World Elephant Day 2023: हाथियों का नाम आता है, तो आपके दिमाग में असम, केरल या दक्षिण भारत की छवि उभर जाती होगी। लेकिन राजस्थान में भी एक ऐसी अनोखी जगह है, जहां आप हाथियों के साथ वक्त गुजार सकते हैं। यहां आप धरती के इस विशाल प्राणी के साथ खेल सकते हैं, इन्हें नहला सकते हैं और इनके ऊपर सैर करने के साथ इन्हें बहुत करीब से जान सकते हैं। हम बात कर रहे हैं जयपुर के नजदीक देश के पहले हाथी गांव की। चलिए, वर्ल्ड एलीफेंट डे के अवसर पर हम आपको इस गांव में लिए चलते हैं। 100 एकड़ में बसे इस गांव में आकर पर्यटकों को हाथियों के साथ मस्ती करने का पूरा मौका मिलता है।
करीब से जानें धरती के इस सबसे बड़े प्राणी को

राजस्थान में आप जब भी घूमने आएं, जयपुर में आमेर के पास बसे हाथी गांव को जरूर देखें। जयपुर के हाथी ‘हाथी गांव’ में रहते हैं। अरावली के पहाड़ों की तलहटी में स्थित हाथी गांव पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है। यहां हाथियों के लिए सब कुछ है, जो वे पसंद करते हैं। नहाने के लिए बड़े-बड़े तालाब, रहने के लिए बड़े बड़े थान (बाड़े) और खाने के लिए फल, सब्जी, गन्ने आदि। ये दुनिया का तीसरा हाथी गांव है और भारत का पहला। यहां 100 से अधिक हाथी रहते हैं। इनके महावत इन्हें इतना सुंदर सजा देते हैं कि हाथियों के साथ फोटो खींचवाना-वीडियो बनाने का भी शानदार अनुभव रहता है। बच्चे से लेकर बड़े तक यहां एलीफेंट सफारी का लुत्फ उठाते हैं और इन्हें छूकर, नहलाकर रोमांच महसूस करते हैं। ये हाथी असम और केरल से लाए गए हैं। आमेर किले तक जाने के लिए एलिफेंड राइडिंग बहुत लोकप्रिय रही, इसे ही देखते हुए राजस्थान सरकार ने एक हाथी गांव बसाने की कल्पना की थी।
कैसे रहते हैं हाथी और कैसे होती है पहचान

हाथियों के रहने के लिए गांव में एक ब्लॅाक में 3 थान हैं। इस गांव में लगभग 20 ब्लॉक हैं। हाथियों की पहचान के लिए इनके कान के नीचे माइक्रोचिप लगाई जाती है। माइक्रोचिप में हाथी का नाम होता है और सरकारी रजिस्ट्रेशन नंबर भी दर्ज होता है।
खर्च करने होंगे इतने रुपए
हाथी सफारी बुक करने के लिए पर्यटक भारी संख्या में गांव आते हैं। हाथी गांव का प्रशासन राजस्थान पर्यटन विभाग से लेकर वन विभाग को सौंप दिया गया है। वन विभाग की बागडोर मिलते ही उसने हाथी कल्याण समिति की स्थापना की गई थी। प्रवेश शुल्क से यहां का रखरखाव होता है और इस राशि को विकास पर भी खर्च किया जाता है। घरेलू पर्यटकों के लिए प्रवेश टिकट 50 रुपये प्रति व्यक्ति और विदेशी पर्यटक के लिए प्रवेश टिकट 300 रुपये प्रति व्यक्ति है। हाथी सवारी के लिए अलग से भुगतान करना होता है।
खाना खिलाओ और महावत से बात करो

आप यहां हाथियों के बारे में इनके महावतों से और जानकारियां ले सकते हैं। हाथियों को अपने हाथ से खाना खिला सकते हैं। हाथी खाने के बहुत शौकीन होते हैं। एक हाथी एक दिन में 150 किलो खाना खाता है और 80 गैलन पानी पीता है। यहां आप हाथियों को नहाते हुए मस्ती करते नजदीक से देख सकते हैं। हाथियों के ऊपर रंगोली भी सजा सकते हैं।
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड एलीफेंट डे
विश्व में हाथियों की संख्या तेजी से कम होने के कारण सभी चिंता में पड़ गए थे। ऐसे में हाथियों के संरक्षण के लिए 12 अगस्त 2012 से विश्व हाथी दिवस मनाना शुरू किया गया। लगभग सभी देशों में हाथी को प्यार और सम्मान से देखा जाता है। दांत आदि के लिए अवैध शिकार, जंगलों में कमी मानव-हाथी संघर्ष और कम होते जंगलों के कारण हाथियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वर्ल्ड एलीफेंट डे मनाने का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया का ध्यान हाथी संरक्षण को बढ़ावा देने पर जाए। पिछले एक दशक से पहले हाथियों की संख्या 10 लाख तक थी, जो अब गिरकर मात्र 30 हजार से भी कम रह गई है।