घर के कामों, परिवार की जिम्मेदारियों में खुद को न भूलें, ऐसे सीखें फिर से जीना: Time for Yourself
Time for Yourself

Overview:

परिवार के हर एक सदस्य की इच्छाओं का ध्यान रखने वाली महिला ये भी भूल जाती है कि उसे खुद को खाने में क्या पसंद है या उसे क्या करना अच्छा लगता है। ऐसे में सालों तक चलने वाले कर्तव्य के इस चक्र में महिलाएं कहीं न कहीं खुद को भूल जाती हैं। ये डिप्रेशन और एंग्जायटी का भी कारण बन सकता है।

Time for Yourself: हमारे परिवारों में बच्चियों की परवरिश आमतौर पर ऐसे की जाती है कि शादी के बाद वह खुद के लिए बाद में और परिवार के लिए पहले सोचती हैं।  लेकिन कभी-कभी महिला के इस समर्पण, अपनेपन, त्याग और प्यार को सिर्फ उसकी जिम्मेदारी मान लिया जाता है। परिवार के हर एक सदस्य की इच्छाओं का ध्यान रखने वाली महिला ये भी भूल जाती है कि उसे खुद को खाने में क्या पसंद है या उसे क्या करना अच्छा लगता है। ऐसे में सालों तक चलने वाले कर्तव्य के इस चक्र में महिलाएं कहीं न कहीं खुद को भूल जाती हैं। ये डिप्रेशन और एंग्जायटी का भी कारण बन सकता है। अगर आप भी सबके बीच में रहते हुए अकेलापन महसूस करती हैं, खुश रहने की चाहत के बावजूद खुश नहीं रह पा रही हैं या अपने आपको ठगा सा महसूस कर रही हैं तो आज ही दूसरों के साथ ही अपने लिए भी जीना सीखें। ये कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है, बस शुरुआत करने की देरी भर है।

Time for Yourself-खुद को फिर से पाना है तो अपने लिए समय निकालना सीखें।
If you want to find yourself again, learn to take time for yourself.

खुद को फिर से पाना है तो अपने लिए समय निकालना सीखें। यह बात सही है कि आपके पास घर, दफ्तर, बच्चों, रिश्तेदारों के ढेर सारे काम हैं। लेकिन फिर भी अपने लिए ‘मी टाइम’ निकालें। इस समय में आप किसी की न सुनें, सिर्फ अपने दिल की सुनें। बुक्स पढ़ें, खुद को निखारे में वक्त बिताएं, और कुछ नहीं तो फेस पैक लगाकर रिलेक्स ही करें। इससे आप अच्छा महसूस करेंगी।

आमतौर पर शादी के बाद महिलाओं का फ्रेंड सर्कल छूट जाता है। फिर उनके पति के दोस्तों की पत्नियां ही उनकी सहेलियां बन जाती हैं, लेकिन ​वो स्कूल-कॉलेज की दोस्ती वाली बात नहीं आती। इसलिए अपनी इस गलती को सुधारें। अपनी स्कूल कॉलेज की जिन सहेलियों के बिना आप कभी रह नहीं पाती थीं, आज एक बार फिर उन्हें याद करें। यकीन मानिए, यहां आपको सिर्फ एक फोन कॉल करने की ही जरूरत है। बीते हुए दिन और उसकी खुशियां फिर से आपकी जिंदगी में दस्तक देने लगेंगी।

‘मुझे घूमने का शौक है, लेकिन मेरे पति को घर में रहना ही अच्छा लगता है, इसलिए हम कहीं जा नहीं पाते’, ‘मैं फूडी हूं, लेकिन इन्हें घर का खाना ही अच्छा लगता है।’ ये बहुत ही कॉमन बाते हैं, जो आपने अक्सर महिलाओं के मुंह से सुनी होंगी। शौक सबके अलग-अलग हो सकते हैं।  आप अपनी इच्छाओं के बारे में खुलकर अपने पार्टनर से बात करें। लेकिन इन्हें थोपने की कोशिश न करें। बल्कि आप अपनी पसंद को खुद पूरा करने की कोशिश करें। इससे आप खुश रहेंगी और परिवार का भी बेहतर तरीके से ध्यान रख पाएंगी।  

पेंटिंग, गार्डनिंग, स्वीमिंग, सिंगिंग, डांसिंग, बुक रीडिंग जैसे अपने किसी भी शौक को एक बार फिर से समय देना शुरू कीजिए। इससे आपका माइंड फ्रेश और रिलैक्स महसूस करेगा। आप अंदर से खुशी महसूस करेंगी। ​टेंशन, डिप्रेशन, एंग्जायटी खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी। इसलिए शौक को जवां रखना जरूरी है।

सेहतमंद शरीर में ही सेहतमंद मस्तिष्क रहता है। यानी आप खुश तभी रह सकती हैं जब पूरी तरह हेल्दी होंगी। इसलिए योग और मेडिटेशन को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लें। इससे आपको मानसिक शांति के साथ इमोशनल बैलेंस बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

किसी भी रिश्ते में जहां से अपेक्षाएं शुरू होती है, वहीं से दुख और परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं। इसलिए अपनी सीमाएं खुद निर्धारित करें। अपनी खुशियों के लिए दूसरों पर बहुत ज्यादा निर्भर न रहें। न ही किसी को इतनी छूट दें कि वो आपको भावनात्मक रूप से दुखी कर सके। इससे  इमोशनल डैमेज जैसी स्थिति नहीं आती है।  

खुश रहने का सबसे आसान और असरदार तरीका है खुद के प्यार करना। जिस दिन आपने खुद से प्यार करना सीख लिया, मान लीजिए आपने ​दुनिया जीत ली। इससे बेहतर और कुछ नहीं है। आत्म प्रेम आपको आगे बढ़ना और खुश रहना खुद ही सिखा देगा।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...