Kinner Kailash Yatra 2024: हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में कई पवित्र यात्राओं का वर्णन मिलता है, जिन्हें करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है और आने वाली पीढ़ियों को भी इसका पुण्य मिलता है। किन्नर कैलाश एक ऐसी ही पवित्र यात्रा है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। किन्नर कैलाश की यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है।
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किन्नर कैलाश कहाँ है
किन्नर कैलाश एक पर्वत है जो समुद्र तल से 6050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसका असली नाम किन्नौर कैलाश है, लेकिन समय के साथ इसे किन्नर कैलाश के नाम से जाना जाने लगा। यह पर्वत हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बत सीमा के पास स्थित है। समुद्र तल से 6050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह हिमखंड एक अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा प्रस्तुत करता है और इसके दर्शन को लेकर भक्तों में गहरी श्रद्धा है।
धार्मिक महत्व
इस हिमखंड को प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है, और किन्नर कैलाश की यात्रा पूरी करने के बाद भक्त इस शिवलिंग की पूजा करते हैं। किन्नर कैलाश की परिक्रमा भी की जाती है, जिसे बहुत पुण्यकारी माना जाता है। यह मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का पहला मिलन इसी स्थान पर हुआ था। कहा जाता है कि जब शिव और शक्ति का मिलन हुआ था, तब ब्रह्म कमल का पुष्प खिल उठा था। आज भी किन्नर कैलाश की यात्रा के दौरान ब्रह्म कमल के फूल दिखते हैं, लेकिन ये केवल शुद्ध मन वाले भक्तों को ही नजर आते हैं। किन्नर कैलाश की परिक्रमा लगाना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। यह स्थान न केवल हिंदुओं बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र है।
कठिन यात्रा
किन्नर कैलाश की यात्रा को मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कहीं अधिक कठिन माना जाता है। यह यात्रा हर साल सावन के महीने में शुरू होती है और एक महीने तक चलती है। आमतौर पर, इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 2 से 3 दिन लगते हैं। यात्रा के मार्ग में ऊँचाई, मौसम और मुश्किल भरे रास्ते की चुनौतियाँ होती हैं, जो इस यात्रा को चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। किन्नर कैलाश की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्वतीय सौंदर्य, शांति और आंतरिक शांति की खोज के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव है।
