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पैर भारी

मेरी दीदी व जीजा जी हमारे घर आए हुए थे। उन्हें बाजार जाकर कुछ सामान इत्यादि खरीदना था। मुझे अपने लिए चप्पल का जोड़ा भी लेना था। मैंने दीदी से कहा कि शाम को बाजार चलेंगे। जीजा जी कहने लगे कि अभी चलो, शाम को क्यों? अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया, शाम तक […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां – इंगेजमेन्ट-रिंग

प्रमदा तो शांतनु के साथ अपनी इंगेजमेंट रिंग पसंद करने गई थी। उसे क्या पता था कि इंगेजमेंट रिंग के बहाने इतने पुराने रिश्ते-नातों के साथ-साथ उसे अपनी एक छोटी बहन भी मिल जाएगी।

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