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अभिशाप – राजवंश भाग-6

खिड़की खुली थी। ताजी हवा के झोंके मनु के बालों से खिलवाड़ कर रहे थे। पूरब की दिशा से चांद निकल आया था। वातावरण पर दूधिया चांदनी छिटकी थी। किन्तु मनु की दृष्टि अपनी उंगली में सजी हीरे की अंगूठी पर टिकी थी। निखिल यही तो चाहता था कि वह सुहागरात वाले दिन उसकी दी […]

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अभिशाप – राजवंश भाग-5

समय मानो पंख लगाकर उड़ा और फिर आया मनु के विवाह का दिन। यूं गोपीनाथ जी की आर्थिक स्थिति ठीक न थी। पिछले एक वर्ष में उन्हें इतना घाटा हुआ था कि वह लाखों के कर्जदार हो गए थे। इसके बावजूद भी वे बेटी के विवाह में दिल खोलकर खर्च कर रहे थे। अभिशाप नॉवेल […]

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अभिशाप – राजवंश भाग-4

दोपहर का समय था। मनु खिड़की के सामने खड़ी आकाश में तैरते बादलों को देख रही थी। मन स्थिर न था। कभी वह निखिल के विषय में सोचती और कभी आनंद के विषय में। उसे यों लगता-मानो वह किसी नदी में खड़ी हो और आनंद तथा निखिल के रूप में ये दोनों किनारे उसे अपनी […]

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अभिशाप – राजवंश भाग-3

संध्या ने ज्यों ही केक काटा-पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मेहमानों ने उसे जन्मदिन की मुबारकबाद दी। किन्तु उन मेहमानों में मनु न थी। वह तो इस भीड़ से अलग, गैलरी में खड़ी मानो किसी की प्रतीक्षा कर रही थी। अभिशाप नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक […]

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अभिशाप – राजवंश भाग-2

निखिल की उंगलियों में सिगरेट सुलग रही थी। अपने कार्यालय में रिवॉल्विंग चेचर की पुश्त से सटा वह सामने वाली दीवार पर लगी एक पेंटिंग को देख रहा था। एकाएक द्वार खुला और अधेड़ आयु के एक व्यक्ति ने कमरे में प्रवेश किया। निखिल के होंठों पर गर्वपूर्ण मुस्कुराहट फैल गई। उसने सिगरेट ऐश ट्रे […]

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अभिशाप – राजवंश भाग-1

कंधों पर फैले भीगे बाल, होंठों पर चंचल मुस्कुराहट और आंखों में किसी के प्यार की चमक लिए मनु बाथरूम से निकली तो एकाएक वहां खड़ी संध्या से टकरा गई और झेंपकर बोली-‘सॉरी! लेकिन तू यहां क्या कर रही थी?’ ‘प्रतीक्षा कर रही थी तेरी! जानती है-पूरे पैंतीस मिनट बाद बाहर निकली है।’ ‘तो! कौन-सा […]

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अभिशाप – राजवंश भाग-23

मनु ने जब बिस्तर छोड़ा तो उसकी आंखें बेहद थकी-थकी थीं। यों लगता था मानो वह रात भर न सो पाई हो। मानो विचारों का कोई अंधड़ उसे रात भर झंझोड़ता रहा हो। और यह सब हुआ था आनंद के कारण। यह तो ठीक था कि उसने आनंद से संबंध तोड़ लिए थे। किन्तु उसकी […]

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