-तरह के प्रयोग कर जैविक विधि अपनाते थे। पापा ने पंत एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा पाई थी। कठिन परिश्रम से उनकी फसलें उम्दा रिजल्ट दे रही थी। पापा अपनी फसलों के लिये कई पुरस्कार पा चुके थे। बाबा की सहायता, खेती की व्यवस्था, देखभाल के लिये उनका गांव से शहर आना-जाना रहता था। मुझे, हेमन्त भाई को उच्च शिक्षा दिलाने के लिये मां, दादी शहर वाले घर में रहती थी। दादी के स्वर्गवास के बाद उनके चक्कर जल्दी-जल्दी लगते थे। फिर अचानक आई पापा की घातक बीमारी ने सबको शोक संताप की ज्वाला में झोंक दिया। मंहगे से मंहगे अस्पतालों, एक्सपर्ट डाक्टरों के चक्कर भी उन्हें बचा नहीं जा सके।

सुयोग्य कर्मठ पुत्र खो देने के आघात से बाबा मृतप्राय हो गये थे। बाद में बच्चों की देखभाल के लिये उन्होंने अपने को संभाला। ओह! यादें कहां पीछा छोड़ती हैं। बाबा समझाते रहते हैं, ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले। पर्स उठाकर वह बाहर निकली ही थी कि सामने से विभा आती दिखी, प्रणाम करके पैर छूने झुकी ही थी कि प्रमदा ने झट उसे गले लगा लिया। ‘तुम परेशान क्यों दिख रही हो, चलो अन्दर बैठते हैं। लो पानी पी लो। भई, हर समस्या का निदान होता है। दीदी मैंने आप लोगों के शुभ संस्कार में बाधा पंहुचाई है। मां ने आपसे क्षमा मांगने भेजा है। नहीं तो ऐसा संकट नहीं आता।

कैसा संकट? पूरी बात बताओ। मैंने जितिन के जल्दी आने की बात कही थी अब वह बहानेबाजी, कर रहा है, उसे कम्पनी इम्पार्टेन्ट जॉब ऑफर कर रही है, उसे साल से ज्यादा रुकना पड़ेगा, मां की तबियत इतनी खराब रहती है, उनका रो-रो कर बुरा हाल है। पापा सब तय कर चुके थे, सारा प्रबन्ध करके गये थे, अब समझ में नहीं आ रहा है कि मां को छोड़कर कैसे जाऊं, क्या करूं? उसके आंसू टपकने लगे। यह क्या बात? जरा सी बात पर रोना बुरी बात है। 

बिट्टो किससे बात कर रही हो बेटा? अरे बाबा, आप कब आये? उसने आगे बढ़कर उनके हाथ से थैला ले लिया, आप आराम से बैठिये, मैं चाय लाती हूं। इतने में प्रमदा की मां ने आकर उन्हें पानी का गिलास दिया, ‘बहू अपनी गौरी के बछिया हुई है, उसने खूब सारा मक्खन, दही भेजा है। यह बच्ची कौन है? हमसे नहीं मिलाओगी? प्रमदा से सारी बात सुनने के बाद, विभा से उन्होंने उसके स्वर्गवासी पिता का नाम पूछा, उसके बताते ही बाबा एकदम खड़े हो गये, अरे बेटी तुम कृपाशंकर की गुडिय़ा हो क्या? जी हां बाबा, क्या आप उन्हें जानते हैं? वह बैंक में थे। बेटा वह तो मेरा गुरु भाई था, बरसों से हम सुख, दुख में साथ रहे। मंजुल की बीमारी में उसने रात दिन एक कर दिया, हेमन्त छोटा था, उसने क्या खर्च किया, कितना खर्च किया, कुछ नहीं बताया। यहां तक कि परिचित से इलाज के लिये लोन भी दिलाया। वह तो उसे इलाज के लिये अमेरिका ले जाने की तैयारी कर रहा था, परन्तु नियति को यह मंजूर नहीं था। उनकी आंखें भर आई, हम सबके प्यार, ममता, परिश्रम को ठुकराकर सदा के लिये चला गया।

कृपा तो मेरे सगे भाई से बढ़कर था। तुम चिन्ता मत करो बेटी, हम सब भाभी से मिलने तुम्हारे घर आएंगें, जितिन, तो हम सबका पसन्द किया बड़ा सुशील, संस्कारी लड़का है, ऐसा वह कैसे कर सकता है? मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि ‘कृपा हमें छोड़कर चला गया? इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है? दोनों ही इतनी जल्दी चले जायेंगे, किसे मालूम था। बेटी तुम घबराओ मत, मैं आ गया हूं, सब कुछ ठीक करके ही जाऊंगा। तुम प्रमदा की छोटी बहन हो, भाग्य ने ही मिला दिया। मैं तो दो वर्षों तक घर में बंद था, नहीं तो क्या कृपा के असमय स्वर्गवास की खबर न मिलती? तुम तो उन दिनों बाहर पढ़ रही थी। पता नहीं वह क्या सोंचने लगे, फिर प्रमदा की मां के चाय लेकर आते ही कहा, बहू, यह तो अपने कृपाशंकर की गुडिय़ा है, कल भाभी के घर चलते हैं। अरे! बेटा हेमू कमरे में आ जाओ, जितिन से कुछ जरूरी बातें करनी हैं। अब देर न करो जल्दी कंप्यूटर ऑन करो बेटा। उनके कुर्सी पर बैठते ही स्क्रीन पर एक स्मार्ट युवक ने उन्हें प्रणाम किया, ‘आप तो विभा के पापाजी के साथ मेरे घर आये थे, मैं आपको पहचान रहा हूं, परन्तु इतने सालों बाद एकाएक आपके दर्शन। बाबा ने आशीर्वाद के बाद सारी बातें प्यार से समझाई।

मैं आप सबको विश्वास दिलाता हूं कि कुछ भी गलत नहीं होगा, विभा ठीक से समझ नहीं पाई, मैं काम करने अपने ही देश आ रहा हूं। मां, पापा जी से मेरी बात हो चुकी है, मैं उनके संस्कार भूला नहीं हूं, परिवार की परंपरा, मर्यादा का मुझे ध्यान है। मैंने तो दोस्तों से भी कह दिया है, ‘होली पर इंगेजमेन्ट सेरेमनी के लिये आ रहा हुं। माफ कीजियेगा, विभा ने नासमझी में आप सबको टेंशन में डाल दिया। मैं उससे बात करके सारी गलतफहमी दूर कर दूंगा।

बेटे हम सबको चिन्तामुक्त करके न कि तुमने ढेर सारी खुशियां दीं बल्कि विभा ने बिछड़े हुए दो परिवारों को भी मिला दिया। विभा की बड़ी बहन प्रमदा की इंगेजमेन्ट भी उसी समय करवा देंगे। बेटे तुम्हें हम सबका आशीर्वाद। फिर उन्होंने खुश होकर कहा ‘बच्चों इस बार होली के लिए जोरदार तैयारियां कर लो, खूब धूमधाम रहेगी। मैं तो विभा बेटी के साथ उसके घर जा रहा हूं, अपनी भाभी को लाने।