Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है, वरुथिनी नामक अप्सरा का एक वीर और पराक्रमी पुत्र था । उसका नाम स्वरोचिष था । स्वरोचिष का विवाह कलावती, मनोरमा और विभावरी नामक युवतियों से हुआ । समय बीतने पर रानी मनोरमा ने विजय को, विभावरी ने मेरुनन्द को और कलावती ने प्रभाव नामक पुत्र को […]
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गंगा का पृथ्वी पर आगमन – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: राजा सगर की केशिनी व महती नामक दो सुंदर रानियाँ थीं । एक दिन महर्षि और्व ने उन्हें वर देते हुए कहा – “तुम्हारी एक रानी को साठ हजार पुत्र प्राप्त होंगे, जबकि दूसरी को मात्र एक पुत्र । किंतु वंश चलाने वाला दूसरी रानी का ही पुत्र होगा । इसलिए इन […]
स्वयंभू मनु – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माजी ने स्वयंभू मनु और शतरूपा को प्रकट किया । तत्पश्चात् उनका विवाह कर दिया । ब्रह्माजी के मानस पुत्र होने के कारण स्वयंभू मनु परम तपस्वी, ज्ञानी और धर्मात्मा पुरुष थे । ब्रह्माजी ने उन्हें भगवान् विष्णु को प्रसन्न कर वर प्राप्त करने का परामर्श दिया । […]
देवराज इन्द्र बने बैल – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: किसी समय की बात है एक बार देवताओं और दैत्यों में भीषण संग्राम छिड़ गया । स्वर्ग के भोगों में डूबकर देवता शक्तिहीन हो गए थे, जबकि दैत्यों ने अपनी कठोर तपस्या के बल पर अमोघ सिद्धियाँ और शक्तियों प्राप्त कर ली थीं । इसलिए शीघ्र ही उन्होंने देवताओं को पराजित कर […]
त्रिशंकु – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है-मान्धाता के वंश में त्रय्यारुण नामक एक प्रतापी राजा हुए । वे अयोध्या के राजा थे । उनका एक पुत्र था, जिसका नाम सत्यव्रत था । उसमें विपरीत गुण विद्यमान थे । वह अति स्वेच्छाचारी, कामी, लोभी, उद्दण्ड और मूर्ख व्यक्ति था । एक बार उसने किसी की […]
मनसा देवी – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: किसी समय की बात है – धरती पर सर्पों और नागों ने भयानक उत्पात मचा रखा था । इनसे आतंकित होकर सभी मनुष्य कश्यप मुनि की शरण में गए । तब कश्यप जी ने ब्रह्माजी के सहयोग से कुछ दिव्य मंत्रों की रचना की । महर्षि कश्यप ने अपने मन से एक […]
धुंधुमार – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: इक्ष्याकु वंश में बृहदश्व नामक एक प्रतापी राजा हुए । उन्होंने अनेक वर्षों तक धर्मपूर्वक राज्य किया । उनके राज्य में प्रजा सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करती थी । उनके कुवलाश्व नामक एक पुत्र थे, जो उन्हीं के समान तेजस्वी, धर्मात्मा और प्रजाप्रिय थे । जब वृहदश्व वृद्ध हुए तो उन्होंने अपना शेष […]
विंध्याचल का मान मर्दन – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है – सम्पूर्ण पर्वतों में विंध्याचल पर्वत को एक श्रेष्ठ और विशाल पर्वत के रूप में पूजा जाता था । अनेक प्रकार के वृक्षों ने विंध्याचल को सुशोभित कर रखा था । पुष्पों से लदी हुईं लताओं एवं वल्लरियों पर अनेक रंग-बिरंगे आकर्षक पक्षी कूकते रहते थे । […]
दुर्गम दैत्य – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है – प्रह्लाद के वंश में दुर्गम नामक एक अति भयानक, क्रूर और पराक्रमी दैत्य हुआ। वह देवताओं का क्रूर शत्रु था। दुर्गम जानता था कि इन्द्र आदि देवताओं का बल वेद है। वेदों के लुप्त अथवा समाप्त हो जाने पर देवता शक्तिहीन होकर उनसे पराजित हो जाएंगे। […]
नारदजी का पूर्वजन्म – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: पूर्वजन्म में देवर्षि नारद ब्राह्मणों की एक दासी के पुत्र थे। उस जन्म में उनका नाम नन्द था। नन्द को बचपन से ही ब्राह्मणों की सेवा में नियुक्त कर दिया गया। वह निष्ठापूर्वक उनकी सेवा करता था। उसके सेवा-भाव और स्वभाव से प्रसन्न होकर वे उसे जूठा भोजन खाने को दे देते […]
