पुलिस उपायुक्त पेरीगार्ड मुझ पर बिजली की तरह कड़क रहा था।
‘कैलिस तुम्हारे हाथ लग गया और तुमने उसे अपने हाथ से जाने दिया।’
‘मैंने उसे जान-बूझकर थोड़े ही जाने दिया था। हमारे पास कोई रास्ता ही नहीं था। उसके पास बन्दूक थी और हम निहत्थे थे।’
‘तुम्हें यह परामर्श किसने दिया था कि तुम उसके पीछे जाओ…। तुमने मुझे क्यों नहीं सूचित किया था कि वह वहां पर है?’
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‘मुझे यह पता ही नहीं था कि वह स्वयं वहां पर है। मुझे तो सैम ने यह बताया था कि उसका याट वहां पर है। मैं सैम को साथ लेकर उसके याट की शिनाख्त के लिए वहां गया था।’
पेरीगार्ड ने मुझ पर गरजते हुए कहा‒‘मैंने तुमसे एक बार नहीं, कई बार कहा था कि तुम पुलिस का काम पुलिस पर छोड़ दो, पर तुम बाज नहीं आए। तुम्हारे व्यर्थ के दुस्साहस के कारण बेगुनाह बेलिस मारा गया। उसकी क्षतिपूर्ति कौन करेगा? बेलिस शादीशुदा था….उसकी पत्नी है, चार बच्चे हैं…उनका क्या होगा?’
‘मैं उनका पूरा ध्यान रखूंगा।’ मैंने बुदबुदाते हुए कहा।
‘क्या ध्यान रखोगे?’ पेरीगार्ड ने क्रोधयुक्त स्वर में कहा‒‘उनको नियमित रूप से पैसा देते रहोगे, इससे क्या अन्तर पड़ेगा। तुम्हारे पैसे से मिसेज बेलिस को पति और बच्चों को बाप तो वापस नहीं मिलेगा। क्या तुम अनुमान लगा सकते हो कि मिसेज बेलिस किस कदर दुखी होंगी। क्या तुम्हारा पैसा उसका दुख-निवारण कर सकता है? जब तुम्हें जूली एवं सूसन की मृत्यु का समाचार मिला था, तो तुम्हारे पैसे ने मरहम का काम किया था?’
पेरीगार्ड लगातार मुझे लताड़े जा रहा था।
‘मैं खेद प्रकट करने के सिवाय और क्या कर सकता हूं?’
‘न तुम्हारा पैसा और न ही तुम्हारा खेद कोई समाधान कर सकते हैं। तुमने बैठे-बिठाये मेरे लिए एक समस्या उत्पन्न कर दी है। तुम्हारी इस हरकत से कैलिस को यकीन हो जायेगा कि वह एक संदिग्ध व्यक्ति है और पुलिस उसकी खोज में है और इस तलाश में यदि पुलिस के कुछ आदमी मारे गए, तो उनके परिवारों की देख-भाल कौन करेगा?’
‘तुम मुझे काफी कह चुके हो। मैं तुमसे माफी मांग चुका हूं…और फिर माफी मांगता हूं, पर अब तुम मुझे और अधिक शर्मिन्दा मत करो।’
‘तो ठीक है।’ पेरीगार्ड ने गुर्राते हुए कहा‒‘तुम अपने होटल चलाओ‒पैसा बनाओ, किन्तु पुलिस के काम में हस्तक्षेप करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं।’ कहकर पेरीगार्ड ने मुझे अपने ऑफिस से बाहर कर दिया।
पेरीगार्ड ने मेरी ऐसी धज्जियां उड़ाई थीं कि मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था। वास्तव में दोष मेरा ही था। मुझे जब कैलिस के याट के बारे में पता चला था, तो मुझे तुरन्त पेरीगार्ड को सूचना देनी चाहिए थी। ऐसा मैंने नहीं किया था और इसी कारण मुझे पेरीगार्ड की बातें सुननी पड़ी थीं। मेरा मन बहुत मलीन था…कुछ देर पश्चात जब मैं ऑफिस पहुंचा, तो मुझे डेबी का ख्याल आया। मैंने घर का फोन मिलाया, तो मेरे गृह-प्रबन्धक ल्यूक बेली ने मुझे बताया कि डेबी घर पर नहीं है।
‘तुम्हें कोई पता है कि वह कहां पर होगी?’
‘वह आज सुबह ही होस्टन गई है।’
मैंने निराशा से फोन बन्द कर दिया और कुछ देर बाद अपने काम में व्यस्त हो गया। कुछ दिन यों ही गुजर गए। न पेरीगार्ड से कोई सूचना मिली थी और न ही डेबी का कोई समाचार मिला था। एक दिन मैं अपने ऑफिस में बैठा काम कर रहा था कि पेरीगार्ड ने मुझे फोन किया। उसने मुझे और सैम को अपने कार्यालय में बुलाया था। जब हम वहां पहुंचे, तो आश्चर्यचकित रह गये…पेरीगार्ड ने कैलिस को तस्करी के इल्जाम में शामिल करके कस्टम विभाग के सहयोग से उसके याट को अपने अधिकार में ले लिया था। इस समय कैलिस का सत्ताइस फुटा याट सज्जा-रहित अवस्था में वहां खड़ा हुआ था। तत्पश्चात पेरीगार्ड हम दोनों से कड़े रूप से पूछताछ करता रहा था। जब उसकी पूछताछ समाप्त हो गई, तो मैंने उससे पूछा‒‘कैलिस का कुछ पता चला?’
