रात्रि का डेढ़ बज रहा था। किन्तु नींद सैमी की आंखों से कोसों दूर थी। अपने छोटे-से कमरे में वह विचारमग्न-सा टहल रहा था। उसकी बेचैन नजरे थोड़ी-थोड़ी देर बाद मेज के समीप रखी सस्ती-सी घड़ी पर जा टिकती थी।
जौनी ने उसे छः हजार डालर देने का वायदा किया था। उसने एक बार फिर घड़ी की ओर देखा – मिस्टर जौनी का वायदा तो हमेशा ही एकदम पक्का होता था फिर आज क्या हो गया?
अचानक सीढ़ियों पर कदमों की आहट सुनकर उसने राहत की सांस ली। जौनी रकम लेकर आ ही पहुंचा आखिर। वह व्यर्थ ही चिन्तित और परेशान हो रहा था।
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दरवाजे पर थपथपाहट हुई।
छः हजार डालर!
सैमी तेजी से आगे बढ़ा और दरवाजा खोल दिया।
‘नहीं – नहीं।’
फ्रैडा जोर से चिल्लाई –
‘बाहर निकलो और किसी और जगह कोशिश करो।’
वह एक मोटा-सा बूढ़ा आदमी था। उसके जिस्म पर कीमती कपड़े थे – मगर उसने अपने सफेद बालों को डाई कराया हुआ था। उसके मुंह के दांतों का सैट भी नकली था। मोटा बूढ़ा मुस्कराता हुआ आगे बढ़ गया, जहां दूसरी लड़कियां खड़ी इंतजार कर रही थीं।
दीवार से टेक लगाए फ्रैडा अपने दुखते पैरों को आराम देने की कोशिश कर रही थी। जौनी को मरे हुए दो महीने का अरसा व्यतीत हो चुका था। उसकी दी हुई रकम समाप्त हो चुकी थी। फ्रैडा ने बड़ी फिजूलखर्ची से काम लिया था और बेदर्दी से अच्छे कपड़े खरीदने के चक्कर में सारी रकम उड़ा चुकी थी और अब वह अपने उसी पुराने धंधे को आरंभ कर चुकी थी – धंधा यानि शरीर का व्यापार परन्तु धंधे के हिसाब से ब्रुन्सविक अच्छी जगह नहीं थी, जबकि वह काफी पैसा एकत्र करना चाहती थी ताकि वह दक्षिण की ओर जा सके, जहां उसके शारीरिक गुणों की, उसकी मदमाती नजरों की, उसके उफनते यौवन की कद्र की जा सके अथवा वह फिर उत्तर में जाकर अपना वही पुराना कॉलगर्ल वाला पेशा अपना लेना चाहती थी।
दीवार से टेक लगाए, वहां खड़ी वह जौनी के विषय में सोच रही थी। वह अच्छा और सम्पूर्ण पुरुष था। वह उससे शादी भी कर सकती थी, परन्तु उसका सपना, उसका खूनी सपना स्वयं उसी को ले डूबा।
मौत के उस जानलेवा खेल में शिकस्त आखिर उसी की हुई। उसी को हारना पड़ा अंत में।
तभी उसकी सोच टूट गई – अचानक वर्षा आरंभ हो गई और सड़क की चहल-पहल धीरे-धीरे समाप्त होने लगी थी। दूसरी लड़कियां अपने – अपने ग्राहकों के साथ जा चुकी थी। उनकी रात सचमुच शानदार बीतेगी।
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उसने अपना पुराना-सा पर्स खोला और उसमें पड़ी रकम गिनी-पर्स में सिर्फ तेरह डॉलर पड़े थे।
दौलत बड़ी चीज है – उसने मन ही मन कहा और पर्स बंद करके चल पड़ी। लम्बी सुनसान सड़क उसके उस कमरे के निकट होकर गुजरती थी, जहां आजकल उसने अपना डेरा डाला हुआ था।
‘उसकी दृष्टि में छुपे, टोनी केपिलो ने उसे पर्स बंद करके जाते देखा। वह अपने छुपने की जगह से बाहर निकल आया और उसके पीछे-पीछे चल दिया।
टोनी आधा घंटे से छुपा उसकी गतिविधियां नोट कर रहा था।
एक छोटे-से मोड़ पर पहुंचकर फ्रैडा ने पीछे की ओर मुड़कर देखा, टोनी तत्काल एक ओट में छुप गया, उसने अपने कोट की जेब में हाथ डाला और उसकी उंगलियां जेब में रखी तेजाब की बोतल कर कस गईं।
फ्रैडा पुनः आगे चल दी।
टोनी भी ओट से निकल आया और लुकता – छिपता उसका पीछा करने लगा। उसे मसीनो के शब्द याद आ गए – जब तक तुम उस वेश्या को उसके किए की सजा न दे दो, मेरा कोई काम करने की कोई जरूरत नहीं है।
फ्रैडा अपने कमरे पर पहुंची और अंदर घुसकर उसने दरवाजा बंद कर लिया।
उसका पीछा करता हुआ टोनी भी दरवाजे तक पहुंचा और कुछ देर ठहरकर इंतजार करने लगा।
ठीक उस समय जब फ्रैडा अपने कपड़े बदल रही थी, किसी ने उसके दरवाजे को थपथपाया।
‘अब कौन आ मरा?’ थके-मांदे शरीर को एक चद्दर से ढकती हुई फ्रैडा ने बढ़ते हुए पूछा।
तभी दरवाजा दोबारा थपथपाया गया।

‘खोलती हूं – बाबा!’ दरवाजे की ओर बढ़ती हुई फ्रैडा ने उत्तर दिया।
जैसे ही दरवाजा खुला – टोनी बगुले की तरह अंदर दाखिल हो गया। उसने लात मारकर दरवाजा बंद कर दिया।
फ्रैडा चीखी – ‘यह क्या बेहूदगी है?’
‘मुझे पहचाना?’ फ्रैडा के बालों को अपने दाएं हाथ की मुट्ठी में दबाए अपने चेहरे को उसकी करीब लाते हुए टोनी बोला।
‘तुम….।’
‘हां … मैं।’ टोनी के मुंह से एक हुंकार-सी निकली।
फ्रैडा ने चीखने के लिए मुंह खोलना चाहा, परन्तु तभी टोनी के दाएं हाथ में थमी बोतल से तेजाब के स्प्रे का एक तेज फव्वारा फूटा और तेजाब फ्रैडा के खुले मुंह, विस्फारित – सी आंखों तथा सांस लेती नाक में समाता चला गया।

