WASTAGE OF FOOD

Wastage Of Food: आजकल विवाह व अन्य समारोह में दिखावा करने का प्रचलन काफी बढ़ गया है। दिखावे की इस परंपरा में सबसे ज्यादा बर्बादी होती है खाने की। आइये, जानते हैं कि किस प्रकार हम दिखावे व मेहमाननवाजी के चक्कर में कितनी ज्यादा मात्रा में अन्न की बर्बादी कर रहे हैं।

Wastage Of Food
मान आपका अपमान भोजन का: Wastage Of Food 3

भी कुछ समय पहले किसी रिश्तेदार के यहां शादी समारोह में जाना हुआ। खुले वातावरण में आधुनिक साज-सज्जा से परिपूर्ण बड़ा ही भव्य इंतजाम किया हुआ था तभी जयमाला के समय एक अद्ïभुत नजारा देखने को मिला, वर-वधू दोनों पर ही हैलीकॉप्टर से पुष्प-वर्षा की गई। सारा माहौल ही फूलों की ताजगी व खुशबू से महक गया। खैर! जब इतने बड़े स्तर पर जब हर एक कार्यक्रम हो रहा था तो खाने-पीने का तो कहना ही क्या था? पंडाल के अंदर आते ही अनगिनत खाने-पीने के स्टॉल सजे हुए थे। सॉफ्ट ड्रिंक्स में तरह-तरह के जूस से लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार के पेय पदार्थ थे। नाश्ता या स्नैक्स की इतनी वैरायटी वहां दिख रही थी कि जैसा खाने की सोचेंगे वही सामने दिख जाएगा। फलों की भी कुछ अलग किस्म देखने में आईं जो विदेश से मंगाए हुए थे। उनको इस तरह अन्य रूप में काटकर सजाया हुआ था कि देखते ही बनता था। कई स्टॉल बच्चों की पसंद के सजे हुए थे। इनमें सैंडविच, केक, पेस्ट्री से लेकर रंग-बिरंगी चुस्की आइसक्रीम या फिर चॉकलेट-टॉफी वगैरह थी। कहने का मतलब है बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग सभी की पसंद का ख्याल रखा हुआ था। अब इन तरह-तरह के स्टॉल के बाद अच्छी बड़ी जगह में भोजन का इंतजाम किया हुआ था, जिसमें सभी प्रांतों की खास-खास रेसिपीज तो थी हीं जैसे-पंजाब के स्टॉल में मक्के की रोटी व सरसों का साग तो राजस्थान में बाजरे की खिचड़ी से लेकर दाल-बाटी और चूरमा का ध्यान रखा गया था। इसी तरह जो जहां का प्रसिद्ध व्यंजन था उसी स्टॉल में मिल रहा था। इसके अलावा चाइनीच-मुगलई-इटैलियन आदि कई देशों के खाने के स्वाद व खुशबू से भी वातावरण सरोबार हो रहा था।
अब खाने के बाद कुछ मीठा हो जाए तो हर तरह के हलवे से लेकर शायद ही कोई ऐसी मिठाई होगी जो वहां न मिल रही हो। इसके बाद कई तरह के दूध से बनने वाले शेक और फिर अन्त में पान-सुपारी के स्टॉल से समापन था। खाने-पीने की इतनी विस्तृत वैरायटी देख तो लगा रहा था कि हमारे हाथ जिन्न का चिराग लग गया है, जिसको रगड़ते ही मनचाहा पसंदीदा भोजन सामने उपस्थित हो रहा है बस! खाते ही जाओ खाते ही जाओ।

किंतु सोचने की बात है! क्या यह संभव है कि एक जगह, एक ही समय में कोई भी व्यक्ति इतना सब कुछ खा-पी सकता है? क्या हर व्यंजन का वह भरपूर स्वाद ले पाएगा। हर स्टॉल पर भोजन के वास्तविक आनंद की अनुभूति को महसूस कर पाएगा। शायद कभी नहीं। बच्चे हों या बड़े सभी की यही मानसिकता रहती है थोड़ा-थोड़ा खाते जाओ और आगे बढ़ते जाओ। इससे भोजन शांत मन से एकाग्रता व रुचि लेकर नहीं खाया जाता। वहीं इतनी मेहनत से तैयार खाद्य पदार्थ भी काफी मात्रा में व्यर्थ होते हैं।

