यूपी की शादियों में ये रस्में होती हैं बेहद खास: Uttar Pradesh Wedding Rituals
आज हम आपको बताएंगे उत्तर प्रदेश की शादियों में कौन-कौन सी रस्में बेहद खास होती हैं।
Uttar Pradesh Wedding Rituals: भारत में प्रत्येक शहर और राज्य में शादी की रस्में अलग-अलग तरह से निभाई जाती हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शादी की रस्में लगभग एक तरह की ही होती है लेकिन सबकी अपनी एक अलग मान्यता है। आज हम आपको बताएंगे उत्तर प्रदेश की शादियों में कौन-कौन सी रस्में बेहद खास होती हैं।
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तिलक

उत्तर प्रदेश की शादियों में भी तिलक का बेहद खास महत्व होता है। इस रस्म में दुल्हन के परिवार वाले दूल्हे के घर आते हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार घर में इस्तेमाल होने वाले सामानों सहित मिठाई, फल, आदि भगवान को साक्षी मानकर वर को तिलक चढ़ाते हैं। इसके अलावा इस दिन लड़के वाले लड़की वालों के स्वागत के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं।
मटकोर

शादी से दो दिन पहले यह रस्म निभाई जाती है, जिसमें घर की महिलाएं बैंड बाजे के साथ मैदान में जाती है। जहां ननद कुदाल से मिट्टी खोदती है, और पांच सुहागन के आंचल में मिट्टी डालती है। उस मिट्टी से घर में बनने वाली वेदी का निर्माण किया जाता है। उसी दिन से वर वधु को हल्दी लगाने का कार्य शुरू हो जाता है। यह कार्य विवाह के दिनों तक चलता है।
हल्दी लेपन

मटकोर वाले दिन से ही दूल्हा और दुल्हन के हल्दी लेपन का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। हल्दी को पीसकर पानी में मिलाकर घर की महिलाएं गीत गाते हुए वर वधु के शरीर में हल्दी का लेप लगाने लगते हैं। यूपी में हल्दी लेप के साथ-साथ सरसों का तेल और आंखों में काजल भी लगाया जाता है।
मंडपा छावन
विवाह के 1 दिन पहले घर के आंगन में बांसों से बने मंडपा छावन का कार्य घर के पुरुष करते हैं। मंडप छावन में 5, 7 या 9 बांसों का इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन घर में सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है और स्वादिष्ट भोजन भी बनते हैं।
देवी पूजन

विवाह दिन घर की महिलाएं निकट के देवी स्थान गाजे बाजे के साथ गीत गाते हुए जाती है। जहां पर देवी मां के चरणों में वर वधु के वस्त्र, मिठाइयां, फल और फूल चढ़ाकर दीर्घायु की कामना करती है।
आटे से परछावन
उत्तर प्रदेश में दुल्हन के घर आने पर लोढ़ा और चावल के आटे की लोई लेकर दुल्हन की सवारी पर फेंका जाता है, इससे माना जाता है कि जो भी परेशानी दुल्हन या दूल्हे पर है, उसे हटा दिया जाए। उन पर किसी भी तरह की आंच न आएं।