‘अभी कुछ पता-वता नहीं चला।’ पेरीगार्ड ने इस भाव से उत्तर दिया था, मानो उसे पता हो भी, तो भी हमें न बताये।
‘तुम्हारे विचार में वह कहां हो सकता है?’ मैंने अति नम्रता से पूछा।
पेरीगार्ड ने रुखाई से उत्तर देते हुए कहा‒‘क्या पता कहां होगा। बेलिस की स्टीम बोट का अभी तक कोई पता नहीं चला। जहां तक मेरा अनुमान है उसकी स्टीम बोट को कैलिस ने जलमग्न कर दिया होगा। हाल में एकस्यूमा द्वीप से एक याट लापता होने का समाचार मिला है, मेरे विचार में कैलिस ने यह याट चुराया होगा और उसे लेकर कहीं गायब हो गया होगा। यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है।’
मैं चुपचाप पेरीगार्ड के कार्यालय से बाहर निकल आया। जब मैं घर पहुंचा, तो डेबी होस्टन से वापस आ गई थी और लड़ने के लिए तैयार बैठी थी। न दुआ न सलाम, वह छूटते ही मुझसे जवाब-तलब करने लगी‒
‘तुम न तो घर में थे और न ही अपने ऑफिस में‒तुम कहां पर थे? जब भी जरूरत होती है, तुम गायब होते हो।’
‘मैं तुम्हारे लिए भी यही कह सकता हूं।’ मैंने कटु भाव से उत्तर देते हुए कहा‒‘मुझे ज्यूमेन्टो में अपनी जान के लाले पड़ गए थे…मुझ पर गोली चलाई गई थी…तत्पश्चात जब मैं घर पहुंचा था, तो श्रीमती जी अपने मायके जा चुकी थीं।’
‘तुम पर गोली चलाई गई थी!’ डेबी ने अविश्वास से पूछा‒‘किसने तुम पर गोली चलाई थी?’
‘एक कैलिस नामी व्यक्ति ने‒उसके नाम से तो तुम परिचित होगी ही। उसने एक आदमी की वहां पर हत्या कर दी थी तथा मैं और सैम फोर्ड उसका निशाना बनने से बाल-बाल बचे थे।’
‘यह सैम फोर्ड कौन है?’ डेबी ने पूछा।
‘बस यही तो सारी बात है।’ मैंने डेबी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा‒‘तुम्हें मुझ में या मेरे बिजनेस में तनिक भी दिलचस्पी होती तो तुम मुझसे यह न पूछतीं कि सैम फोर्ड कौन है‒वह हमारे मैरिना विभाग का मैनेजर है।’
‘तो इसका आशय है कि तुमने कैलिस को आखिर खोज निकाला।’
‘उसे क्या खोज निकाला, उसे खोजकर हाथ से गंवा दिया‒और इस प्रतिक्रिया में एक बेचारे माहीगीर की हत्या करवा दी। मुझे अपने आपसे घृणा होने लगी है। पेरीगार्ड तो अब मुझे कोई महत्व ही नहीं देता‒बिल्कुल उसी भांति जैसे तुम मुझे कोई महत्व नहीं देतीं।’
‘मैं यदि तुम्हें कोई महत्व नहीं देती, तो उसमें दोष किसका है।’ डेबी ने सुलगते हुए स्वर में कहा‒‘तुमने ही कब मेरी परवाह की है जो मैं तुम्हारे पीछे-पीछे फिरूं। जब देखो, तुम घर से गायब होते हो। जब तुम्हें काम से ही फुर्सत नहीं मिल सकती थी तो तुमने मुझसे विवाह ही क्यों किया था?’
‘डेबी, भगवान के लिए बुद्धि से काम लो। तुम हाल की मेरी समस्याओं से भली-भांति परिचित हो। एक का समाधान होता नहीं था कि दूसरी उत्पन्न हो जाती थी। मैं उनसे निपटता, या तुम्हारे आगे-पीछे मंडराता‒अब एक और समस्या आन पड़ी है‒इन्टरनेशनल बाजार में जो आग लगी थी, उस पर विचार करने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने कल नासाऊ में हाटलियर्ज ऐसोसिएशन की एक बैठक बुलाई है। मुझे उसमें भाग लेने के लिए कल सबेरे नासाऊ जाना पड़ेगा।’
‘मैंने होस्टन के समाचार पत्रों में यह खबर पढ़ी थी।’ डेबी ने रुखाई से कहा‒‘पर तुम्हारा इससे क्या सम्बन्ध है? तुम वहां क्यों जाओगे?’
