Diwali Festival Ritual: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ से जुड़े प्रत्येक कर्मकांड को करने का विशेष तरीका और महत्त्व है। फिर वो चाहे प्रातः समय का स्नान हो या भगवान की उपासना। हिन्दू कैलेंडर में प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व है। ठीक उसी तरह दीपक प्रजवल्लित करने का भी धार्मिक महत्त्व है। अकसर आपने लोगों को मंदिरों और पूजा स्थलों पर दीपक से दीपक जलाते हुए देखा होगा। लेकिन धर्म के जानकारों के मुताबिक, दीपक से दीपक जलाना उचित नहीं माना जाता।
ज्ञान के प्रसार को लेकर लोग अकसर कहते हैं कि ज्ञान का प्रकाश एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, जो अगर इसी क्रम में बढ़ता रहता है। लेकिन दीपक से दीपक जलाने के लिए इस उक्ति को सही नहीं माना जाता। धर्म के शास्त्रों के मुताबिक, दीपक को दीपक से न जलाकर नई माचिस की तिल्ली से जलाने की सलाह दी जाती है। हालांकि ऐसा करने में कोई गलत चीज़ नहीं है।
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क्यों दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए

दरअसल, कहा जाता है कि जब हम एक दीपक को जलाते हैं तो वो अग्नि की एक इकाई होती है, जो किसी एक भगवान के नाम होती है जिसे बांटा नहीं जाता। यदि हम जले हुए उस दीपक की अग्नि से दूसरे दीपक को जलाते हैं तो वो झूठन के समान है। ऐसे में जब हम भगवान को झूठन नहीं चढ़ाते तो झूठी अग्नि से दीपक कैसे जला सकते हैं। इतना ही नहीं दीपक से दीपक जलाने पर दूसरे भगवान को ये अग्नि स्वीकार्य भी नहीं होती। कहा ये भी जाता है कि दीपक से दीपक जलाने से कर्ज बढ़ता है।
क्या दिवाली पर भी ये उक्ति सही है?
अब मन में ये सवाल उठना उचित है कि क्या दिवाली के दीपक भी अलग-अलग दियासलाई से जलाने चाहिए? तो जाहिर है ऐसा करना व्यर्थ होगा। क्योंकि दिवाली पर आप मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के नाम से दीपक जलाते हैं। ऐसे में यहां दीपक से दीपक जाने की ये उक्ति सही साबित होती है।