ध्यान देने योग्य साधारण सी बात है कि स्नैक्स या भांति-भांति की रेसिपीज चखने के बाद जब तक भोजन करने के बारे में व्यक्ति सोचता है तब तक न तो इच्छा रहती न ही उत्सुकता, किंतु खाना है! इसलिए प्लेट में जो सामने दिखता है रखते जाते हैं परंतु खाया उसमें से कुछ ही जाता है बाकी तो बचा खाना कूड़ेदान में ही डाल दिया जाता है। इससे एक ओर जहां अन्न का अपमान होता है वहीं खाने की प्लेट महंगी होने से रुपये-पैसे की बर्बादी भी होती है।
अत: ऐसी स्थिति नहीं आने पाए और मन से आंतरिक इच्छा से भोजन का आनंद लिया जा सके तो क्यों न कुछ बातों का ध्यान हमारे द्वारा रख लिया जाए-

  • आपके अपने ही घर का उत्सव है इसलिए कोई कमी न रह जाए, सोचकर इच्छानुसार अच्छे से अच्छी हर व्यवस्था की जाती है। यह अच्छी बात है। किंतु इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाए कि आपके द्वारा कहीं से कहीं तक रुपये-पैसे या अन्य किसी भी सामान अथवा खाद्य पदार्थ की व्यर्थता नहीं होने पाए। बहुत ही अहम व जरूरी है कि दिखावे या रुतबे की वजह से भोजन के मान-सम्मान को नजरअंदारज न किया जाए। इसके लिए यह विकल्प भी अच्छा है कि घर में अक्सर होने वाले कार्यक्रम में हर बार कुछ अदल-बदल कर नए व्यंजन बनवा लिए जाएं, जिससे एक बार में खाद्य पदार्थों की अधिकता नहीं होने पाएगी। ऐसा ध्यान रखने पर ही आपके द्वारा किया इंतजाम सही मायने में सफल व अच्छा कहलाएगा और आपके गरिमामय विशिष्टï व्यक्तित्व की पहचान भी ज्यों की त्यों बनी रहेगी।
  • स्नैक्स हो या भोजन सभी के उतने ही स्टॉल हों, जितने पर बिना किसी टेंशन या हड़बड़ी के घूमकर व्यंजनों का स्वाद लिया जा सके और बिना व्यर्थ किए मन से तृप्त होकर खाया जा सके।
  • आजकल महंगाई के समय में जहां बहुत से परिवार अभी भी ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो रही है ऐसे में खाद्य सामग्री की बर्बादी न तो उचित है न ही इससे हमारी अक्लमंदी या बुद्धिमानी का कोई परिचय मिलता है।
  • जितने ज्यादा खाने-पीने के स्टॉल होंगे उतनी ही अधिक बड़ी जगह चाहिए। इससे समारोह में आए लोग इधर-उधर ही घूमते रहते हैं व आपस में भी उनका मिलना कम हो पाता है। यदि थोड़ी पर्याप्त जगह में खाने-पीने की व्यवस्था होगी तो इससे लोगों का आपसी समन्वय तो बढ़ता ही है साथ ही मिल-बांटकर खाने से भोजन का अधिक लुफ्त भी उठाया जाता है।
  • खाने-पीने के कितने भी स्टॉल क्यों न लगे हों आपकी सम्पन्नता या वैभवता चारों तरफ कितनी भी क्यों न झलक रही हो फिर भी आपकी समझदारी व सूझ-बूझ इसी में है कि कार्यक्रम में आए मेहमानों का अभिवादन प्यार भरी मुस्कुराहट से करें। एक या दो बार सबसे खाने के लिए अवश्य कहें। इससे बाहर से आए हर व्यक्ति को अपनी इज्जत व मान का एहसास होता है साथ ही आपके प्रति संबंधो में भी अपनत्व तथा घनिष्ठïता में वृद्धि होती है।
    अत: जब भी घर में समारोह हो तो भोजन से संबंधित इन छोटी-छोटी बातों को अवश्य ही जेहन में रख इन पर अमल करें, ऐसा करने पर आपके द्वारा किया इंतजाम सही मायने में अच्छा होगा और आप भी दिल व दिमाग से शान्ति और सुकून महसूस कर सकेंगे।