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ग्रेसेक्सुअलिटी शब्द पहली बार साल 2006 में सामने आया था। ये एसेक्सुअल और सेक्सुअल एक्टिव लोगों के बीच के ग्रे एरिया को दिखाता है।
Greysexual Meaning: दुनिया तेजी से बदल रही है और रिश्तों को लेकर लोगों की सोच भी। अब एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है ‘ग्रेसेक्सुअलिटी’। जिसे बड़ी संख्या में दुनियाभर के युवा अपनाते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस शब्द की चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं क्या है ग्रेसेक्सुअलिटी।
बीच का रास्ता है ग्रेसेक्सुअलिटी

ग्रेसेक्सुअलिटी का मतलब है ऐसे लोग जो बहुत कम, कभी-कभार या फिर कुछ खास परिस्थितियों में ही यौन आकर्षण महसूस करते हैं। यानी न तो पूरी तरह से अलैंगिक यानी एसेक्सुअल होते हैं और न ही सामान्य रूप से यौन आकर्षण रखने वाले कहे जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सेक्स सिर्फ एक ‘बीच का रास्ता’ है। इन दिनों सोशल मीडिया पर यह शब्द और सोच दोनों ट्रेंड में हैं। जिसे लेकर तेजी से वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। दूसरी ओर एक्सपटर्स इस ट्रेंड से चिंता में हैं।
कहींं सेक्स रिसेशन तो नहीं
कई रिसर्च कहती हैं कि आज के युवाओं में सेक्स को लेकर रुचि लगातार कम हो रही है। इसे सेक्स रिसेशन यानी सेक्स मंदी कहा जाता है। रिसर्च कहती हैं कि इसका कारण पसंद या नापसंद नहीं है। बल्कि मानसिक तनाव, सोशल मीडिया का प्रभाव, पोर्नोग्राफी का बढ़ता चलन, गलत यौन शिक्षा और कहीं न कहीं राजनीतिक माहौल भी है।
इसलिए उलझन में हैं युवा
ग्रेसेक्सुअलिटी शब्द पहली बार साल 2006 में सामने आया था। ये एसेक्सुअल और सेक्सुअल एक्टिव लोगों के बीच के ग्रे एरिया को दिखाता है। किताब ‘द सेकंड कमिंग’ की लेखिका कार्टर शेरमेन का कहना है कि युवाओं से बात करने पर यह पाया गया कि उन पर परफेक्ट पर्सनालिटी का दबाव है। वहीं सोशल मीडिया पर होने वाली तुलनाएं और सेक्स को लेकर डर व शर्म भी रिश्तों को मुश्किल बना रहे हैं।
ठीक होना चाहते हैं लोग
ऐसा नहीं है कि एसेक्सुअल लोग अपनी परेशानी और भावनाओं के बारे में जानते नहीं हैं। साल 2022 में ‘ऐस कम्युनिटी सेंसस’ में पता चला कि 43% एसेक्सुअल लोग पूरी तरह से सेक्सुअल रूप से ठीक होना चाहते हैं। क्योंकि आज भी लोग इनकी पहचान को लेकर गलतफहमियों में रहते हैं।
अंतर समझना है जरूरी
डॉक्टर्स का कहना है कि यौन इच्छा का कम होना और ग्रेसेक्सुअल या एसेक्सुअल होने में बड़ा अंतर है। ग्रेसेक्सुअल और एसेक्सुअल लोग एक स्थायी और स्वाभाविक पहचान हो सकती है। लेकिन यौन इच्छा में कमी आने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार मानसिक और शारीरिक समस्याओं के कारण भी सेक्सुअल डिजायर कम होती है। कभी-कभी टेंशन, डिप्रेशन, थायराइड या हार्मोनल बदलाव के कारण भी लोगों की सेक्स में रुचि कम हो जाती है।
ग्रेसेक्सुअल लोग करते हैं ये
रिसर्च बताती हैं कि ग्रेसेक्सुअल लोग खुद को संतुष्ट रखने के लिए हस्तमैथुन भी करते हैं। इससे उनका तनाव कम होता है, आराम मिलता है और वे अच्छा महसूस करते हैं। इसके बावजूद वे यौन गतिविधियों में नाममात्र की रुचि ही रखते हैं।