डेबी का रवैया बहुत ही लापरवाह था। वह भीतर ही भीतर धधक रही थी, मानो लड़ने का बहाना तलाश रही हो। सो मैंने उसे शान्त करने का प्रयास करते हुए कहा‒‘डेबी, मेरा वहां जाना अति आवश्यक है, क्योंकि मैं होटल बिजनेस में हूं। हाल की घटनाओं से हमारे बिजनेस पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है…हमारा होटल बिजनेस पर्यटकों पर निर्भर है। इस गोष्ठी में यह विचार-विमर्श किया जाएगा कि ऐसे क्या उपाय किये जाएं कि आइन्दा ऐसी घटनाएं न घटें और पर्यटकों का विश्वास पूर्ववत् हो सके।’
डेबी ने कोई उत्तर नहीं दिया।
मैंने प्यार से समझाते हुए कहा‒डेबी, मुझे अच्छी तरह से पता है कि मैं तुम्हें अपनी पूरी तवज्जो नहीं दे सका। मुझे उसका खेद है, पर तुम जरा शान्त मस्तिष्क से सोचो कि मुझे कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। एक बार मैं इन समस्याओं से निपट जाऊं फिर तुम्हें मेरी ओर से कोई शिकायत नहीं होगी।’
‘तुम्हें कैसे यकीन है कि तुम इन समस्याओं से निपट जाओगे…हो सकता है इसके बाद कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो जाये जिस पर तुम्हें पूरा ध्यान देना पड़े। उसके बाद फिर कोई और मुश्किल खड़ी हो सकती है। यह तो चलता ही रहेगा।’
‘ऐसा कभी नहीं होता, डेबी। हर चीज का अन्त होता है। अगर ये मुश्किलें शुरू हुई हैं, तो समाप्त भी अवश्य होंगी।’
डेबी ने असहमति से सिर हिलाते हुए कहा‒‘नहीं टॉम…ऐसे तो गाड़ी नहीं चल सकती। मुझे यहां से जाकर इस बारे में सोचना पड़ेगा और कोई हल निकालना पड़ेगा।’
‘किसका हल निकालना पड़ेगा?’
‘हम दोनों का और किसका।’
‘डेबी, हमारे बीच कोई ऐसी जटिल समस्या तो है नहीं कि जिसका समाधान निकालना पड़े और यदि तुम्हें कुछ सोचना है, तो तुम यहां रहकर भी सोच सकती हो।’
‘नहीं टॉम, मेरा मायके जाना ही बेहतर है। मैं वहीं पर अपना सोच-विचार करूंगी।’
मैंने एक दीर्घ निःश्वास लेते हुए कहा‒‘बेहतर तो यही होता कि तुम मेरा कहना मान लेतीं, पर अगर तुमने ठान ही ली है, तो मैं तुम्हें कैसे रोक सकता हूं।’
‘तुम मुझे बिल्कुल नहीं रोक सकते।’ कहकर डेबी कमरे से बाहर चली गई।
डेबी के कमरे से बाहर निकलते ही मुझे ख्याल आया कि जब मैंने डेबी को यह बताया था कि मैं बाल-बाल बचा हूं तो उसने झूठे मुंह से भी मुझसे यह नहीं पूछा था कि मुझे कहीं चोट तो नहीं आई। मेरा दिल बुझ-सा गया था। तत्पश्चात मैंने कपड़े बदले और बिना खाना खाये सो गया।

अगले दिन सुबह मैं गोष्ठी में भाग लेने के लिए नासाऊ रवाना हो गया था। शाम को जब मैं घर लौटा था, तो डेबी जा चुकी थी और मेरे लिए एक पत्र छोड़ गई थी। पत्र में लिखा था‒
प्रिय टॉम,
जैसा कि मैंने तुम्हें बताया था, मैं होस्टन जा रही हूं और बेबी होने तक वहीं रुकूंगी। इस दौरान मैं तुमसे कोई भेंट नहीं करना चाहती। अलबत्ता प्रसूति के समय यदि तुम आना चाहो, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी….लेकिन मैं फिर दोहरा दूं कि उससे पहले मैं तुमसे बिल्कुल नहीं मिलना चाहती।
मैं कैरीन को अपने साथ इसलिए नहीं ले जा रही कि एक तो उसका स्कूल है तथा उसकी सहेलियां यहां पर हैं और दूसरा यह कि वह तुम्हारी बेटी है‒मेरा उस पर कोई अधिकार नहीं है।
मुझे अभी तक यह समझ नहीं लगी कि हमारे बीच अनबन कैसे हुई। खैर, मैं इस बारे में विस्तार से सोचूंगी और तुम भी विचारना। बड़ी अजीब बात है कि अनबन के बावजूद भी तुम मुझे अब भी अच्छे लगते हो और मुझे तुमसे उतना ही प्यार है जितना की पहले था।
ढेरों प्यार के साथ‒डेबी
मैंने डेबी के पत्र को अपने बटुए में रखने से पहले कम से कम पांच बार पढ़ा होगा। तत्पश्चात मैं उसे पत्र लिखने बैठ गया था कि वह वापस चली आए, हालांकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि वह वापस नहीं आएगी।

