Hindi Poem: त्राहि त्राहि मच रही चहुं और
गलती किस की ये बताए आखिर कौन
इंसान होना गुनाह हुआ
या हिंदू होना पाप है
आखिर क्या गलती हुई किस से
इसका जवाब देगा अब कौन
रक्षा करी अपने देश की ,
ओर आज धूं धूं कर जल रहा आखिर कौन
आज़ादी दिलाई,शांति का पाठ पढ़ाया
आज का युवा कुछ यूं बदला रहा
एक नया इतिहास रच रहा आखिर कौन
15 साल सत्ता की लाज बचाई
आज उसी देश से भाग रहा आखिर कौन
आज वसुंधरा भी रोती देख हालत को
धरती मां को खून से रंग रहा आखिर कौन
आज वही वो मंदिर जल रहा
जिसने अन्न तुम्हे खिलाया था
क्या तुमसे पूछा ,कौन से धर्म से तू आया
आखिर तू है कौन
नारी एक मां को शर्म सार तुम करते हो
आज मां अपनी कोख पर रोती होगी
किस को मैंने जन्म दिया था
आज पाया मैंने आखिर कौन
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